नई दिल्ली: देशभर में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे थे. दिल्ली में कोरोना अपना विकराल रूप धारण किए हुए था. जिसे रोकने के लिए दिल्ली सरकार अपनी पूरी कोशिश कर रही थी, लेकिन हर सरकार इसे रोकने में नाकाम साबित हो रही थी. जिसके बाद दिल्ली सरकार ने 23 अप्रैल को एक दिन के लिए जनता कर्फ्यू लगाया था. जिसके अगले दिन से दिल्ली में 6 दिनों का लॉकडाउन किया गया.
जिसको लेकर प्रवासी मजदूरों में अफरा तफरी का माहौल पैदा हो गया और प्रवासी मजदूर 2020 में लगाए गए लॉकडाउन को ध्यान में रखते हुए अपने घरों की ओर चल दिए. जिसकी वजह से बस अड्डों, रेलवे स्टोशनों पर भीड़ लगनी शुरू हो गई. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राजधानी में एक हफ्ते की लॉकडाउन की घोषणा करते हुए प्रवासी लोगों से दिल्ली नहीं छोड़कर जाने की अपील की थी और कहा 'मैं हूं ना', लेकिन उसके बाद हजारों लोगों को अपने घर रवाना होने के लिए बस पाने की कोशिश करते देखा गया.
इससे पहले केजरीवाल ने दिन में लॉकडाउन की घोषणा करते हुए राजधानी में रहने वाले बाहरी कामगारों से अपील की थी कि यह लॉकडाउन छोटा रहने की उम्मीद है, इसलिए वे दिल्ली छोड़कर नहीं जाएं.
लगभग दिल्ली में लॉकडाउन लगे हुए 1 महीना हो गया है. साथ ही दिल्ली में कोरोना के मामलों में भी कमी हो गई है. पहले जहां 1 दिन में 23 से 24 हजार मामले सामने आ रहे थे, वहीं अब 3 से 4 हजार के बीच ही मामले सामने आ रहे हैं. जिसको देखते हुए उम्मीद जताई जा रही है कि दिल्ली को अब अनलॉक किया जा सकता है.
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वहीं दिल्ली से लॉकडाउन के दौरान अपना कारोबार छोड़ घरों को लौटे प्रवासी मजदूर भी कोरोना के मामलों में आई कमी को देखते हुए अब दिल्ली लौटने लगे हैं. इसी को लेकर एक प्रवासी मजदूर रईस का कहना है कि मैं बिहार का रहने वाला हूं, दिल्ली में कोरोना के मामलों में आ रही कमी को देखते हुए वापस अपने काम के लिए लौट आया हूं. साथ ही अन्य प्रवासी मजदूर सुरेंद्र ने कहा कि दिल्ली में कोरोना के नए मामलों में गिरावट आई है. इसी वजह से मैं दिल्ली वापास आया हूं.
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अब देखना ये होगा कि क्या दिल्ली सरकार दिल्ली को अनलॉक करेगी या दिल्ली में लॉकडाउन जारी रहेगा और क्या कुछ छुट दी जाएगी.