नई दिल्लीः आज दिल्ली में कोरोना के सबसे बड़े अस्पताल लोकनायक जयप्रकाश में 1500 बेड की एक अतिरिक्त बिल्डिंग का शिलान्यास मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने किया. वहीं दूसरी ओर अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन सौंपा है, जिसमें उन्होंने मांग की है कि अब अस्पताल में नॉन कोविड इलाज भी जल्द शुरू किया जाना चाहिए.
रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष केशव सिंह ने कहा कि एलएनजेपी अस्पताल एक टीचिंग हॉस्पिटल है और इसके साथ मौलाना आजाद अस्पताल भी जुड़ा हुआ है. जहां करीब 2000 से ज्यादा डॉक्टर शिक्षा लेने के लिए पहुंचते हैं, अलग-अलग बीमारियों को लेकर वह अभ्यास करते हैं, सीखते हैं, लेकिन पिछले 8 महीने से इस अस्पताल में केवल कोविड-19 का ही इलाज चल रहा है और इसी की प्रैक्टिस यहां पर हो रही है.
ऐसे में डॉक्टर कुछ नया नहीं सीख पा रहे हैं. इससे उनका अकादमिक लॉस हो रहा है, क्योंकि कड़ी मेहनत के बाद डॉक्टर यहां पर पढ़ने के लिए आते हैं और अंडरग्रेजुएट डॉक्टर 5 साल डॉक्टरी की पढ़ाई में देते हैं. वहीं पोस्ट ग्रेजुएट 3 साल के लिए अस्पताल में प्रैक्टिस करते हैं. ऐसे में यदि डॉक्टर पढ़ेंगे ही नहीं, सीखेंगे ही नहीं, तो अस्पताल बनाने के बाद भी वह डॉक्टर कैसे काम कर पाएंगे. उन्होंने सवाल किया कि सरकार अस्पताल में पंद्रह सौ बेड की नई बिल्डिंग बना रही है, लेकिन अगर डॉक्टर पढ़ाई नहीं करेंगे तो वहां कौन काम करेगा.
'किताबी पढ़ाई के साथ अभ्यास भी आवश्यक'
इसके अलावा अन्य डॉक्टर प्रतीक गोयल ने कहा कि डॉक्टरों की पढ़ाई केवल किताबों पर नहीं निर्भर करती, उन्हें अभ्यास की आवश्यकता होती है. कई सालों तक डॉक्टर अभ्यास करके ही अच्छे डॉक्टर बनते हैं. अगर बात हम अन्य अस्पतालों की करें, तो केंद्र सरकार के कई ऐसे अस्पताल हैं जहां पर कोरोना और अन्य बीमारियों दोनों का साथ में इलाज हो रहा है. लेकिन एलएनजेपी अस्पताल में केवल कोरोना का इलाज चल रहा है. ऐसे में जो डॉक्टर यहां पर सीखने के लिए आए हैं और जो मरीज यहां से अपना इलाज कर रहे थे वह भी अब इंतजार कर रहे हैं.
'अस्पताल बन जाने के बाद भी इलाज के लिए तैयार नहीं होंगे डॉक्टर'
ऑर्थोपेडिक के सीनियर डॉक्टर आकाश गोयल ने कहा कि एलएनजेपी अस्पताल बहुत बड़ा अस्पताल है और यहां पढ़ाई के लिए दूर-दूर से डॉक्टरी के छात्र आते हैं. डॉक्टरों का सपना होता है कि वह इस अस्पताल से अच्छा सीख कर समाज में लोगों का इलाज करेंगे, उनकी मदद करेंगे.
इसके लिए डॉक्टर 3 से 5 साल तक अभ्यास करते हैं. लेकिन यदि एक-डेढ़ साल कोरोना में ही निकल जाएगा तो डॉक्टर क्या सीखेंगे और फिर वह समाज में लोगों की मदद कैसे कर पाएंगे. इसीलिए हमारी मुख्यमंत्री से अपील है कि वह इस अस्पताल को आधा कोविड और आधा नॉन कोविड-19 शुरू करवाएं.