नई दिल्ली: साल 2020 दिल्ली नगर निगम के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं रहा है. जबकि 2021 की शुरूआत भी दिल्ली नगर निगम के लिए अच्छी नहीं रही है. लगातार वित्तीय बदहाली से दिल्ली नगर निगम जूझ रही है. जहां एक तरफ दिल्ली नगर निगम के तीनों भाग उत्तरी दिल्ली नगर निगम, दक्षिणी दिल्ली नगर निगम और पूर्वी दिल्ली नगर निगम पिछले साल खराब वित्तीय हालात से लड़ते नजर आए.
दिल्ली सरकार और निगम के बीच में फंड को लेकर खींचतान सरेआम देखने को मिली और दिल्ली नगर निगम के साथ-साथ दिल्ली सरकार का भी सोशल मीडिया पर मजाक बनता नजर आया. फंड की खींचतान के चलते ना तो दिल्ली में कोई विकास कार्य हो पाया और ना ही राजधानी दिल्ली की जनता को मूलभूत सुविधाएं सही तरीके से मिल पाईं. इस खींचतान का दिल्ली की जनता और निगम कर्मचारियों को खामियाजा भुगतना पड़ा है.
पढ़ें- ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट, आसान भाषा में जानें बजट की ABCD
अब बजट से उम्मीदें
8 मार्च से दिल्ली सरकार ने विधानसभा में विशेष बजट सत्र बुलाया है. जिसमें दिल्ली के बजट के ऊपर ना सिर्फ चर्चा होगी, बल्कि दिल्ली का बजट भी पेश किया जाएगा.
नॉर्थ एमसीडी के मेयर जयप्रकाश ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान स्पष्ट तौर पर कहा कि दिल्ली सरकार और नगर निगम के बीच में भले ही फंड को लेकर खींचतान चल रही हो लेकिन अभी भी नगर निगम में शासित भाजपा की सरकार की दिल्ली सरकार के द्वारा पेश किए जाने वाले बजट से काफी उम्मीदें हैं.
मेयर जयप्रकाश ने कहा कि नगर निगम दिल्ली की जनता को सभी जरूरी सुविधाएं मुहैया कराती है, जिसके मद्देनजर निगम को उसकी जरूरतों के हिसाब से मिलना चाहिए.
पढ़ें- केजरीवाल सरकार के बजट से सभी को उम्मीदें, विपक्ष ने भी दिए सुझाव
कोरोना के चलते अधर में लटके विकास कार्य
पिछले साल मार्च के महीने से लॉक डाउन लगने के साथ ही दिल्ली नगर निगम की किस्मत पर भी लॉक लग गया. ना तो निगम भली-भांति तरीके से अपना राजस्व अर्जित कर पाया और ना ही विकास कार्यों की रफ्तार को भलीभांति तरीके से बड़ा पाया.
दिल्ली के विकास कार्य इस साल कोरोना की वजह से अधर में लटके नजर आए. 8 मार्च से शुरू हो रहे बजट सत्र में उम्मीद है कि इस बार के बजट में दिल्ली नगर निगम को भी पर्याप्त मात्रा में फंड दिया जाएगा जिससे कि दिल्ली के रुके हुए विकास कार्य दोबारा शुरू हो सके.
मूलभूत सेवाओं पर भी पड़ा असर
आर्थिक बदहाली का दिल्ली नगर निगम द्वारा दी जाने वाली मूलभूत सुविधाओं के ऊपर भी इसका असर देखा गया. पार्किंग,स्वास्थ्य सुविधाएं,स्कूल,साफ-सफाई, खुले में शौच मुक्त कुछ ऐसे मुद्दे हैं. जिसके ऊपर दिल्ली नगर निगम कहीं ना कहीं पूर्ण रूप से विफल होती नजर आई.
उम्मीद है कि दिल्ली सरकार द्वारा पेश किए जाने वाले बजट में फंड मिलने के बाद नगर निगम मूलभूत सुविधाओं के ऊपर ना सिर्फ बेहतर तरीके से काम कर पाएगी बल्कि जनता तक इन सुविधाओं का लाभ भी पहुंचेगा.
स्वच्छता रैंकिंग में दिल्ली नगर निगम का बुरा हाल
आर्थिक बदहाली का बुरा असर दिल्ली नगर निगम की स्वच्छता सर्वेक्षण रैंकिंग में भी देखने को मिला.जिसमें नगर निगम पिछले वर्षों के मुकाबले अपने सबसे निचले स्तर पर आ गई. सिर्फ साउथ एमसीडी ही दिल्ली नगर निगम की इज्जत कहीं ना कहीं बचा पाई.
8 तारीख से शुरू हो रहे बजट सत्र में यदि दिल्ली सरकार के द्वारा निगम को जरूरत के मुताबिक फंड जारी किया जाता है तो निगम स्वच्छता के क्षेत्र में काम करके अपनी रैंकिंग में सुधार ला सकेगी.
कर्मचारियों का वेतन बना बड़ी समस्या
दिल्ली नगर निगम में कार्यरत कर्मचारियों का वेतन पिछले कुछ महीनों से निगम की सबसे बड़ी परेशानी बना हुआ है.दरअसल निगम के पास राजस्व की कमी है. जिसकी वजह से कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिल पा रहा है.
यदि दिल्ली सरकार के बजट में निगम को कर्मचारियों के वेतन के मद्देनजर अतिरिक्त फंड मिलता है. तो इससे यह परेशानी दूर हो सकती है.दिल्ली नगर निगम को अपने कर्मचारियों का बकाया वेतन ओर एरियर के रूप में लगभग 5000 करोड़ रुपए की बड़ी राशि देनी है.
जनता के हितों के लिए नई योजनाएं
दिल्ली नगर निगम के द्वारा लगातार जनता के हितों को लेकर योजनाएं लाई जा रही है. लेकिन फंड की कमी के चलते नई योजनाओं को अमली जामा पहनाना निगम के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है. यदि दिल्ली सरकार के द्वारा बजट के अंदर दिल्ली नगर निगम के लिए पर्याप्त राजस्व का प्रावधान किया गया तो इससे सभी योजनाएं जमीनी स्तर पर आ पाएंगी.
निगम कर्मचारियों का धरना रहा पूरे साल की हाईलाइट
पिछले काफी लंबे समय से निगम कर्मचारियों का वेतन की मांग को लेकर हड़ताल पर जाना और धरना प्रदर्शन करना अभी भी यह बदस्तूर जारी है. यदि बजट के अंदर दिल्ली सरकार के द्वारा निगम कर्मचारियों के वेतन के मद्देनजर फंड का प्रावधान किया जाता है. तो निगम कर्मचारियों के वेतन को लेकर सभी परेशानियां दूर होंगी और कर्मचारियों को हड़ताल पर भी जाना नहीं पड़ेगा. जिसके बाद निगम के कामकाज की रफ्तार भी तेज होगी और दिल्ली का भी विकास होगा.