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सांसद उदित राज ने पेश किया 4 गांवों के विकास का आंकड़ा - Sansad gram Yojna

भाजपा सांसद उदित राज ने कार्यकाल खत्म होने से पहले ही कहा कि वह काफी खुशी का अनुभव कर रहे हैं कि उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र में आने वाले तकरीबन 80 गांव में से आदर्श ग्राम योजना के तहत 4 गांव में विकास कार्य करा सके. इसका श्रेय उन्होंने योजना के लिए प्रत्येक गांव के लिए नियुक्त अलग-अलग महिलाओं को दिया.

बीजेपी सांसद उदित राज
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Published : Feb 20, 2019, 11:06 PM IST

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शुमार सांसद आदर्श ग्राम योजना उम्मीदों के अनुरूप परवान नहीं चढ़ सका. देश की राजधानी दिल्ली की ही बात करें तो यहां के सात भाजपा सांसदों को ही इसमें परेशानी हुई.

प्रधानमंत्री के आह्वान पर उन्होंने दिल्ली के अलग-अलग गांवों को तो गोद ले लिया था, लेकिन जमीनी स्तर पर जब काम करने के लिए उतरे तो कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा. जिसकी वजह से अधिकांश सांसद आदर्श गांव बनाने की योजना के पीछे हट गए. बकौल उदित राज छोड़कर पूरे देश की बात करें तो 70-80 फीसद सांसद इस योजना से पीछे हट गए.

उत्तर-पश्चिमी दिल्ली से भाजपा सांसद उदित राज ने कार्यकाल खत्म होने से पहले ही उन्होंने कहा कि वह काफी खुशी का अनुभव कर रहे हैं कि उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र में आने वाले तकरीबन 80 गांव में से आदर्श ग्राम योजना के तहत 4 गांव में विकास कार्य करा सके. इसका श्रेय उन्होंने योजना के लिए प्रत्येक गांव के लिए नियुक्त अलग-अलग महिलाओं को दिया.

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सांसद उदित राज ने पेश किया 4 गांवों के विकास का आंकड़ा

महिलाओं को दी जिम्मेदारी
उन्होंने कहा कि वह गांव में पैदा हुए इसीलिए गांव की सच्चाई से भली-भांति अवगत हैं. आज भी गांव में सबसे अधिक भेदभाव जाति, धर्म एवं ऊंच-नीच के आधार पर होता है. इसीलिए निर्देश दिया कि सभी को विकास के लिए एकजुट किया जाए. तभी गांव का सर्वांगीण विकास हो सकता है. उन्होंने महिलाओं और युवकों को प्रशिक्षित करके उन्हें मुख्यधारा में जुड़ने के निर्देश दिए और यह जिम्मेदारी जिन महिलाओं को दी उनका दावा है कि वह इसमें सफल हुए.

चार गांव के लिए 20 करोड़ का काम किए
दिल्ली के गांव में आज भी महिलाएं घूंघट करती हैं और पुरुषों के साथ नहीं उठती बैठती हैं. जबकि इन गांव की स्थिति बदल रही है. स्वच्छ भारत योजना का अनुसरण करते हुए इंसानों सांसद आदर्श गांव को खुले में शौच से मुक्ति के लिए 100 से अधिक घरों में शौचालय बनवाए गए. सांसद उदित राज ने कहा कि इस योजना के लिए कोई अलग से फंड का प्रावधान नहीं किया गया है, इसलिए थोड़ी सी शुरू में परेशानी हुई. लेकिन गांवों के विकास का संकल्प लिया और इन चारों गांव में लगभग 20 करोड़ रुपये के विकास कार्य किए गए.

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शुमार सांसद आदर्श ग्राम योजना उम्मीदों के अनुरूप परवान नहीं चढ़ सका. देश की राजधानी दिल्ली की ही बात करें तो यहां के सात भाजपा सांसदों को ही इसमें परेशानी हुई.

प्रधानमंत्री के आह्वान पर उन्होंने दिल्ली के अलग-अलग गांवों को तो गोद ले लिया था, लेकिन जमीनी स्तर पर जब काम करने के लिए उतरे तो कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा. जिसकी वजह से अधिकांश सांसद आदर्श गांव बनाने की योजना के पीछे हट गए. बकौल उदित राज छोड़कर पूरे देश की बात करें तो 70-80 फीसद सांसद इस योजना से पीछे हट गए.

उत्तर-पश्चिमी दिल्ली से भाजपा सांसद उदित राज ने कार्यकाल खत्म होने से पहले ही उन्होंने कहा कि वह काफी खुशी का अनुभव कर रहे हैं कि उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र में आने वाले तकरीबन 80 गांव में से आदर्श ग्राम योजना के तहत 4 गांव में विकास कार्य करा सके. इसका श्रेय उन्होंने योजना के लिए प्रत्येक गांव के लिए नियुक्त अलग-अलग महिलाओं को दिया.

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सांसद उदित राज ने पेश किया 4 गांवों के विकास का आंकड़ा

महिलाओं को दी जिम्मेदारी
उन्होंने कहा कि वह गांव में पैदा हुए इसीलिए गांव की सच्चाई से भली-भांति अवगत हैं. आज भी गांव में सबसे अधिक भेदभाव जाति, धर्म एवं ऊंच-नीच के आधार पर होता है. इसीलिए निर्देश दिया कि सभी को विकास के लिए एकजुट किया जाए. तभी गांव का सर्वांगीण विकास हो सकता है. उन्होंने महिलाओं और युवकों को प्रशिक्षित करके उन्हें मुख्यधारा में जुड़ने के निर्देश दिए और यह जिम्मेदारी जिन महिलाओं को दी उनका दावा है कि वह इसमें सफल हुए.

चार गांव के लिए 20 करोड़ का काम किए
दिल्ली के गांव में आज भी महिलाएं घूंघट करती हैं और पुरुषों के साथ नहीं उठती बैठती हैं. जबकि इन गांव की स्थिति बदल रही है. स्वच्छ भारत योजना का अनुसरण करते हुए इंसानों सांसद आदर्श गांव को खुले में शौच से मुक्ति के लिए 100 से अधिक घरों में शौचालय बनवाए गए. सांसद उदित राज ने कहा कि इस योजना के लिए कोई अलग से फंड का प्रावधान नहीं किया गया है, इसलिए थोड़ी सी शुरू में परेशानी हुई. लेकिन गांवों के विकास का संकल्प लिया और इन चारों गांव में लगभग 20 करोड़ रुपये के विकास कार्य किए गए.

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Intro:नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शुमार सांसद आदर्श ग्राम योजना उम्मीदों के अनुरूप परवान नहीं चढ़ सका. देश की राजधानी दिल्ली की ही बात करें तो यहां के सात भाजपा सांसदों को ही इसमें परेशानी हुई. प्रधानमंत्री के आह्वान पर उन्होंने दिल्ली के अलग-अलग गांवों को तो गोद ले लिया था, लेकिन जमीनी स्तर पर जब काम करने के लिए उतरे तो कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा. जिसकी वजह से अधिकांश सांसद आदर्श गांव बनाने की योजना के पीछे हट गए. बकौल उदित राज पूरे देश की बात करें तो 70-80 फीसद सांसद इस योजना से पीछे हट गए.




Body:उत्तर पश्चिमी दिल्ली से भाजपा सांसद उदित राज ने कार्यकाल खत्म होने से पहले ही सही उन्होंने कहा कि वह काफी खुशी का अनुभव कर रहे हैं कि उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र में आने वाले तकरीबन 80 गांव में से आदर्श ग्राम योजना के तहत 4 गांव में विकास कार्य करा सके. इसका श्रेय उन्होंने योजना के लिए प्रत्येक गांव के लिए नियुक्त अलग-अलग महिलाओं को दिया.

भाजपा सांसद उदित राज ने प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान अपने द्वारा गोद लिए गए 4 गांव उत्तर पश्चिमी दिल्ली के जौंती गांव जिसे रेखा वोहरा के नेतृत्व में आदर्श गांव बनाने की कोशिश की गई, तो वहीं योगिता भयाना के नेतृत्व में खामपुर गांव को तथा लहर सेठी के नेतृत्व में सलाहपुर माजरा और बुधनपुर माजरा दो गांव को आदर्श गांव योजना के लिए चुनकर वहां विकास कार्य कराए गए.

इसका लेखा-जोखा पेश करते हुए उदित राज ने बताया कि आदर्श ग्राम योजना का उद्देश्य संबंधित सांसद की देखरेख में चुनी हुई ग्राम पंचायत में रहने वाले लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाना है. इस योजना में सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए सार्वजनिक सेवाओं तक पहुंच में सुधार पर भी जोर दिया गया. योजना के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के सभी सांसदों को अपने कार्यकाल में 3 गांव गोद लेकर वहां विकास कार्य करने की अपील की थी. उन्होंने तीन की जगह चार गांव को आदर्श बनाने की दिशा में काम शुरू किया और इसकी जिम्मेदारी सिर्फ महिलाओं को दी. जो वास्तविक रूप से महिला सशक्तिकरण की मिसाल है.

उन्होंने कहा कि वह गांव में पैदा हुए इसीलिए गांव की सच्चाई से भली-भांति अवगत हैं. आज भी गांव में सबसे अधिक भेदभाव जाति, धर्म एवं ऊंच-नीच के आधार पर होता है. इसीलिए निर्देश दिया कि सभी को विकास के लिए एकजुट किया जाए. तभी गांव का सर्वांगीण विकास हो सकता है. उन्होंने महिलाओं और युवकों को प्रशिक्षित करके उन्हें मुख्यधारा में जुड़ने के निर्देश दिए और यह जिम्मेदारी जिन महिलाओं को दी उनका दावा है कि वह इसमें सफल हुए. दिल्ली के गांव में आज भी महिलाएं घूंघट करती हैं और पुरुषों के साथ नहीं उड़ती बैठती हैं. जबकि इन गांव की स्थिति बदल रही है. स्वच्छ भारत योजना का अनुसरण करते हुए इंसानों सांसद आदर्श गांव को खुले में शौच से मुक्ति के लिए 100 से अधिक घरों में शौचालय बनवाए गए.

सांसद उदित राज ने कहा कि इस योजना के लिए कोई अलग से फंड का प्रावधान नहीं किया गया है, इसलिए थोड़ी सी शुरू में परेशानी हुई. लेकिन गांवों के विकास का संकल्प लिया और इन चारों गांव में लगभग 20 करोड़ रुपये के विकास कार्य किए गए.

समाप्त, आशुतोष झा


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