नई दिल्ली: राजधानी के प्रगति मैदान में चल रहे इंटरनेशनल पुलिस एक्सपो में आंतरिक सुरक्षा को लेकर एक से बढ़कर एक हथियार, तकनीक और उपकरण प्रदर्शित किए जा रहे हैं. यहां छोटी रिवॉलवर और पिस्तौल से लेकर लाइट मशीन गन तक उपलब्ध है. एक्सपो में विभिन्न कंपनियों के उत्पाद प्रदर्शित किए गए हैं. यहां साइबर सिक्योरिटी का प्रशिक्षण देने वाले संस्थान भी मौजूद है, जिन्होंने पुलिस से लेकर सीबीआई और अन्य जांच एजेंसियों को डाटा रिकवरी के प्रशिक्षण दिए हैं.
वहीं, डिजिटल एविडेंस सीजर किट बनाने वाली कंपनी फॉरेंसिक गुरु ने भी अपने उत्पाद प्रदर्शित किए हैं. इसमें अपराध में इस्तेमाल किए गए डिजिटल सीजर किनफील्ड किट, मोबाइल, लैपटॉप और कैमरा के अलावा अन्य डिजिटल डिवाइस को भी सुरक्षित तरीके से सीज करने की किट प्रदर्शित की गई है.
लाइट मशीन गन का जलवा: यहां उत्तर प्रदेश के कानपुर स्थित स्मॉल आर्म्स फैक्ट्री द्वारा बनाई गई लाइट मशीन गन (7.62 एमएम) भी प्रदर्शित की गई है. इसे चलाना पारंपरिक मशीन गन की तुलना में काफी आसान है. इसकी रेंज 800 मीटर है. 1200 एमएम लंबाई की इस गन का वजन 9.7 किलोग्राम है. इसका रेट ऑफ फायर 600 राउंड पर मिनट है. इसमें एक बाईपॉड भी लगा है, जिसे फोल्ड करके एडजस्ट किया जा सकता है.
इसमें बार-बार मैगजीन बदलने की जरूरत नहीं होती है. एक बार मैगजीन लगा देने के बाद जब बुलेट खत्म हो जाए तो उसमें नई मैगजीन जोड़ी जा सकती है, जिससे यह अनगिनत राउंड फायरिंग कर सकती है. स्मॉल आर्म्स फैक्ट्री के जूनियर वर्क्स मैनेजर एके राय ने बताया कि देश में पैरामिलिट्री फोर्स और पुलिस विभाग में इसकी आपूर्ति शुरू कर दी गई है. इसकी कीमत करीब साढ़े नौ लाख रुपए है और कम वजन होने के कारण सैनिकों और पुलिसकर्मियों के लिए इसे चलाना काफी आसान है.
नष्ट हो चुके डेटा को करता है रिकवर: एक्सपो में पोलैंड की डाटा इन्वेस्टिगेशन और डाटा रिकवरी कंपनी रूसोल्ट ने अपने हाई एफिशिएंसी डिवाइस कहां पर प्रदर्शित किए हैं. कंपनी की सीओओ ने बताया कि उनके पास ऐसी तकनीक है, जिससे कि मोबाइल लैपटॉप, कंप्यूटर, पेन ड्राइव, मेमरी कार्ड समेत किसी भी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का डाटा कहीं भी और कभी भी रिकवर किया जा सकता है.
उन्होंने बताया कि यूरोप कई देशों की पुलिस और खुफिया एजेंसियां उनकी डेटा रिकवरी तकनीक का इस्तेमाल करती है. उन्होंने बताया कि उनकी कंपनी पुलिस और खुफिया एजेंसियों के साथ ही प्राइवेट सेक्टर के लिए भी तकनीक उपलब्ध कराती है. इससे किसी भी नष्ट की गई डिवाइस का डाटा यह कुछ ही देर में रिकवर कर सकता है. कंपनी के द्वारा बनाए गए इस सॉफ्टवेयर से हर उस उपकरण का डाटा रिकवर हो सकता है, जिसमें सॉफ्टवेयर डाउनलोड किया जाए. वहीं विधि डेटा रिकवरी लैब के जिग्नेश जोशी ने बताया कि यह रिकवरी हाई कैपेसिटी मेमरी कार्ड के जरिए की जाती है.
एक घंटे तक उड़ने की क्षमता वाला हल्का ड्रोन: देश की सीमा की सुरक्षा हो या फिर आंतरिक सुरक्षा, पुलिस और सेना को निगरानी के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करना ही पड़ता है. लेकिन खराब मौसम में ज्यादातर ड्रोन काम नहीं कर पाते हैं. ऐसे में एलकॉम्पोनिक्स एयरोब कंपनी ने तवस विजन नाम का एक ऐसा ड्रोन बनाया है, जो कि सर्विलांस के क्षेत्र में काफी उन्नत है. कंपनी के मैनेजर जयंत सिन्हा ने बताया कि 1.82 मीटर लंबा और 16 किलो वजनी यह ड्रोन खराब मौसम में भी काम करता है और लाइव डाटा भेज सकता है.
यह ड्रोन एक बार में लगातार 50 मिनट तक उड़ सकता है और इसकी स्पीड 30 से 45 मीटर प्रति सेकंड है. यह चार किलोमीटर दूर तक का वीडियो शूट करके कमांड सेंटर को भेज सकता है और इससे 20 किलोमीटर तक कम्युनिकेट किया जा सकता है. इस ड्रोन के जरिए किसी भी तस्वीर को 10 गुना तक ज्यादा जूम करके भी लिया जा सकता है. इसके बावजूद पिक्चर क्वालिटी खराब नहीं होती. इसके अलावा भी कई तरह के ड्रोन प्रदर्शित किए गए हैं जो कि लॉजिस्टिक्स, मेडिकल और एग्रीकल्चर में इस्तेमाल हो रहे हैं.
डेढ़ करोड़ का माइन प्रोटेक्टेड व्हीकल: यहां व्हीकल फैक्ट्री जबलपुर की ओर प्रदर्शित की गई माइन प्रोटेक्टेड व्हीकल लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बना रहा. व्हीकल फैक्ट्री जबलपुर के चार्जमैन जितेंद्र कुमार ने बताया कि यह गाड़ी 12 सीटर होती है. इसमें एक ड्राइवर और एक को ड्राइवर के अलावा 10 सैनिक बैठ सकते हैं. इस गाड़ी में 12 फायर पॉइंट है. सभी लोग एक साथ फायरिंग भी कर सकते हैं और बारूदी सुरंग का भी इस गाड़ी पर कोई असर नहीं होता है.
इस गाड़ी की आपूर्ति भारतीय सेना के अलावा सीआरपीएफ, बीएसएफ और स्टेट पुलिस को भी की जाती है. सीमा पर बाहरी दुश्मनों से देश की रक्षा करना हो या देश में नक्सल प्रभावित इलाकों में नक्सलियों से लोहा लेना हो, हर जगह यह गाड़ी अपना कीर्तिमान स्थापित करती है. इस वाहन की कीमत लगभग डेढ़ करोड़ रुपये है. यह फोर बाई फोर गाड़ी है, यानी कि इसमें चारों पहियों में पावर होती है जिससे यह दुर्गम इलाकों और खड़ी चढ़ाई पर भी आराम से चलाई जा सकती है. जितेंद्र कुमार ने बताया कि इस वाहन का एक एक पुर्जा स्वदेशी तकनीक से देश में ही बना है. यह गाड़ी अन्य देशों की सेना को भी बेची जाती है.
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