नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में देर रात जब नए साल का जश्न मना रहे थे, तभी हरियाणा के झज्जर में आए भूकंप से दिल्ली एनसीआर में भी हल्के झटके (Mild tremors of earthquake in Delhi) लोगों ने महसूस किए. शनिवार रात 1:19 बजे भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए. रिएक्ट स्केल पर इसकी तीव्रता 3.8 दर्ज की गई है. भूकंप का केंद्र हरियाणा का झज्जर था. इसकी गहराई जमीन के 5 किसी नीचे थी. राहत की बात यह है कि अभी तक भूकंप से किसी के हताहत होने की खबर नहीं है. इससे पहले बीते वर्ष में 29 नवंबर 2022 को रिक्टर स्केल पर 2.5 और 12 नवंबर को 5.4 तीव्रता का भूकंप आया था. दिल्ली में भूकंप के झटके लोगों ने महसूस किया था.
नेशनल सेंटर ऑफ सिस्मोलॉजी (National Center of Seismology) के अनुसार भूकंप जिनकी तीव्रता 4.0 से कम होती है उनसे नुकसान की संभावना बेहद कम होती है. चूंकि आज जो भूकंप आया है उसकी तीव्रता बहुत ही कम थी, इसलिए लोगों को पता नहीं चला. यह हल्की एडजेस्टमेंट का नतीजा है जो खतरनाक नहीं होते. दिल्ली के आसपास ऐसी कोई फॉल्ट प्लेट नहीं है, जिसपर प्रेशर इस समय काफी ज्यादा हो. इसी वजह से इसे सिस्मिक जोन 4 में रखा गया है.
अधिक तीव्रता होने पर इन इलाकों में अधिक खतरा: दिल्ली तीन सबसे एक्टिव सिस्मिक फॉल्ट लाइंस पर स्थित है इसमें सोहना फॉल्ट लाइन, मथुरा फॉल्ट लाइन और दिल्ली-मुरादाबाद फॉल्ट लाइन. इसके अलावा गुरुग्राम भी सात सबसे एक्टिव सिस्मिक फॉल्ट लाइन पर स्थित है जो दिल्ली के अलावा एनसीआर को भी सबसे खतरनाक एरिया बनाता है. अगर इनमें से कोई भी लाइन एक्टिव होता है तो इससे 7.5 की तीव्रता वाला भूकंप आने की आशंका है.
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क्यों आता है भूकंपः हिमालय की टेक्टोनिक प्लेटों में होने वाले बदलावों की वजह से यहां झटके लगते रहते हैं. हिमालय के नीचे लगातार हो रही हलचल से धरती पर दबाव बढ़ता है जो भूकंप की शक्ल लेता है. धरती के नीचे छोटी मोटी हलचल से बड़े भूकंप का खतरा टला नहीं है. ऐसे में भविष्य में बड़ा भूकंप आने की आशंका है.
एशियाई भूकंपीय आयोग सिंगापुर की चेतावनी गंभीर है: हिमालय रीजन में पिछले लंबे समय से छोटे भूकंप जरूर आ रहे हैं, लेकिन बड़ा भूकंप नहीं आया है. अगर 1905 में हिमाचल के कांगड़ा में आए भूकंप की बात करें तो उस भूकंप की तीव्रता 7.8 रिक्टर स्केल पर थी. वहीं, नेपाल में आए भूकंप के बाद से उत्तर पश्चिमी हिमालय रीजन में कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है. अब ऐसे में वैज्ञानिक इस बात का दावा जरूर कर रहे हैं कि क्षेत्र में यानी उत्तराखंड रीजन में बड़ा भूकंप आ सकता है. लेकिन कब आएगा यह तय नहीं है. लेकिन आएगा जरूर, इस बात का दावा जरूर कर रहे हैं.
दरअसल भूकंपीय क्षेत्र का उपयोग उस क्षेत्र का वर्णन करने के लिए किया जाता है जहां भूकंप केंद्रित होते हैं. भूकंप एक टेक्टोनिक गति है जो पृथ्वी के आंतरिक भाग के अंदर अंतर्जात (पृथ्वी के भीतर उत्पन्न) तापीय स्थितियों के कारण होती है जो पृथ्वी की सतह परत के माध्यम से प्रेषित होती हैं. भारतीय मानक ब्यूरो ने देश को चार भूकंपीय क्षेत्रों अर्थात जोन- II, जोन- III, जोन- IV और जोन-V में बांटा है. इन सभी चार क्षेत्रों में से जोन-V सबसे अधिक भूकंपीय सक्रिय क्षेत्र है जबकि जोन-II सबसे कम है.
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