नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में पिछले हफ्ते आई भीषण बाढ़ अपना रौद्र रूप दिखाकर चली गई है. दिल्ली सचिवालय से लेकर मजनूं के टीले तक तमाम राहत एजेंसियां अब राहत कार्यों के साथ ही सड़कों पर जमी गाद को साफ करने में जुटी है. हालांकि प्रशासन के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती बाढ़ के रुके हुए पानी से पनपने वाली तमाम बीमारियों को फैलने से रोकने को लेकर है. वहीं इस बाढ़ की चपेट में आए लोगों की अलग तरह की मुसीबतें सामने खड़ी है.
अभी दिल्ली सरकार व अन्य एजेंसियों द्वारा बाढ़ पीड़ितों के लिए अस्थायी तौर पर टेंट, पानी और खाने का इंतजाम किया जा रहा है, लेकिन कुछ दिनों बाद बाढ़ द्वारा जो इनके आशियाने तबाह और बर्बाद हो चुके हैं उसकी भरपाई कैसे होगी. ये देखना होगा.
बेला रोड आईटीओ के नजदीक फ्लाईओवर के नीचे करीब 60 परिवार पिछले कई दशक से रह रहे हैं. इसमें से ज्यादातर लोग मजदूरी करके अपना गुजारा करते हैं. इनमें से एक बलबीर सिंह ने बताया कि फिलहाल यमुना के बाढ़ से हमारी जान तो बच गई, लेकिन हमारा मकान और समान का बड़ा हिस्सा बाढ़ के पानी में बह गया है. दिल्ली सरकार की तरफ से टेंट, चारपाई, पानी और खाने की व्यवस्था तो कर दी गई है, लेकिन कुछ दिनों बाद हमारे मकान और समान जो बर्बाद हो चुके हैं, वो कैसे मिल सकेगा इसकी चिंता हो रही है. उन्होंने कहा कि यहां सबसे बड़ी समस्या डीडीए के अधिकारियों के द्वारा परेशान करना है.
फिलहाल इन पीड़ितों के सामने रोजी रोटी का भी संकट आन खड़ा हुआ है. कारण यह है कि अब ये अपना बचा खुचा समान खुले में छोड़कर काम पर भी नहीं जा सकते हैं, क्योंकि काम पर चले जाने से इनके सामान की चोरी होने का भय सता रहा है.
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