नई दिल्ली : दिल्ली सरकार की तरफ से वित्त पोषित 12 कॉलेजों में फंड की कमी को लेकर उपराज्यपाल कार्यालय ने दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार से रिपोर्ट देने को कहा है. दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को दिल्ली विश्वविद्यालय के अधीन आने वाले इन 12 कॉलेजों में प्राथमिकता के साथ निरीक्षण करने और 15 दिन में रिपोर्ट जमा करने की बात कही है.
उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से बताया गया कि मुख्यमंत्री कार्यालय से 17 फरवरी को पत्र लिखा गया है कि इन कॉलेजों का बकाया फंड जारी करने और मसलों का हल निकालने पर विचार करें. अब छात्र, शिक्षक और कर्मचारियों की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए निरीक्षण करने के लिए कहा गया है. यह दिल्ली विश्वविद्यालय के वे कॉलेज हैं, जिन्हें 100 फीसदी फंड दिल्ली सरकार देती है. गत 7 फरवरी को नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट के प्रतिनिधि मंडल ने उपराज्यपाल से मुलाकात कर कॉलेजों में आ रही परेशानियों की जानकारी दी थी. प्रतिनिधि मंडल का कहना है कि इन कॉलेजों में कर्मचारियों को पांच साल से वेतन 2 से 4 महीने देरी से मिल रहा है. फंड नहीं मिलने से कॉलेजों में छोटे- छोटे मरम्मत कार्य भी नहीं हो पा रहे हैं और कई जगह इंफ्रास्ट्रक्चर सुरक्षित नहीं है.
दिल्ली सरकार ने हाल ही में कुछ बकाया राशि जारी की है. मगर अब भी 113 करोड़ों रुपये के फंड की कमी है. प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि दिल्ली सरकार ने इन कॉलेजों की गवर्निंग बॉडी में जो मेंबर, चेयर पर्सन नियुक्त किए गए हैं वह परेशान रहते हैं. प्रतिनिधिमंडल ने उपराज्यपाल से पिछले 5 साल का बकाया फंड जारी करने का अनुरोध किया था.
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गत 21 फरवरी को दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति को पत्र लिखकर दिल्ली सरकार ने 28 कॉलेजों के लिए पूरी तरह कार्यात्मक गवर्निंग बॉडी के गठन में देरी पर चिंता जताई थी. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह को पत्र लिखकर जल्द से जल्द इनका गठन करने का अनुरोध किया था. पत्र में सिसोदिया ने इस बात को लेकर चिंता व्यक्त की थी कि प्रोफेसरों को भर्ती करने के लिए इंटरव्यू पूरी तरह से कार्यरत गवर्निंग बॉडी के बिना हो रहे थे. यह एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों के एब्सोर्प्शन की नीति को उलट रहा था, जिससे इन कॉलेजों में प्रशासनिक व आर्थिक संकट पैदा हो सकता है.
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