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आर्टिकल 370 को लेकर 43 से ज्यादा शहरों के मुस्लिमों के बीच रिसर्च, रिपोर्ट चौंका देगी

अनुच्छेद 370 को लेकर मुस्लिम वकीलों का समूह पिछले 7 महीने से रिसर्च कर रहा था. जिस में खुलासा हुआ कि 90% से अधिक मुसलमानों का मानना है कि यह प्रावधान वास्तव में खुद जम्मू कश्मीर और पूरे भारत के लिए एक बुराई और खतरा है.

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Published : Aug 10, 2019, 12:49 PM IST

नई दिल्ली: मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 (खण्ड 2 और 3) और 35A को खत्म कर दिया गया है. मुस्लिम वकीलों का एक समूह इसको लेकर पिछले 7 महीने से जमीनी स्तर पर रिसर्च कर रहा था.

मुस्लिम वकीलों ने की आर्टिकल 370 पर रिसर्च

समूह के सदस्य शीराज़ कुरैशी ने बताया कि इस अध्यन के माध्यम से पूरे भारत के मुसलमानों के बीच जाकर यह पता लगाना था कि हकीकत में जम्मू कश्मीर और अनुच्छेद 370 और 35 A के बारे में मुसलमानों के क्या विचार हैं.

कुछ राजनीतिक पार्टियों और सामाजिक संगठनों ने साजिश रची हुई है कि हिंदुस्तान का मुसलमान अनुच्छेद 370 और 35A की हिमायत में खड़ा हुआ है. हिंदुस्तानी मुसलमानों के दबाव के चलते इन प्रावधानों को हटाया नहीं जा सकता है.

'भारत के लिए एक बुराई और खतरा'
ग्रुप ने अपना अध्ययन मध्य प्रदेश के ग्वालियर से शुरू किया. पूरे देश में छोटी-छोटी बैठकर और सेमिनार करके मुसलमानों की इस विषय पर राय जानी. इसमें खुलासा हुआ कि 90% से अधिक का मानना है कि यह प्रावधान वास्तव में खुद जम्मू कश्मीर और पूरे भारत के लिए एक बुराई और खतरा है.

43 से अधिक शहरों में की बैठकें
ग्रुप ने भारत भर के करीब 43 से अधिक शहरों में बैठके और सेमिनार आयोजित करके मुसलमानों की राय ली और इस अध्यन में समूह ने एक लाख से अधिक लोगों से बातचीत की.
फ्रीलान्स मुस्लिम इंटेलेक्चुअल एंड लीगल ग्रुप में सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता सिराज कुरैशी, जामिया मिलिया इस्लामिया के प्रोफेसर डॉ इमरान चौधरी, समाजसेवी मोहम्मद सबरीन समेत करीब 20 अन्य लोग शामिल थे.

'देश में एक नए युग की शुरुआत'
केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 और 35 ए को खत्म की जाने पर फ्रीलान्स मुस्लिम इंटेलेक्चुअल व लीगल ग्रुप का कहना है कि देश में एक नए युग की शुरुआत होकर कश्मीर और कश्मीरी दोनों को विशेष दर्जे से निजात मिलेगी और सम्मान से जीने का मौका मिलेगा.

नई दिल्ली: मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 (खण्ड 2 और 3) और 35A को खत्म कर दिया गया है. मुस्लिम वकीलों का एक समूह इसको लेकर पिछले 7 महीने से जमीनी स्तर पर रिसर्च कर रहा था.

मुस्लिम वकीलों ने की आर्टिकल 370 पर रिसर्च

समूह के सदस्य शीराज़ कुरैशी ने बताया कि इस अध्यन के माध्यम से पूरे भारत के मुसलमानों के बीच जाकर यह पता लगाना था कि हकीकत में जम्मू कश्मीर और अनुच्छेद 370 और 35 A के बारे में मुसलमानों के क्या विचार हैं.

कुछ राजनीतिक पार्टियों और सामाजिक संगठनों ने साजिश रची हुई है कि हिंदुस्तान का मुसलमान अनुच्छेद 370 और 35A की हिमायत में खड़ा हुआ है. हिंदुस्तानी मुसलमानों के दबाव के चलते इन प्रावधानों को हटाया नहीं जा सकता है.

'भारत के लिए एक बुराई और खतरा'
ग्रुप ने अपना अध्ययन मध्य प्रदेश के ग्वालियर से शुरू किया. पूरे देश में छोटी-छोटी बैठकर और सेमिनार करके मुसलमानों की इस विषय पर राय जानी. इसमें खुलासा हुआ कि 90% से अधिक का मानना है कि यह प्रावधान वास्तव में खुद जम्मू कश्मीर और पूरे भारत के लिए एक बुराई और खतरा है.

43 से अधिक शहरों में की बैठकें
ग्रुप ने भारत भर के करीब 43 से अधिक शहरों में बैठके और सेमिनार आयोजित करके मुसलमानों की राय ली और इस अध्यन में समूह ने एक लाख से अधिक लोगों से बातचीत की.
फ्रीलान्स मुस्लिम इंटेलेक्चुअल एंड लीगल ग्रुप में सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता सिराज कुरैशी, जामिया मिलिया इस्लामिया के प्रोफेसर डॉ इमरान चौधरी, समाजसेवी मोहम्मद सबरीन समेत करीब 20 अन्य लोग शामिल थे.

'देश में एक नए युग की शुरुआत'
केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 और 35 ए को खत्म की जाने पर फ्रीलान्स मुस्लिम इंटेलेक्चुअल व लीगल ग्रुप का कहना है कि देश में एक नए युग की शुरुआत होकर कश्मीर और कश्मीरी दोनों को विशेष दर्जे से निजात मिलेगी और सम्मान से जीने का मौका मिलेगा.

Intro:मोदी सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 और 35a को खत्म कर दिया गया है लेकिन मुस्लिम वकीलों का एक समूह इसको लेकर पिछले 7 महीने से जमीनी स्तर पर रिसर्च कर रहा था, जिसमें वकीलों के समूह ने करीब एक लाख से अधिक लोगों से बातचीत की और जाना कि मुस्लिम समुदाय के लोग चाहते हैं कि कश्मीर से 370 और 35a को हटाया जाए.


Body:फ्रीलांस मुस्लिम इंटेलेक्चुअल एंड लीडर ग्रुप में आर्टिकल 370 और 35a को लेकर जनवरी 1, 2019 से देशव्यापी अध्यन की शुरुआत की थी.

समूह के सदस्य, शीराज़ कुरेशी ने बताया कि इस अध्यन के माध्यम से पूरे भारत के मुसलमानों के बीच जाकर यह पता लगाना था कि हकीकत में जम्मू कश्मीर और अनुच्छेद 370 और 35 A के बारे में मुसलमानों के क्या विचार हैं, क्योंकि कुछ राजनीतिक पार्टियों और सामाजिक संगठनों ने साजिश रची हुई है कि हिंदुस्तान का मुसलमान अनुच्छेद 370 और 35a की हिमायत में खड़ा हुआ है और हिंदुस्तानी मुसलमानों के दबाव के चलते इन प्रावधानों को हटाया नहीं जा सकता.

ग्रुप ने अपना अध्ययन मध्य प्रदेश के ग्वालियर से शुरू किया फिर पूरे देश में छोटी-छोटी बैठकर और सेमिनार करके मुसलमानों की इस विषय पर राय जानी, जिस में खुलासा हुआ कि प्रथम तो इस विषय के बारे में आम मुसलमानों को बहुत जानकारी नहीं है और पढ़े-लिखे मुसलमानों को इस अनुच्छेदों की जानकारी तो है मगर उनमें से 90% से अधिक का मानना है कि यह प्रावधान वास्तव में खुद जम्मू कश्मीर और पूरे भारत के लिए एक बुराई और खतरा है, क्योंकि इन प्रधानों का किस प्रकार का फायदा जम्मू कश्मीर और भारत को है यह किसी भी राजनीतिक पार्टी के संगठन ने स्पष्ट नहीं किया है.

ग्रुप ने भारत भर के करीब 43 से अधिक शहरों में बैठके और सेमिनार आयोजित करके मुसलमानों की राय ली और खुली चर्चा की, इस अध्यन में समूह ने एक लाख से अधिक लोगों से बातचीत की.

फ्रीलान्स मुस्लिम इंटेलेक्चुअल एंड लीगल ग्रुप में सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता सिराज कुरैशी, जामिया मिलिया इस्लामिया के प्रोफेसर डॉ इमरान चौधरी, समाजसेवी मोहम्मद सबरीन समेत करीब 20 अन्य लोग शामिल थे.

समूह द्वारा किए गए अध्ययन में सामने आया कि अनुच्छेद 370 और 35a कश्मीर, कश्मीरी और कश्मीरियत की तरक्की के लिए बाधक था.


Conclusion:केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 और 35a को खत्म की जाने पर फ्रीलान्स मुस्लिम इंटेलेक्चुअल व लीगल ग्रुप का कहना है कि देश में एक नए युग की शुरुआत होकर कश्मीर और कश्मीरी दोनों को विशेष दर्जे से निजात मिलेगी और सम्मान से जीने का मौका मिलेगा.

byte: Shiraz Qureshi, Supreme Court Advocate
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