नई दिल्ली: कोरोना और लॉकडाउन के कारण हर किसी की कमर टूट गयी है. खासकर सड़क के किनारे छोटी-मोटी दुकान लगाकर अपना एवं अपने परिवार का पेट पालने वालों के ऊपर एक तरह से पहाड़ टूट पड़ा है. उनके सामने दो जून की रोटी की समस्या उत्पन्न हो गयी है. ये लोग ग्राहक के साथ साथ सरकार के लिए भी टकटकी लगाए हैं कि कहीं से कुछ मदद मिल जाए.
नहीं मिल रहे ग्राहक
मिट्टी के बर्तन बेचने वाले कुम्हारों की हालत देखकर आंख में आंसू आ जाते हैं. आर के पुरम के चर्च रोड के किनारे दर्जनों दुकाने लगी हैं. जहां एक से बढ़कर एक खूबसूरत मिट्टी के मटके दुकानों की शोभा बढ़ा रहे हैं. सुबह मे हीं ये दुकाने लग जाती हैं, जो रात तक लगी रहती हैं. लेकिन इस तपती गर्मी और कोरोना काल मे डॉक्टरों की सलाह की फ्रिज का पानी नुकसान दे सकता है. बावजूद इसके मिट्टी के मटके के ग्राहक नादारद हैं. जबकि मई जून के महीने मे मिट्टी के मटके की काफी सेल होती थी.
भूखे सोने को मजबूर
ये दुकानदार सड़क के किनारे दुकान लगाकर इस तपती गर्मी और धूल मे यूं हीं ग्राहक के इंतजार मे टकटकी लगाए रहते हैं. अगर गलती से एकाद ग्राहक यहां रुक गया तो सभी दुकानदार उसको घेर लेते हैं और उसे कम कीम की लालच देने लगते हैं. ये कुम्हार उधार समान लेकर आते हैं कि बेच कर पैसे देंगे, लेकिन समान बिक नहीं रहा है तो इनको बड़े दुकान वालों कि बात भी सुननी पड़ती है. इनका कहना है कि जिस दिन कुछ बिक गया तो रोटी खा लेते हैं वरना बिना खाये सो जाते हैं. इनकी सरकार से मांग है कि गरीबों की सरकार कहने वाले हम गरीबों को भी देखें.
रोजी-रोटी की समस्या
मिट्टी के बर्तन बेचने वाले ये कुम्हार सालों से इसी तरह सड़क के किनारे दुकान लगाकर अच्छी खासी कमाई कर लेते थे. हर साल मई जून के महीने मे मिट्टी के मटके की काफी सेल हुआ करती थी. लेकिन पिछले साल से ग्राहक ना के बराबर आ रहे हैं. जिसके कारण इन कुम्हार समाज के सामने दो जून की रोटी की समस्या हो गयी है.