नई दिल्ली: मायापुरी में सीलिंग घटनाक्रम को लेकर जहां एक तरफ खूब राजनीति हो रही है. वहीं, इसके विपरीत प्रदर्शनकारी व्यापारी खासे परेशान हैं. ईटीवी भारत से बातचीत में अपना पक्ष रखते हुए मायापुरी के इन व्यापारियों का कहना है कि इनकी सुनने वाला कोई नहीं है और बिना नोटिस और गाइडलाइन के उनके ऊपर सीलिंग ड्राइव के फैसले को थोपा जा रहा है.
इन व्यापारियों का कहना है कि वो बातचीत के लिए तैयार हैं, उनकी कोई सुनता नहीं है बस आकर उनसे बदसलूकी की जाती है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में इन व्यापारियों ने पूरे दिन के घटनाक्रम को साझा किया तो साथ ही अपना पक्ष भी रखा है.
'शुक्रवार रात भेजे गए थे जुर्माने के नोटिस'
व्यापारियों ने ईटीवी भारत को बताया कि शुक्रवार रात ही एनवायरनमेंट डैमेज कंपनसेशन के नाम पर 1-1 लाख का जुर्माना भरने के नोटिस भेजे गए थे.
इसके लिए 15 दिन का समय भी दिया गया था, जबकि शनिवार सुबह मार्किट में व्यापारी इस मुद्दे पर बातचीत कर पाते उससे पहले ही सीलिंग दस्ता भारी पुलिस बल के साथ आकर सीलिंग करने के लिए पहुंच गया. जबकि सीलिंग को लेकर कोई सूचना नहीं दी गई थी.
'सुरक्षा जवानों ने की बदसलूकी'
व्यापारियों का आरोप है कि सुरक्षा जवानों ने सबसे पहले आकर उनके साथ बदसलूकी की. किसी का कॉलर पकड़ कर उसे हटाया जा रहा था तो किसी को थप्पड़ मार कर भगाया जा रहा था. ऐसे में विरोध हुआ और ये विरोध हिंसक झड़प में बदल गया.
'रातों-रात हम कैसे बन गए बढ़ते प्रदूषण का कारण'
व्यापारियों की मानें तो वो NGT के हर आदेश का सम्मान करते हैं लेकिन उन्हें समझ नहीं आ रहा कि 1975 से चल रही दुकानें रातों-रात कैसे प्रदूषण का कारण बन सकती हैं.
व्यापारियों की मानें तो एजेंसियां अपनी नाकामी छुपाने के लिए व्यापारियों पर सीलिंग थोप रही हैं. बिना किसी सर्वे या जांच के लगभग 800 दुकानों को सील करने की बात कही जा रही है.
'राजनीति से नहीं कोई मतलब'
सीलिंग पर चल रही सियासत बयानबाजी पर इन व्यापारियों का कहना है कि उन्हें इस राजनीति से कोई मतलब नहीं है, उन्हें अपने कारोबार की चिंता है.
व्यापारियों ने तमाम राजनीतिक दलों को निशाने पर लेते हुए कहा कि जो भी व्यापारियों को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करेगा उसे चुनाव में इसका नतीजा भी दिख जाएगा.
'बैठकर बातचीत करने के लिए तैयार'
मायापुरी के व्यापारियों का कहना है कि वो भी दिल्ली में रह रहे हैं और पर्यावरण संबंधी हर जरूरत को समझते हैं, लेकिन अचानक लाखों लोगों की रोजी-रोटी खत्म कर देना इसका समाधान नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि वो इसके लिए बातचीत करना चाहते हैं और इसका समाधान चाहते हैं.