नई दिल्ली: तिहाड़ जेल में मुस्लिम कैदी की पीठ पर ओम लिखे जाने के मामले में एक सनसनीखेज खुलासा हुआ है. जो रिपोर्ट तिहाड़ जेल प्रशासन ने अदालत में दी उसके हवाले से दिल्ली माइनॉरिटी कमीशन ने बताया कि आरोप लगाने वाले कैदी ने अपने साथ जेल में बंद आतंकी यासीन भटकल और एक गैंगस्टर रवि के कहने पर ये षड्यंत्र रचा था, ताकि जेल की बदनामी कर इसका फायदा अदालत में उठाया जा सके.
बता दें कि पिछले दिनों तिहाड़ जेल में बंद एक मुस्लिम कैदी ने पेशी के दौरान अदालत के सामने ये कहकर सनसनी फैला दी थी कि जेल सुपरिटेंडेंट ने उसकी पीठ पर जबरन ओम का निशान बनाया है.
माइनॉरिटी कमीशन ने मांगी रिपोर्ट
कैदी की पीठ पर ओम बना एक फोटो भी मीडिया में वायरल हुआ था. क्योंकि मामला कोर्ट में विचाराधीन है ऐसे में माइनॉरिटी कमीशन कोई नोटिस जारी नहीं करता, लेकिन कोर्ट में 200 पन्नों की रिपोर्ट देने पर कमीशन ने जेल महानिदेशक को पत्र लिखकर रिपोर्ट की कॉपी मांगी थी.
जमानत लेने के लिए की साजिश
माइनॉरिटी कमीशन के चेयरमैन डॉ.जफरुल इस्लाम खान ने बताया कि जेल प्रशासन की तरफ से चिट्ठी के जवाब में बताया गया था कि मामले की बाकायदा जांच कराई गई है जिसमें ये बात सामने आई है कि ये सब कैदी ने खुद अपने साथियों के साथ मिलकर किया था ताकि इसका फायदा जमानत लेने में उठाया जा सके.
आतंकी यासीन भटकल ने बुना था षड्यंत्र
जेल महानिदेशक ने आरोप लगाने वाले कैदी से हुई पूछताछ के हवाले से बताया कि इस आरोप के सामने आने के बाद कैदी को दूसरी जेल में शिफ्ट कर दिया गया था, जहां जेल सुपरिटेंडेंट ने उसे पूरे विश्वास में लेकर घटनाक्रम के बारे में जानकारी जुटाई थी.
कैदी ने उन्हें बताया कि जेल की सेल में उसके साथ आतंक के आरोपों में सजा काट रहा यासीन भटकल और गैंगस्टर रवि मौजूद थे, जिन्होंने उससे कहा कि वो अगर ऐसा करता है तो जेल की बदनामी होगी और उसे आसानी से जमानत मिल जाएगी और उन्हें भी इसका फायदा कोर्ट में मिलेगा. उन दोनों के कहने पर ही उसने पीठ पर ओम गोदे जाने की फर्जी कहानी कोर्ट के सामने बयान कर दी और पीठ पर ओम वाला फोटो भी वायरल कर दिया था.
डीजी तिहाड़ ने की चेयरमैन से मुलाकात
चेयरमैन ने बताया क्योंकि मामला बेहद संवेदनशील था ऐसे में तिहाड़ जेल महानिदेशक खुद अपने साथ उस डीआईजी को लेकर माइनॉरिटी कमीशन आ पहुंचे जिन्होंने इस पूरे प्रकरण की जांच करके रिपोर्ट अदालत के सामने पेश की थी.
डीजी तिहाड़ ने न सिर्फ उस जांच के अहम पहलू बताए बल्कि ये भी बताया कि 18 अप्रैल को कैदी ने कोर्ट के सामने जबरन ओम बनाने के आरोप लगाए जबकि ये मामला 12 अप्रैल का था. इस दौरान कैदी ने इस बाबत किसी को कोई जानकारी नहीं दी और न ही अपने किसी साथी को ही इस बारे में कुछ बताया.
कोर्ट तय करेगा जेल अफसर को क्लीन चिट
जेल प्रशासन ने कैदी के आरोपों के बाद जांच कराकर रिपोर्ट कोर्ट को सौंप दी है. 500 पन्नों की इस रिपोर्ट में जो तथ्य सामने आए हैं उससे पता लगता है कि कैदी ने अपने साथियों के इशारे पर ये नाटक किया था. देखना ये होगा कि कोर्ट, जेल प्रशासन की रिपोर्ट को मानता है या फिर कैदी के आरोपों पर दोषी कहे जा रहे जेल सुपरिटेंडेंट पर कोई कार्रवाई करता है.