नई दिल्ली: मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 (खण्ड 2 और 3) और 35A को खत्म कर दिया गया है. मुस्लिम वकीलों का एक समूह इसको लेकर पिछले 7 महीने से जमीनी स्तर पर रिसर्च कर रहा था.
समूह के सदस्य शीराज़ कुरैशी ने बताया कि इस अध्यन के माध्यम से पूरे भारत के मुसलमानों के बीच जाकर यह पता लगाना था कि हकीकत में जम्मू कश्मीर और अनुच्छेद 370 और 35 A के बारे में मुसलमानों के क्या विचार हैं.
कुछ राजनीतिक पार्टियों और सामाजिक संगठनों ने साजिश रची हुई है कि हिंदुस्तान का मुसलमान अनुच्छेद 370 और 35A की हिमायत में खड़ा हुआ है. हिंदुस्तानी मुसलमानों के दबाव के चलते इन प्रावधानों को हटाया नहीं जा सकता है.
'भारत के लिए एक बुराई और खतरा'
ग्रुप ने अपना अध्ययन मध्य प्रदेश के ग्वालियर से शुरू किया. पूरे देश में छोटी-छोटी बैठकर और सेमिनार करके मुसलमानों की इस विषय पर राय जानी. इसमें खुलासा हुआ कि 90% से अधिक का मानना है कि यह प्रावधान वास्तव में खुद जम्मू कश्मीर और पूरे भारत के लिए एक बुराई और खतरा है.
43 से अधिक शहरों में की बैठकें
ग्रुप ने भारत भर के करीब 43 से अधिक शहरों में बैठके और सेमिनार आयोजित करके मुसलमानों की राय ली और इस अध्यन में समूह ने एक लाख से अधिक लोगों से बातचीत की.
फ्रीलान्स मुस्लिम इंटेलेक्चुअल एंड लीगल ग्रुप में सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता सिराज कुरैशी, जामिया मिलिया इस्लामिया के प्रोफेसर डॉ इमरान चौधरी, समाजसेवी मोहम्मद सबरीन समेत करीब 20 अन्य लोग शामिल थे.
'देश में एक नए युग की शुरुआत'
केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 और 35 ए को खत्म की जाने पर फ्रीलान्स मुस्लिम इंटेलेक्चुअल व लीगल ग्रुप का कहना है कि देश में एक नए युग की शुरुआत होकर कश्मीर और कश्मीरी दोनों को विशेष दर्जे से निजात मिलेगी और सम्मान से जीने का मौका मिलेगा.