नई दिल्ली: पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ पूर्व मंत्री एमजे अकबर की ओर से दायर मानहानि के मामले पर सुनवाई के दौरान शनिवार को प्रिया रमानी की ओर से वकील रेबेका जॉन ने कहा कि अकबर ने खुद स्वीकार किया है कि उनका अपने से बीस साल छोटी महिला से संबंध थे. जो उनकी अधीनस्थ थी, वो भी तब,जब अकबर शादीशुदा थे. इस मामले पर अगली सुनवाई 10 दिसंबर को होगी.
vogue मैगजीन में छपा था आलेख
सुनवाई के दौरान रेबेका जॉन ने प्रिया रमानी के लिखे 2017 के आलेख की चर्चा की. जिसमें किसी के नाम का उल्लेख नहीं है. हालांकि 2018 में जब रमानी ने ट्वीट किया तो इस आलेख को अटैच किया.उन्होंने कहा कि पहले चार पैराग्राफ अकबर को रेफर कर रहे थे. जबकि बाकी पैराग्राफ सामान्यत: पुरुष बॉसों के लिए थे. जॉन ने वोग (Vogue) मैगजीन के आलेख का हवाला किया. उन्होंने अकबर के इस बयान को खारिज किया जिसमें अकबर ने कहा था कि पूरा आलेख उनके लिए है.
केवल रमानी की ही शिकायत की, बाकी महिलाओं की नहीं
रेबेका जॉन ने प्रिया रमानी के ट्वीट के जवाब में सबा नकवी, हरिंदर बावेजा, अंजू भारती, सुपर्णा शर्मा की ओर से साझा किए गए अनुभवों का जिक्र किया. उन्ही अनुभवों में रमानी ने बताया कि कैसे उन्हें इंटरव्यू के लिए होटल के कमरे में बुलाया गया. तब कोर्ट ने पूछा कि क्या एमजे अकबर ने दूसरों के खिलाफ भी शिकायत की है. तब जॉन ने कहा कि नहीं, उन्होंने केवल रमानी को ही शिकायत करने के लिए चुना जबकि उन्होंने ये स्वीकार किया था कि दूसरों की शिकायतों का भी उन्हें पता है.
महिला के सार्वजनिक स्वीकृति से पारिवारिक जीवन तबाह हो गया
रेबेका जॉन ने कहा कि अकबर ने 23 साल पहले एक महिला से सहमति पूर्वक अपने संबंधों को स्वीकार किया था. अकबर की पत्नी ने कहा था कि उस महिला के सार्वजनिक स्वीकृति के उनकी पारिवारिक जीवन तबाह हो गया है. उन्होंने कहा कि हमारा ये बताने का मतलब है कि इतनी अच्छी छवि का दावा करने वाले व्यक्ति ऐसा करेगा. आखिर वो बीस साल छोटी महिला के साथ रिलेशनशिप में कैसे हो सकते हैं. जॉन ने कहा कि अकबर को यह भी याद नहीं है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने उन्हें अवमानना का दोषी पाया था. वो अब राजनीतिज्ञ हो गए हैं जो पहले पत्रकार थे.
कई महिलाएं आगे आई थीं
पिछले 2 दिसंबर को सुनवाई के दौरान प्रिया रमानी की ओर से वकील रेबेका जॉन ने कहा कि एमजे अकबर के खिलाफ कई महिलाएं आगे आई थी. रेबेका जॉन ने अकबर के समर्थन में आए गवाहों के बयानों का विरोध करते हुए कहा था कि ये मानहानि के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 499 के तहत नहीं आते. उन्होंने कहा था कि रमानी ने वोग(vogue) मैगजीन में अपने साथ हुई घटना का जिक्र किया.
मानहानि का मामला नहीं बनता
रेबेका जॉन ने कहा था कि रमानी के ट्वीट से आपराधिक मानहानि का मामला नहीं बनता है. उन्होंने कहा था कि इस मामले में साक्ष्यों को को अलग तरीके से देखना होगा और सुप्रीम कोर्ट के मानकों के मुताबिक होना चाहिए. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक शिकायतकर्ता को अपना केस संदेह से परे साबित करना होगा. रेबेका जॉन ने कहा था कि रमानी को जो नोटिस जारी किया गया था. उसमें पूरे आलेख को मानहानि वाला बताया गया था. सुनवाई के दौरान रेबेका जॉन ने कोर्ट को दिल्ली हाईकोर्ट के एक आदेश की प्रति दिखाई जो अकबर के संपादक रहते हुए कोर्ट की अवमानना से संबंधित था.
समझौते की गुंजाइश नहीं
पहले की सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों ने समझौते की किसी भी गुंजाइश से इनकार किया था. पिछले 24 नवंबर को सुनवाई के दौरान एमजे अकबर की ओर से वकील गीता लूथरा ने मामले की पृष्ठभूमि का ब्योरा देते हुए कहा था कि एमजे अकबर का काफी सफल करियर था. उनकी छवि काफी अच्छी है. उनकी छवि न केवल प्रोफेशनल क्षेत्र में बल्कि निजी जीवन में भी साफ-सुथरी रही है. उन्होंने कठिन मेहनत से ये मुकाम पाया है. लूथरा ने कहा था कि प्रिया रमानी ने एमजे अकबर की छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की. वोग (Vogue) मैगजीन में जो लेख एक साल पहले छपा उसके बारे में बताया कि वो एमजे अकबर के बारे में था. लूथरा ने कहा कि किसी की छवि उसकी जीवन से ज्यादा महत्वपूर्ण है.
2018 में दायर किया था मामला
एमजे अकबर ने 15 अक्टूबर 2018 को प्रिया रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था. उन्होंने प्रिया रमानी द्वारा अपने खिलाफ यौन प्रताड़ना का आरोप लगाने के बाद ये आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है. 18 अक्टूबर 2018 को कोर्ट ने एमजे अकबर की आपराधिक मानहानि की याचिका पर संज्ञान लिया था. 25 फरवरी 2019 को कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और पत्रकार एमजे अकबर द्वारा दायर आपराधिक मानहानि के मामले में पत्रकार प्रिया रमानी को जमानत दी थी. कोर्ट ने प्रिया रमानी को दस हजार रुपए के निजी मुचलके पर जमानत दी थी. कोर्ट ने 10 अप्रैल 2019 को प्रिया रमानी के खिलाफ आरोप तय किए थे.