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ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली की मांग को लेकर रामलीला मैदान में आयोजित की जाएगी महारैली, एनएफआईआर ने किया ऐलान

दिल्ली के रामलीला मैदान में ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली की मांग के लिए महारैली आयोजित की जाएगी. इस बात की जानकारी उत्तरीय रेलवे मजदूर यूनियन के महासचिव वीसी शर्मा ने दी. साथ ही यह भी कहा गया कि पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल करेगा वही वोट पाएगा.

National Federation of Indian Railwaymen
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Published : Aug 7, 2023, 10:15 PM IST

वीसी शर्मा, महासचिव, उत्तरीय रेलवे मजदूर यूनियन

नई दिल्ली: देशभर में ओल्ड पेंशन स्कीम बहाली को लेकर धरना प्रदर्शन किया जा रहा है, जिनका कई ट्रेड यूनियन भी समर्थन कर रही है. इसी कड़ी में रेल कर्मचारियों के संगठन नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमैन (एनएफआईआर) ने आगामी 10 अगस्त की दिल्ली के रामलीला मैदान में महारैली करने का ऐलान किया है.

एनएफआईआर के महासचिव डॉ. एम. रघुवैया व उत्तरीय रेलवे मजदूर यूनियन (यूआरएमयू) के महासचिव वीसी शर्मा ने सुंयक्त रूप से आयोजित प्रेस कांफ्रेस में कहा कि, रेल कर्मचारियों समेत विभिन्न महासंघों/संघों के साथ न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) के खिलाफ 10 अगस्त को रामलीला मैदान में महारैली का आयोजन किया जाएगा. इस महारैली में राज्य सरकार, डिफेंस, डॉक्टर, शिक्षक आदि शामिल होंगे. इस दौरान एनएफआईआर के प्रवक्ता एसएन मलिक भी मौजूद थे.

एनपीएस के तहत पेंशन नहीं मिलेगी: नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमैन के सदस्यों ने कहा कि हमारी मांग है कि जो पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल करेगा वही वोट पाएगा. जो भी पार्टी अपने मेनिफेस्टो में यह मुद्दा लाएगी हम उसी पार्टी को सपोर्ट करेंगे. महासचिव बीसी शर्मा ने कहा कि एनपीएस के तहत किसी को पेंशन मिलेगी ही नहीं. इसके तहत महज चार हजार रुपए पेंशन मिल रही है, जबकि पुराने पेंशन स्कीम के तहत पेंशन धारक को उसकी वेतन का आधा पैसा मिलता था. उन्होंने कहा कि सरकार के पास करोड़ों रुपए पीएफ का जमा होता है, फिर भी यह लोग नुकसान की बात कर रहे हैं.

उम्र बढ़ने के साथ बढ़ती हैं समस्याएं: वहीं डॉ. एम. रघुवैया ने कहा कि 1972 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पेंशन, कर्मचारी का फंडामेंटल राइट है और इससे सरकार इनकार नहीं कर सकती है, फिर भी 2003 में एनपीएस लाया गया. उन्होंने कहा कि उम्र बढ़ने के साथ स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ती जाती हैं. उस समय पैसों की ज्यादा जरूरत होती है. नए पेंशन स्कीम के तहत रिटायरमेंट के बाद चार हजार से अधिक पेंशन नहीं मिल रही है. इसके खिलाफ हम लोग विभिन्न महासंघों/संघों के साथ रामलीला मैदान में विरोध प्रदर्शन करेंगे. इसमें देशभर से रेल कर्मचारी शामिल होंगे और ज्वाइंट फोरम की ओर से एनपीएस के खिलाफ और ओपीएस की बहाली के लिए भविष्य में तीव्र संघर्ष का कार्यक्रम घोषित किए जाने की उम्मीद है.

कई राज्यों में किया गया बहाल: बता दें कि 2004 में तत्कालीन बीजेपी नेतृत्व वाली अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने ओपीएस को खत्म कर दिया था. अब भी कई राज्य सरकारों का मानना है कि नई पेंशन स्कीम ज्यादा फायदेमंद है. एनपीएस के विरोध में लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं. इस दबाव का असर यह पड़ा है कि वर्तमान में राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड और पंजाब में ओल्ड पेंशन स्कीम को या तो बहाल कर दिया गया है या इससे लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है. वहीं हिमाचल में कांग्रेस की जीत के बाद इस राज्य का नाम भी लिस्ट में जुड़ गया है. आइए जानते हैं कि आखिर क्यों नई पेंशन स्कीम का इतना विरोध हो रहा है.

  1. एनपीएस में पेंशन के लिए (मूल वेतन+डीए) के 10% कटौती की जाती है, जबकि ओपीएस में पेंशन के लिए कोई भी कटौती नहीं किया जाती है.
  2. एनपीएस में शेयर बाजार आधारित असुरक्षित योजना है, जिसमें पेंशन की गारंटी नही है. जबकि ओपीएस सुरक्षित पेंशन योजना है, जिसमें रिटायरमेंट के समय अंतिम मूल वेतन के 50% की गारंटी है.
  3. एनपीएस में प्रत्येक छ: माह में मिलने वाला मंहगाई भत्ता तथा 10 वर्ष के बाद पे-कमीशन का लाभ नहीं है, जबकि ओपीएस में प्रत्येक छ: माह में मिलने वाला मंहगाई भत्ता तथा 10 वर्ष के बाद पे-कमीशन के लाभ की सुविधा उपलब्ध है.

यह भी पढ़ें-भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर जंतर मंतर पर प्रदर्शन

यह भी पढ़ें-Manipur Violence: मैतेई समुदाय ने किया जंतर-मंतर पर प्रदर्शन, कहा- मणिपुर में चाहते हैं शांति

वीसी शर्मा, महासचिव, उत्तरीय रेलवे मजदूर यूनियन

नई दिल्ली: देशभर में ओल्ड पेंशन स्कीम बहाली को लेकर धरना प्रदर्शन किया जा रहा है, जिनका कई ट्रेड यूनियन भी समर्थन कर रही है. इसी कड़ी में रेल कर्मचारियों के संगठन नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमैन (एनएफआईआर) ने आगामी 10 अगस्त की दिल्ली के रामलीला मैदान में महारैली करने का ऐलान किया है.

एनएफआईआर के महासचिव डॉ. एम. रघुवैया व उत्तरीय रेलवे मजदूर यूनियन (यूआरएमयू) के महासचिव वीसी शर्मा ने सुंयक्त रूप से आयोजित प्रेस कांफ्रेस में कहा कि, रेल कर्मचारियों समेत विभिन्न महासंघों/संघों के साथ न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) के खिलाफ 10 अगस्त को रामलीला मैदान में महारैली का आयोजन किया जाएगा. इस महारैली में राज्य सरकार, डिफेंस, डॉक्टर, शिक्षक आदि शामिल होंगे. इस दौरान एनएफआईआर के प्रवक्ता एसएन मलिक भी मौजूद थे.

एनपीएस के तहत पेंशन नहीं मिलेगी: नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमैन के सदस्यों ने कहा कि हमारी मांग है कि जो पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल करेगा वही वोट पाएगा. जो भी पार्टी अपने मेनिफेस्टो में यह मुद्दा लाएगी हम उसी पार्टी को सपोर्ट करेंगे. महासचिव बीसी शर्मा ने कहा कि एनपीएस के तहत किसी को पेंशन मिलेगी ही नहीं. इसके तहत महज चार हजार रुपए पेंशन मिल रही है, जबकि पुराने पेंशन स्कीम के तहत पेंशन धारक को उसकी वेतन का आधा पैसा मिलता था. उन्होंने कहा कि सरकार के पास करोड़ों रुपए पीएफ का जमा होता है, फिर भी यह लोग नुकसान की बात कर रहे हैं.

उम्र बढ़ने के साथ बढ़ती हैं समस्याएं: वहीं डॉ. एम. रघुवैया ने कहा कि 1972 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पेंशन, कर्मचारी का फंडामेंटल राइट है और इससे सरकार इनकार नहीं कर सकती है, फिर भी 2003 में एनपीएस लाया गया. उन्होंने कहा कि उम्र बढ़ने के साथ स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ती जाती हैं. उस समय पैसों की ज्यादा जरूरत होती है. नए पेंशन स्कीम के तहत रिटायरमेंट के बाद चार हजार से अधिक पेंशन नहीं मिल रही है. इसके खिलाफ हम लोग विभिन्न महासंघों/संघों के साथ रामलीला मैदान में विरोध प्रदर्शन करेंगे. इसमें देशभर से रेल कर्मचारी शामिल होंगे और ज्वाइंट फोरम की ओर से एनपीएस के खिलाफ और ओपीएस की बहाली के लिए भविष्य में तीव्र संघर्ष का कार्यक्रम घोषित किए जाने की उम्मीद है.

कई राज्यों में किया गया बहाल: बता दें कि 2004 में तत्कालीन बीजेपी नेतृत्व वाली अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने ओपीएस को खत्म कर दिया था. अब भी कई राज्य सरकारों का मानना है कि नई पेंशन स्कीम ज्यादा फायदेमंद है. एनपीएस के विरोध में लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं. इस दबाव का असर यह पड़ा है कि वर्तमान में राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड और पंजाब में ओल्ड पेंशन स्कीम को या तो बहाल कर दिया गया है या इससे लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है. वहीं हिमाचल में कांग्रेस की जीत के बाद इस राज्य का नाम भी लिस्ट में जुड़ गया है. आइए जानते हैं कि आखिर क्यों नई पेंशन स्कीम का इतना विरोध हो रहा है.

  1. एनपीएस में पेंशन के लिए (मूल वेतन+डीए) के 10% कटौती की जाती है, जबकि ओपीएस में पेंशन के लिए कोई भी कटौती नहीं किया जाती है.
  2. एनपीएस में शेयर बाजार आधारित असुरक्षित योजना है, जिसमें पेंशन की गारंटी नही है. जबकि ओपीएस सुरक्षित पेंशन योजना है, जिसमें रिटायरमेंट के समय अंतिम मूल वेतन के 50% की गारंटी है.
  3. एनपीएस में प्रत्येक छ: माह में मिलने वाला मंहगाई भत्ता तथा 10 वर्ष के बाद पे-कमीशन का लाभ नहीं है, जबकि ओपीएस में प्रत्येक छ: माह में मिलने वाला मंहगाई भत्ता तथा 10 वर्ष के बाद पे-कमीशन के लाभ की सुविधा उपलब्ध है.

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