नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम का बजट इस बार कई मायनों में अहम माना जा रहा है. क्योंकि 10 साल बाद एकीकृत एमसीडी का बजट इस साल पेश किया जाएगा. इस बजट को ना ही अब कमिश्नर सदन में पढ़ेंगे और ना ही तब पार्षद सदन में होंगे. एमसीडी चुनाव के नतीजे भले आ चुके हैं, पार्षदों ने शपथ तक ग्रहण कर लिया, लेकिन मेयर का चुनाव संपन्न नहीं होने से इसे विशेष अधिकारी को भेज दिया गया है.
अब विशेष अधिकारी स्वीकृति प्रदान कर उपराज्यपाल के पास अंतिम मंजूरी के लिए भेजेंगे. परिसीमन के बाद नए स्वरूप में आए दिल्ली नगर निगम में मेयर चुनाव अभी नहीं हुआ है. ऐसे में लंबे समय बाद ऐसा होने जा रहा है कि आगामी वित्त वर्ष के मद्देनजर दिसंबर में एमसीडी कमिश्नर द्वारा पेश बजट को एमसीडी के विशेष अधिकारी अश्विनी कुमार स्वीकृति प्रदान करेंगे.
लगातार तीन बार हंगामे की वजह से टलने वाले मेयर चुनाव की नई तारीख 16 फरवरी निर्धारित की गई है. लेकिन दिल्ली म्युनिसिपल एक्ट 1957 के तहत नए वित्त वर्ष के लिए निगम बजट को 15 फरवरी तक मंजूरी मिलने का प्रावधान है. इसलिए अब विशेष अधिकारी ही इसे स्वीकृति प्रदान करेंगे. नए वित्त वर्ष के बजट में एमसीडी को अपने खर्चे चलाने के लिए कई फैसले कड़ाई से लेने होंगे. निगम की आमदनी का मुख्य स्रोत संपत्ति कर से होने वाले आमदनी है, लेकिन चालू वित्त वर्ष में निगम को संपत्ति कर से अनुमान से काफी कम आमदनी हुई है. इसे पाटना सत्ता में पूर्ण बहुमत हासिल कर आई आम आदमी पार्टी के सामने बड़ी चुनौती होगी.
2021-22 में दिल्ली नगर निगम को संपत्ति कर से कुल 2037.60 करोड़ रुपये की आमदनी हुई थी, जो चालू वित्त वर्ष 2022-23 में घटकर 15 नवंबर तक 1387.37 करोड़ रुपये रह गई है. संपत्ति कर में आम माफी योजना लाने के बाद भी अनुमान के मुताबिक संपत्ति का संग्रह नहीं हुआ है. इसलिए कयास लगाए जा रहे हैं कि नए वित्त वर्ष में आमदनी बढ़ाने के लिए सत्ता में काबिज राजनीतिक दल को कड़े फैसले लेने पड़ेंगे.
दिल्ली नगर निगम ने कुल 16023. 55 करोड़ रुपये का बजट पेश किया है, जिसमें से 27.87 फीसद यानी 4465.85 करोड़ रुपये साफ-सफाई, स्वच्छता के मद में सर्वाधिक खर्च किए जाने के लिए आवंटित किया है. दिल्ली नगर निगम बजट में सामान्य प्रशासन की खर्चों को, जिसमें कर्मचारियों की वेतन व ऑफिस आदि के खर्चे हैं. उस मद में 20.82 फीसद 3335. 84 करोड़ रुपये बजट का प्रावधान किया गया है. तीसरे पायदान पर कुल बजट का 17.77 प्रतिशत यानी 2847.83 करोड़ रुपये शिक्षा के मद में खर्च करने का प्रावधान किया गया है और चौथे पायदान पर स्वास्थ्य में कुल बजट का 10.73 फीसद यानी 1719.49 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रावधान रखा गया है.
दिल्ली नगर निगम में बजट की प्रक्रिया दो महीने तक चलती है. सबसे पहले अधिकारी बजट तैयार करते हैं. जिसके बाद निगम कमिश्नर उसे बजट में पेश करते हैं. गत 8 दिसंबर को दिल्ली नगर निगम के कमिश्नर ज्ञानेश भारती ने बजट पेश किया था. इस बजट को पेश होने पर स्थाई समिति में इस पर चर्चा होती है फिर उसे निगम सदन में पेश किया जाता है उसमें कमिश्नर द्वारा पेश बजट में सभी पार्षद अपनी सुझाव देते हैं, जिसके बाद से बजट पास किया जाता है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ. मेयर चुनाव की अगली तारीख 16 फरवरी है बजट एक निश्चित अवधि तय होती है जिसमें उसे पारित करवाना होता है. ऐसे में इस प्रक्रिया को देखते हुए विशेष अधिकारी इस बार बजट को अंतिम मंजूरी देकर उपराज्यपाल के पास भेजेंगे.
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