नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के मावलंकर सभागार में मां गंगा सम्मेलन का आयोजन हुआ. जल पुरुष के नाम से विख्यात मैग्सेसे पुरस्कार विजेता राजेंद्र सिंह की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में गंगा के लिए काम करने वाले देश भर के ख्यातिप्राप्त लोगों की मौजूदगी रही.
गंगा की पारिस्थितिकी से खिलवाड़ इस सम्मेलन में संत समाज की तरफ से स्वामी सानंद की उपस्थिति तो रही ही, गंगा की निर्मलता और अविरलता को लेकर लंबे समय से रिसर्च कर रहे गंगा पर्यावरण विशेषज्ञ प्रोफेसर यूके चौधरी और गंगा वैज्ञानिक प्रोफेसर रामकर झा ने भी गंगा को लेकर अपनी बात रखी. इन दोनों ने बताया कि किस तरह गंगा की प्रकृति से लगातार खिलवाड़ किया जा रहा है और गंगा की पारिस्थितिकी को लगातार नुकसान पहुंचाया जा रहा है.
साध्वी पद्मावती के हक में भी आवाज अन्य वक्ताओं ने भी अपनी अपनी तरफ से गंगासागर से लेकर हरिद्वार और फिर कानपुर, बनारस तक में गंगा की वर्तमान स्थिति को लेकर अपनी बात रखी और गंगा की बदहाली को लेकर चिंता व्यक्त की. यहां गंगा के प्रति सरकार के सौतेले पन को लेकर भी चिंता व्यक्त की गई. साथ ही गंगा की अविरलता को लेकर अपनी मांगों के साथ 15 दिसंबर से मातृ सदन हरिद्वार में आमरण अनशन पर बैठी साध्वी पद्मावती के हक में भी आवाज बुलंद हुई.
अविरल गंगा के लिए कृत संकल्पित इस मौके पर जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि गंगा की जमीन पर बांध न बने, गंगा केवल कहने के लिए मां गंगा न रहे और गंगा अपनी स्वराज की तरफ प्रवाहित होती रहे, उसे लेकर हम लगातार मांग कर रहे हैं और उसी कड़ी में आज इस सम्मेलन का आयोजन हुआ है.
उन्होंने यह भी कहा कि जिस तरह गंगा की निर्बाध अविरलता की मांग को लेकर प्रोफेसर जीडी अग्रवाल, स्वामी निगमानंद, स्वामी सानंद प्रयासरत रहे और अब साध्वी पद्मावती इसे लेकर आमरण अनशन पर बैठीं हैं, उस पर निश्चित ही सरकार को विचार करना चाहिए और इसलिए हम सब आज एकजुट हुए हैं.