नई दिल्ली: दिल्ली के जंतर-मंतर पर अलग-अलग राज्यों से तमाम मजदूर संगठन अपनी मांगों को लेकर एकत्रित हुए. लॉकडाउन के 1 साल होने वाले हैं और मजदूरों की हालत जैसे की तैसी ही बनी हुई है, लोग डाउन खत्म होने के बाद धीरे-धीरे सभी सेक्टर में बदलाव देखने को मिला, काम धंधा पटरी पर भी लौटते हुए दिखा. लेकिन मजदूरों के हालात अभी भी वही बने हुए हैं, कई मजदूरों के पास काम नहीं है, तो कई मजदूरों को मालिकों ने पैसा ही नहीं दिया है.
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उन्हें न्यूनतम मजदूरी के साथ रहने के लिए घर और सुरक्षा भी मुहैया कराई जाए, क्योंकि लॉकडाउन के दौरान जो तस्वीर हमने देखी वह बहुत भयावह थी और खबरें यह भी आ रही हैं कि दोबारा से कुछ राज्यों में लॉकडाउन लगाया जा सकता है. ऐसा होता है, तो सबसे ज्यादा प्रभावित प्रवासी मजदूर होंगे. वहीं राजधानी दिल्ली एक ऐसी जगह है, जहां पर ना केवल दिल्ली के बल्कि तमाम राज्यों से प्रवासी मजदूर आ कर रहते हैं और यहां अपना रोजगार कमाते हैं.
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निर्मल अग्नि ने कहा कि छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सरकार ने प्रवासी मजदूर नीति को लेकर ड्राफ्ट भी तैयार किया है, लेकिन अन्य राज्यों में इसको लेकर कोई पहल नहीं की गई है. दिल्ली सरकार से हम कई बार अपील कर चुके हैं, मिलने के लिए समय भी मांगा है. हम केंद्र सरकार से भी अपील करते हैं कि प्रवासी मजदूर नीति को लेकर कदम उठाए जाएं और इसे जल्द से जल्द राज्यों में लागू करवाया जाए.
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साफ सफाई करने वाले मजदूर के मालिक ने बताया कि उनके परिवार में 4 लोग हैं और पिछले करीब 2 साल से काम धंधा बंद है. लॉकडाउन के दौरान उन्हें कोई काम नहीं मिला और अब जैसे-तैसे गुजारा कर रहे हैं. अन्य मजदूर ने कहा कि 8 जनवरी को उनका काम छूट गया था और उसके बाद उन्हें कोई काम नहीं मिला और जहां वह पहले काम करते थे. वहां के मालिक ने उन्हें पैसे नहीं दिए. ऐसे में लॉकडाउन के दौरान काफी परेशानियों से गुजरना पड़ा. अब वापस अपने गांव से आए हैं, लेकिन अब भी कोई काम नहीं मिल रहा है.