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Toll Tax Scam : निगम में टोल टैक्स घोटाले की CBI जांच कराने के लिए मनीष सिसोदिया ने LG को लिखा पत्र

दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया (Deputy CM Manish Sisodia) ने दिल्ली नगर निगम (Delhi Municipal Corporation) में छह सौ करोड़ रुपये की टोल टैक्स घोटाले (Toll Tax Scam) की सीबीआई से जांच कराने की मांग की है. मनीष सिसोदिया ने इसके लिए उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना (Lieutenant Governor Vinay Kumar Saxena) को पत्र लिखा है.

Manish Sisodia writes Letter to LG
Manish Sisodia writes Letter to LG
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Published : Aug 10, 2022, 2:34 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Deputy CM Manish Sisodia) ने दिल्ली नगर निगम (Delhi Municipal Corporation) में 6000 करोड़ रुपये के टोल टैक्स घोटाले (Toll Tax Scam) की जांच सीबीआई से कराने के लिए उपराज्यपाल को पत्र लिखा है. सिसोदिया ने लिखा हैं कि रोज़ाना दिल्ली में आने वाले क़रीब 10 लाख कमर्शियल वाहनों से लिया गया पैसा मिलीभगत से खा लिया गया है. इसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए.

मनीष सिसोदिया (Deputy CM Manish Sisodia) ने उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना (Lieutenant Governor Vinay Kumar Saxena) को पत्र लिखा है. आम आदमी पार्टी ने भाजपा शासित एमसीडी पर टोल टैक्स कंपनी से सांठकर कर लगभग 6000 करोड़ का घोटाला किया है. एकीकृत निगम बनने से पहले भाजपा ने 2017 में MEP इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपर्स लिमिटेड (MEP Infrastructure Developers Limited) नाम की कंपनी को 1200 करोड़ प्रति वर्ष के अनुसार पांच सालों के लिए ठेका दिया था. कंपनी ने पहले साल पैसा देने के बाद अगले साल से कभी 10 फीसद तो कभी 20 फीसद ही पैसा दिया. लेकिन कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय ठेके को जारी रखा गया.

वर्ष 2021 में वही ठेका शहाकर ग्लोबल लिमिटेड नाम की कंपनी को मात्र 786 करोड़ में दिया गया जो एमसीडी को सिर्फ 250 करोड़ के लगभग ही देती है. यहां तक कि भाजपा ने नई कंपनी को कोरोना काल के नाम पर भी 83 करोड़ रुपयों की छूट दी. उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का आरोप है कि दोनों कंपनियों का मालिक एक ही है, बिना सांठगांठ के यह सब संभव ही नहीं है. उन्होंने उपराज्यपाल से घोटाले की जांच की मांग करते हुए कहा कि अगर ईमानदारी से जांच हो तो भाजपा के बड़े-बड़े नेता जेल में नजर आएंगे.

बता दें कि मंगलवार को आम आदमी पार्टी के विधायक एवं एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक ने भी पार्टी मुख्यालय में एक प्रेसवार्ता में टोल टैक्स से जुड़े भ्रष्टाचार की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि हैरानी की बात यह है कि नई कंपनी भी पूरा पैसा ना देकर लगभग 250 करोड़ रुपये ही दे रही है. 2017 से 2022 तक दिल्ली की जनता लगभग 1200 करोड़ का टोल टैक्स भरती आई है जो एमसीडी के खाते में होने चाहिए थे. लेकिन सांठगांठ के चलते एमसीडी इन कंपनियों से पैसा वसूल नहीं रही है.

नई दिल्ली: दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Deputy CM Manish Sisodia) ने दिल्ली नगर निगम (Delhi Municipal Corporation) में 6000 करोड़ रुपये के टोल टैक्स घोटाले (Toll Tax Scam) की जांच सीबीआई से कराने के लिए उपराज्यपाल को पत्र लिखा है. सिसोदिया ने लिखा हैं कि रोज़ाना दिल्ली में आने वाले क़रीब 10 लाख कमर्शियल वाहनों से लिया गया पैसा मिलीभगत से खा लिया गया है. इसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए.

मनीष सिसोदिया (Deputy CM Manish Sisodia) ने उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना (Lieutenant Governor Vinay Kumar Saxena) को पत्र लिखा है. आम आदमी पार्टी ने भाजपा शासित एमसीडी पर टोल टैक्स कंपनी से सांठकर कर लगभग 6000 करोड़ का घोटाला किया है. एकीकृत निगम बनने से पहले भाजपा ने 2017 में MEP इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपर्स लिमिटेड (MEP Infrastructure Developers Limited) नाम की कंपनी को 1200 करोड़ प्रति वर्ष के अनुसार पांच सालों के लिए ठेका दिया था. कंपनी ने पहले साल पैसा देने के बाद अगले साल से कभी 10 फीसद तो कभी 20 फीसद ही पैसा दिया. लेकिन कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय ठेके को जारी रखा गया.

वर्ष 2021 में वही ठेका शहाकर ग्लोबल लिमिटेड नाम की कंपनी को मात्र 786 करोड़ में दिया गया जो एमसीडी को सिर्फ 250 करोड़ के लगभग ही देती है. यहां तक कि भाजपा ने नई कंपनी को कोरोना काल के नाम पर भी 83 करोड़ रुपयों की छूट दी. उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का आरोप है कि दोनों कंपनियों का मालिक एक ही है, बिना सांठगांठ के यह सब संभव ही नहीं है. उन्होंने उपराज्यपाल से घोटाले की जांच की मांग करते हुए कहा कि अगर ईमानदारी से जांच हो तो भाजपा के बड़े-बड़े नेता जेल में नजर आएंगे.

बता दें कि मंगलवार को आम आदमी पार्टी के विधायक एवं एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक ने भी पार्टी मुख्यालय में एक प्रेसवार्ता में टोल टैक्स से जुड़े भ्रष्टाचार की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि हैरानी की बात यह है कि नई कंपनी भी पूरा पैसा ना देकर लगभग 250 करोड़ रुपये ही दे रही है. 2017 से 2022 तक दिल्ली की जनता लगभग 1200 करोड़ का टोल टैक्स भरती आई है जो एमसीडी के खाते में होने चाहिए थे. लेकिन सांठगांठ के चलते एमसीडी इन कंपनियों से पैसा वसूल नहीं रही है.

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