दक्षिणी दिल्लीः देशभर में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए 21 दिन का लॉकडाउन घोषित किया गया है. इसी बीच भारी संख्या में राजधानी समेत तमाम राज्यों से प्रवासी मजदूरों का पलायन जारी है. अचानक से महानगरों में रहने वाले दिहाड़ी मजदूर अपने गांव के लिए पैदल ही निकल पड़े हैं. लॉकडाउन के कारण परिवहन सेवा को बंद रखा गया है. जिसके बाद ही मजदूर पैदल ही अपने घरों तक जा रहे हैं.
पुष्प विहार में करते थे मजदूरी
हालांकि मजदूरों की इस समस्या को देखते हुए सरकार की तरफ से कुछ बसें चलाई गई हैं. प्रवासी मजदूरों को उनके घरों तक छोड़ा जा रहा है, लेकिन कई ऐसे मजदूर हैं, जो कि पैदल ही अपने घरों तक निकल रहे हैं. दिल्ली के पुष्प विहार में दिहाड़ी मजदूरी करने वाले मोजि लाल ने बताया की यहां अब कोई काम-धंधा नहीं रहा, इसलिए वह अपने गांव झांसी जा रहे हैं. वहां पर खेती-बाड़ी करके अपने परिवार का पेट पालेंगे.
'गांव में खेती कर पेट पालेंगे'
पलायन करने वालों में महिला मजदूर भी थी, उनका कहना था कि अपने गांव जाकर कम से कम अपने परिवार का पेट पालने का कोई सहारा तो मिलेगा. खेती-बाड़ी से ही सही कुछ राहत मिलेगी. लेकिन यहां तो सब कुछ बंद कर दिया गया है. उन्होंने कहा की हम अपने बच्चों का पेट पालने के लिए यहां रहकर सरकार की मदद का इंतजार नहीं कर सकते. इससे अच्छा है कि हम अपने गांव जाकर अपनी मदद खुद करें.
500 किलोमीटर चलना पडे़गा पैदल
इन मजदूरों के साथ उनके बच्चे भी थे जो कि इतनी लंबी यात्रा करने के लिए ही घर से निकल पड़े हैं. बच्चों कहना कहना था कि पैरों में दर्द हो रहा है भूख भी लग रही है. अगर दिल्ली से झांसी की दूरी की बात करें तो 477 किलोमीटर है और पैदल इसे पार करने के लिए करीब 5 दिन इन मजदूरों को लगेंगे. मजदूरों ने कहा कि सरकार हमारी मदद करती तो, हमें कम से कम हमारे गांव तक पहुंचा देती.