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सीलिंग पर ईटीवी भारत से बोले व्यापारी- जबरन फैसला थोपा जा रहा, हमारी कोई नहीं सुन रहा - ngt

व्यापारियों का कहना है कि वो बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन उनकी कोई सुनता नहीं है बस आकर उनसे बदसलूकी की जाती है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में इन व्यापारियों ने पूरे दिन के घटनाक्रम को साझा किया तो साथ ही अपना पक्ष भी रखा है.

सीलिंग पर ईटीवी भारत से बोले व्यापारी- जबरन फैसला थोपा जा रहा, हमारी कोई नहीं सुन रहा
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Published : Apr 13, 2019, 10:47 PM IST

नई दिल्ली: मायापुरी में सीलिंग घटनाक्रम को लेकर जहां एक तरफ खूब राजनीति हो रही है. वहीं, इसके विपरीत प्रदर्शनकारी व्यापारी खासे परेशान हैं. ईटीवी भारत से बातचीत में अपना पक्ष रखते हुए मायापुरी के इन व्यापारियों का कहना है कि इनकी सुनने वाला कोई नहीं है और बिना नोटिस और गाइडलाइन के उनके ऊपर सीलिंग ड्राइव के फैसले को थोपा जा रहा है.

इन व्यापारियों का कहना है कि वो बातचीत के लिए तैयार हैं, उनकी कोई सुनता नहीं है बस आकर उनसे बदसलूकी की जाती है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में इन व्यापारियों ने पूरे दिन के घटनाक्रम को साझा किया तो साथ ही अपना पक्ष भी रखा है.

'शुक्रवार रात भेजे गए थे जुर्माने के नोटिस'
व्यापारियों ने ईटीवी भारत को बताया कि शुक्रवार रात ही एनवायरनमेंट डैमेज कंपनसेशन के नाम पर 1-1 लाख का जुर्माना भरने के नोटिस भेजे गए थे.
इसके लिए 15 दिन का समय भी दिया गया था, जबकि शनिवार सुबह मार्किट में व्यापारी इस मुद्दे पर बातचीत कर पाते उससे पहले ही सीलिंग दस्ता भारी पुलिस बल के साथ आकर सीलिंग करने के लिए पहुंच गया. जबकि सीलिंग को लेकर कोई सूचना नहीं दी गई थी.

'सुरक्षा जवानों ने की बदसलूकी'
व्यापारियों का आरोप है कि सुरक्षा जवानों ने सबसे पहले आकर उनके साथ बदसलूकी की. किसी का कॉलर पकड़ कर उसे हटाया जा रहा था तो किसी को थप्पड़ मार कर भगाया जा रहा था. ऐसे में विरोध हुआ और ये विरोध हिंसक झड़प में बदल गया.

'रातों-रात हम कैसे बन गए बढ़ते प्रदूषण का कारण'
व्यापारियों की मानें तो वो NGT के हर आदेश का सम्मान करते हैं लेकिन उन्हें समझ नहीं आ रहा कि 1975 से चल रही दुकानें रातों-रात कैसे प्रदूषण का कारण बन सकती हैं.
व्यापारियों की मानें तो एजेंसियां अपनी नाकामी छुपाने के लिए व्यापारियों पर सीलिंग थोप रही हैं. बिना किसी सर्वे या जांच के लगभग 800 दुकानों को सील करने की बात कही जा रही है.

सीलिंग पर ईटीवी भारत से बोले व्यापारी- जबरन फैसला थोपा जा रहा, हमारी कोई नहीं सुन रहा

'राजनीति से नहीं कोई मतलब'
सीलिंग पर चल रही सियासत बयानबाजी पर इन व्यापारियों का कहना है कि उन्हें इस राजनीति से कोई मतलब नहीं है, उन्हें अपने कारोबार की चिंता है.
व्यापारियों ने तमाम राजनीतिक दलों को निशाने पर लेते हुए कहा कि जो भी व्यापारियों को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करेगा उसे चुनाव में इसका नतीजा भी दिख जाएगा.

'बैठकर बातचीत करने के लिए तैयार'
मायापुरी के व्यापारियों का कहना है कि वो भी दिल्ली में रह रहे हैं और पर्यावरण संबंधी हर जरूरत को समझते हैं, लेकिन अचानक लाखों लोगों की रोजी-रोटी खत्म कर देना इसका समाधान नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि वो इसके लिए बातचीत करना चाहते हैं और इसका समाधान चाहते हैं.

नई दिल्ली: मायापुरी में सीलिंग घटनाक्रम को लेकर जहां एक तरफ खूब राजनीति हो रही है. वहीं, इसके विपरीत प्रदर्शनकारी व्यापारी खासे परेशान हैं. ईटीवी भारत से बातचीत में अपना पक्ष रखते हुए मायापुरी के इन व्यापारियों का कहना है कि इनकी सुनने वाला कोई नहीं है और बिना नोटिस और गाइडलाइन के उनके ऊपर सीलिंग ड्राइव के फैसले को थोपा जा रहा है.

इन व्यापारियों का कहना है कि वो बातचीत के लिए तैयार हैं, उनकी कोई सुनता नहीं है बस आकर उनसे बदसलूकी की जाती है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में इन व्यापारियों ने पूरे दिन के घटनाक्रम को साझा किया तो साथ ही अपना पक्ष भी रखा है.

'शुक्रवार रात भेजे गए थे जुर्माने के नोटिस'
व्यापारियों ने ईटीवी भारत को बताया कि शुक्रवार रात ही एनवायरनमेंट डैमेज कंपनसेशन के नाम पर 1-1 लाख का जुर्माना भरने के नोटिस भेजे गए थे.
इसके लिए 15 दिन का समय भी दिया गया था, जबकि शनिवार सुबह मार्किट में व्यापारी इस मुद्दे पर बातचीत कर पाते उससे पहले ही सीलिंग दस्ता भारी पुलिस बल के साथ आकर सीलिंग करने के लिए पहुंच गया. जबकि सीलिंग को लेकर कोई सूचना नहीं दी गई थी.

'सुरक्षा जवानों ने की बदसलूकी'
व्यापारियों का आरोप है कि सुरक्षा जवानों ने सबसे पहले आकर उनके साथ बदसलूकी की. किसी का कॉलर पकड़ कर उसे हटाया जा रहा था तो किसी को थप्पड़ मार कर भगाया जा रहा था. ऐसे में विरोध हुआ और ये विरोध हिंसक झड़प में बदल गया.

'रातों-रात हम कैसे बन गए बढ़ते प्रदूषण का कारण'
व्यापारियों की मानें तो वो NGT के हर आदेश का सम्मान करते हैं लेकिन उन्हें समझ नहीं आ रहा कि 1975 से चल रही दुकानें रातों-रात कैसे प्रदूषण का कारण बन सकती हैं.
व्यापारियों की मानें तो एजेंसियां अपनी नाकामी छुपाने के लिए व्यापारियों पर सीलिंग थोप रही हैं. बिना किसी सर्वे या जांच के लगभग 800 दुकानों को सील करने की बात कही जा रही है.

सीलिंग पर ईटीवी भारत से बोले व्यापारी- जबरन फैसला थोपा जा रहा, हमारी कोई नहीं सुन रहा

'राजनीति से नहीं कोई मतलब'
सीलिंग पर चल रही सियासत बयानबाजी पर इन व्यापारियों का कहना है कि उन्हें इस राजनीति से कोई मतलब नहीं है, उन्हें अपने कारोबार की चिंता है.
व्यापारियों ने तमाम राजनीतिक दलों को निशाने पर लेते हुए कहा कि जो भी व्यापारियों को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करेगा उसे चुनाव में इसका नतीजा भी दिख जाएगा.

'बैठकर बातचीत करने के लिए तैयार'
मायापुरी के व्यापारियों का कहना है कि वो भी दिल्ली में रह रहे हैं और पर्यावरण संबंधी हर जरूरत को समझते हैं, लेकिन अचानक लाखों लोगों की रोजी-रोटी खत्म कर देना इसका समाधान नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि वो इसके लिए बातचीत करना चाहते हैं और इसका समाधान चाहते हैं.

Intro:नई दिल्ली:
मायापुरी इलाके में सीलिंग करने पहुंचे दस्ते के साथ हुई हिंसक झड़प के बाद पहली बार यहां के व्यापारियों का पक्ष सामने आया है. इनका कहना है कि उनके ऊपर सीलिंग थोपी जा रही है जबकि सच्चाई है कि उन्हें न तो पहले से इस संबंध में कोई सूचना दी गई थी और न ही उन्हें बताया गया कि एक दिन पहले जुर्माने का नोटिस देकर सीलिंग क्यों की जा रही है. व्यापारियों ने साफ किया है कि वो बातचीत के लिए तैयार हैं लेकिन कोई बात करता नहीं है, "बस आते हैं और बदसलूकी करने लग जाते हैं."


Body:शनिवार देर शाम तक मायापुरी थाने के सामने व्यापारियों का हुजूम प्रसाशन से इस आश्वासन की आस में डटा रहा कि अब उनकी दुकानें सील नहीं की जाएंगी. कुछ को डर सता रहा है कि रात के समय में दोबारा सीलिंग की कार्रवाई को अंजाम दिया जाएगा तो कुछ को कारोबार बंद हो जाने के बाद अपने घर-परिवार की चिंता सताने लगी है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने पूरे दिन का घटनाक्रम साझा किया.

**कल रात भेजे गए थे जुर्माने के नोटिस**
व्यापारियों ने बताया कि उन्हें कल रात ही एनवायरनमेंट डैमेज कंपनसेशन के नाम पर 1-1 लाख का जुर्माना भरने के नोटिस भेजे गए थे. इसके लिए 15 दिन का समय भी दिया गया था. सुबह मार्किट में व्यापारी इस मुद्दे पर बातचीत कर पाते, उससे पहले ही सीलिंग दस्ता भारी पुलिस बल के साथ आकर सीलोंग करने लग गया जबकि सीलिंग को लेकर कोई सूचना नहीं दी गई थी.

**"सुरक्षा जवानों ने की बदसलूकी"**
यहां लोगों ने आरोप लगाया कि सबसे पहले आकर सुरक्षा जवानों ने यहां व्यापारियों के साथ बदसलूकी की थी. किसी का कॉलर पकड़ कर उसे हटाया जा रहा था तो किसी को थप्पड़ मार कर भगाया जा रहा था. ऐसे में विरोध हुआ और ये विरोध हिंसक झड़प में बदल गया. यहां उन्होंने कहा कि हिंसा उनका मकसद नहीं था.

**रातों-रात कैसे बन गए बढ़ते प्रदूषण का कारण**
व्यापारियों की मानें तो वो NGT के हर आदेश का सम्मान करते हैं लेकिन उन्हें समझ नहीं आ रहा कि 1975 से चल रही दुकानें रातों-रात कैसे प्रदूषण का कारण बन सकती हैं. इन की मानें तो एजेंसियां अपनी नाकामी छुपाने के लिए व्यापारियों पर सीलिंग थोप रही हैं. बिना किसी सुर्वे या जांच के लगभग 800 दुकानों को सील करने की बात कही जा रही है. हालांकि वो ऐसा नहीं होने देंगे.

**राजनीति से नहीं कोई मतलब**
सीलिंग पर चल रही सियासत बयानबाजी पर लोगों का कहना है कि उन्हें इस राजनीति से कोई मतलब नहीं है. अभी के समय में उन्हें अपने कारोबार की चिंता है. हालांकि यहां साफ किया गया कि व्यापारियों को अपने फायदे के लिए जो भी इस्तेमाल करेगा उसे चुनावों में उसका नतीजा भी दिख जाएगा.

**बैठकर बातचीत करने के लिए तैयार**
मायापुरी के व्यापारियों का कहना है कि वो भी दिल्ली में रह रहे हैं और पर्यावरण संबंधी हर जरूरत को समझते हैं लेकिन यूं अचानक लाखों लोगों की रोजी-रोटी खत्म कर देना इसका समाधान नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि वो इसके लिए बातचीत करना चाहते हैं. इसका समाधान चाहते हैं.


Conclusion:
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