देहरादून/नई दिल्ली: रोहित शेखर तिवारी...उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम एनडी तिवारी के बेटे, जो कल तक अपने पिता की राजनीतिक विरासत संभालने की तैयारी कर रहे थे, आज केवल यादों में हैं. पिता का नाम पाने की जद्दोजहद से शुरू हुई रोहित की ये कहानी उनकी हत्या पर जाकर रूक जाती है. रोहित जीवनभर अपनों के प्यार को तरसते रहे. जिस पिता के प्यार और नाम को पाने के लिये रोहित ने 35 सालों का वनवास भोगा उस नाम का इस्तेमाल वे 5 साल भी न कर सके और मौत भी मिली तो खुद के प्यार के हाथों.
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रोहित शेखर की कहानी पर नजर डालेंगे तो ये किसी फिल्मी कहानी जैसी लगेगी. यहां पिता होने के बाद भी उनके नाम के लिये रोहित की जद्दोजहद, नाम मिल जाने के बाद भी दो सालों तक पिता के प्यार की तलाश, पिता का प्यार मिलने के बाद उनकी राजनीतिक विरासत न संभाल पाने की कशिश, जीवन संगिनी में प्यार की तलाश लेकिन उसका भी दर्दनाक अंत...
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आइये रोहित शेखर तिवारी की जिंदगी पर एक नजर डालते हैं-
- रोहित शेखर...एक ऐसा नाम जिनकी मौत पर आज पूरा देश सन्न है...ये युवा देश के सामने पहली बार साल 2008 में आया जब रोहित शेखर ने पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी को खुद के पिता होने का दावा किया. दरअसल, रोहित की मां उज्ज्वला शर्मा और एनडी तिवारी के संबंधों की शुरुआत साल 1968 में हुई. तब पहली बार एनडी तिवारी, उज्जवला शर्मा से उनके घर पर मिले थे. तिवारी उन दिनों युवा कांग्रेस के अध्यक्ष थे और अपने राजनीतिक करियर को संवारने में जुटे थे.
- एनडी तिवारी और उज्ज्वला शर्मा की ये मुलाकात धीरे-धीरे निजी संबंधों में बदल रही थी. साल 1979 को उज्ज्वला शर्मा ने रोहित शेखर को जन्म दिया. जिसके बाद से ही एनडी तिवारी और उज्ज्वला शर्मा में दूरियां बढ़ने लगीं. दरअसल, तिवारी उस दौरान अपने राजनीतिक करियर को बनाने में जुटे थे, ऐसे में रोहित के साथ अपना नाम जोड़ने से तिवारी ने एतराज जताया जिसके बाद उज्जवला और तिवारी की राहें जुदा होती चली गईं. हालांकि, इस दौरान भी एनडी तिवारी उज्ज्वला शर्मा की कुशलक्षेम पूछते रहे.
- अपनी भूली बिसरी यादों के साथ उज्ज्वला शर्मा रोहित शेखर की परवरिश करती रहीं. एक समय आया जब युवा रोहित शेखर ने 2008 में एनडी तिवारी को खुद का पिता बता कर सबको चौंका दिया. खास बात ये थी कि रोहित शेखर पितृत्व के इस मामले को दिल्ली हाई कोर्ट तक लेकर जा पहुंचे. यहां एनडी तिवारी ने मामले को खारिज करवाने की पुरजोर कोशिश की लेकिन 23 दिसंबर 2010 को हाई कोर्ट ने डीएनए टेस्ट के आदेश दे दिए. 29 मई 2011 को एनडी तिवारी को ना नुकुर के बाद डीएनए जांच के लिए अपना खून देना पड़ा.
- रोहित शेखर की पितृत्व केस की लड़ाई अब निर्णायक मोड़ पर थी. आखिरकार, 27 जुलाई 2012 को दिल्ली हाई कोर्ट ने डीएनए रिपोर्ट खोली और फैसला रोहित शेखर के पक्ष में आया. अब यह साफ हो चुका था कि रोहित शेखर एनडी तिवारी के ही पुत्र हैं. हालांकि, फैसला होने के 2 साल बाद 2014 में एनडी तिवारी ने रोहित शेखर को अपना बेटा स्वीकार कर लिया और तब रोहित शेखर बन गये रोहित शेखर तिवारी.
- एक बड़े राजनेता के पुत्र के रूप में खुद को कानूनी स्वीकृति मिलने के बाद रोहित शेखर राजनीति में आगे बढ़ने की कोशिश करने लगे और इसके लिए उन्होंने अपने पिता का भी पूरा सहारा लिया. पिता की मदद से रोहित शेखर ने कांग्रेस और भाजपा से उत्तराखंड में विधानसभा सीटों के लिए टिकट की गुजारिश की लेकिन दोनों ही दलों ने रोहित शेखर को टिकट नहीं दिया. पिता की तरह राजनीति में एक मुकाम हासिल करने की रोहित की ख्वाहिश आखरी सांस तक उनके जहन में बनी रही.
- रोहित शेखर को अपने पिता तो मिल चुके थे लेकिन अब रोहित शेखर को एक जीवनसंगिनी की तलाश थी जो अपूर्व के रूप में पूरी हुई. अपूर्वा सुप्रीम कोर्ट में वकालत करती थीं और दिल्ली में ही अपूर्वा से रोहित शेखर की मुलाकात हुई. दोनों में नजदीकियां बढ़ी और मई 2018 में अपूर्वा और रोहित शेखर का विवाह हो गया. इसके बाद अस्पताल में भर्ती पिता एनडी तिवारी से नवविवाहित जोड़े ने आशीर्वाद लिया.
- हालांकि, रोहित शेखर और अपूर्वा के बीच शादी के बाद प्रेम संबंध ज्यादा दिनों तक सही नहीं रह पाए. बात-बात पर लड़ाई और आपसी विवाद के बाद एक वक्त आया जब दोनों एक दूसरे के साथ रहना बर्दाश्त के बाहर समझने लगे. हालांकि, इसके बाद भी एक छत के नीचे पति पत्नी की लड़ाई जारी रही.
- रोहित शेखर और अपूर्वा की पारिवारिक लड़ाई के बीच हाल ही में 17वीं लोकसभा के लिए वोट डालने 11 अप्रैल को रोहित शेखर अपनी मां के साथ उत्तराखंड आए और हल्द्वानी पहुंचकर अपने मताधिकार का प्रयोग किया. इस दौरान रोहित अपनी मां के साथ मंदिर में भी दिखे और पूजा अर्चना करते हुए रोहित शेखर की तस्वीरें काफी वायरल भी हुईं. 15 अप्रैल को रोहित हल्द्वानी से दिल्ली रवाना हुए. क्या पता था कि ये रोहित की आखिरी उत्तराखंड यात्रा होगी.
- 15 अप्रैल को रोहित उत्तराखंड से दिल्ली पहुंच गये. यहां उनके डिफेंस कॉलोनी स्थित आवास पर 15 अप्रैल की रात लगभग 10 बजे काठगोदाम से रोहित उसके रिश्तेदार और उनकी मां पहुंचीं. कुछ देर बातचीत करने के बाद रोहित की मां और रिश्तेदार चले गए. रात लगभग 11 बजे रोहित ने अकेले खाना खाया और फिर अपने कमरे में सोने चला गया. उधर सभी नौकर सोने चले गए लेकिन रोहित की पत्नी अपूर्वा जागती रही. अपूर्वा ने लगभग 12 बजे अकेले खाना खाया और फिर कुछ देर टीवी देखने के बाद सोने चली गई. रात के समय क्या हुआ किसी को खबर नहीं. बस अगले दिन दोपहर तक रोहित नहीं जागा.
- जब मां उज्ज्वला ने पूछा तो बताया गया कि वो सो रहे हैं लेकिन शाम 4 बजे अपूर्वा ने नौकर भोलू को रोहित को जगाने भेजा तो नौकर ने देखा कि रोहित की नाक से खून निकल रहा था. रोहित को तुरंत साकेत मैक्स अस्पताल पहुंचाया गया लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही रोहित की सांसें थम चुकी थीं.
- पहले तो यही बात सामने आई कि हार्ट अटैक या ब्रेन हैमरेज के कारण रोहित की मौत हुई है लेकिन गले पर पड़े निशानों के कारण पुलिस को कुछ शक हुआ. 17 अप्रैल को एम्स ट्रामा सेंटर में पोस्टमार्टम होने के बाद मौत की पूरी कहानी लट गई. जिसे पहले सामान्य मौत माना जा रहा था वह अप्राकृतिक मौत बन चुकी थी. रोहित की मां उज्ज्वला शर्मा ने भी जल्द ही कई खुलासे करने की बात कही. महज 48 घंटे के भीतर पोस्टमार्टम करने वाले पांच डॉक्टरों के पैनल में इसे हत्या बता दिया. पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर इसकी जांच क्राइम ब्रांच को सौंप दी.
- 19 अप्रैल से लेकर 23 अप्रैल तक चली क्राइम ब्रांच की तफ्तीश. डिफेंस कालोनी स्थित घर में पांच दिनों तक सुबह से लेकर शाम तक अलग-अलग कर नौकर भोलू, अखिलेश और अपूर्वा से पूछताछ की गई. इससे एक बात तो साफ हो गई कि हत्यारा घर के बाहर से नहीं आया था. इसलिए लगातार इनसे ही पूछताछ चलती रही और हत्या की कई कड़ियां जोड़ने में पुलिस को कामयाबी मिली.
- 24 अप्रैल को सात दिन की तफ्तीश के बाद आखिरकार क्राइम ब्रांच ने अपूर्वा को हत्या का गुनाह कबूल करने पर मजबूर कर दिया. पुलिस ने उसके सामने जब साक्ष्य रखे तो वह अपने ही बयानों में उलझती चली गई. दरअसल, अपूर्वा को लग रहा था कि रोहित शेखर उसे तलाक देने वाला है. ऐसे में उसके हाथ कोई प्रॉपर्टी नहीं लगने वाली थी. दूसरी तरफ रोहित शेखर के किसी महिला रिश्तेदार से भी नजदीकी संबंध थे, जिससे वह नाराज थी.
- अपूर्वा ने पुलिस को बताया कि 15 अप्रैल की रात उसने सबसे आखिर में खाना खाया. इसके बाद वह कुछ देर तक टीवी देखती रही. रात 12:45 बजे अपूर्वा पहली मंजिल पर कमरे में सो रहे रोहित के पास गई. वहां दोनों के बीच रोहित की महिला रिश्तेदार को लेकर झगड़ा शुरू हुआ. इस झगड़े में अपूर्वा ने रोहित का मुंह और गला दबाकर उसकी हत्या कर दी थी. हत्या करने के बाद अपूर्वा अपने कमरे में चली गई.
- उत्तराखंड से एक खुशनुमा याद के साथ जब रोहित दिल्ली पहुंचा तो किसी को इस बात का इल्म भी नहीं था कि वो उसकी आखिरी यात्रा होगी. बहरहाल, अब पत्नी अपूर्वा रोहित की हत्या के आरोप में पुलिस जांच के घेरे में फंस चुकी है. गुस्से और शक ने एक प्रेम कहानी का फिर से दर्दनाक अंत किया है. प्यार से शुरू हुई इस कहानी का अंत मौत और जेल की सलाखों के साथ हुआ है.
- जो भी घटित हुआ वो बेहद दुखद था लेकिन रोहित की मौत के साथ ही उज्ज्वला शर्मा ने अपना इकलौता सहारा भी खो दिया. दर्द से शुरू हुई ये कहानी एक दर्दनाक अंत पर खत्म हुई.