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मुंडका अग्निकांड: डर के साये में लोग, ताख पर सुरक्षा व्यवस्था - फैक्ट्रियों में ताख पर सुरक्षा व्यवस्था

देश की राजधानी दिल्ली में इन दिनों सियासी माहौल पूरी तरीके से गरमाया हुआ है. इस बीच बीते दिनों दिल्ली के मुंडका क्षेत्र में हुए भीषण अग्निकांड में झुलस कर 32 लोगों की दुखद मृत्यु के बाद राजधानी दिल्ली के गरमाए सियासी माहौल की तपिश और ज्यादा बढ़ गई है. मुंडका में हुए भीषण अग्निकांड को लेकिर आम आदमी पार्टी हो या बीजेपी दोनों ही राजनीतिक दल एक-दूसरे पर इसका ठीकरा फोड़ने में लगे हुए हैं.

mundka fire
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Published : May 17, 2022, 11:01 AM IST

नई दिल्ली : मुंडका में हुए भीषण अग्निकांड के अंदर 32 लोगों की दुखद मृत्यु ने दिल्ली के गरमाए सियासी माहौल की तपिश और ज्यादा बढ़ा दी है. इस अग्निकांड के बाद मुंडका के अंदर हालात पूरी तरीके से बदल चुके हैं. एक तरफ मुंडका इंडस्ट्रियल एरिया में काम करने वाले लोगों के मन में अपनी सुरक्षा को लेकर डर बैठ गया है तो वहीं दूसरी तरफ भाजपा और आप जैसे राजनीतिक दल इस हादसे का ठीकरा एक-दूसरे पर फोड़ने पर लगे हुए हैं.

मुंडका अग्निकांड को लेकर देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, गृह मंत्री और दिल्ली के मुख्यमंत्री तक मृतक और घायल परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की है. साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मृतकों के परिजनों को 2 लाख और घायलों को 50 हजार के मुआवजे की घोषणा की गई है. इसी तरह दिल्ली सरकार के द्वारा भी मृतकों के परिवार वालों को 10 लाख की आर्थिक सहायता और घायलों को 50 हज़ार का मुआवजा देने की बात कही गई है.

मुंडका अग्निकांड के बाद लोगों के मन में डर

इस सबके बीच मुंडका में बीते दिनों हुए अग्निकांड के बाद पूरे क्षेत्र में हालात बदले हुए नजर आ रहे हैं. मुंडका इंडस्ट्रियल एरिया में काम करने वाले लोगों के मन में अपनी सुरक्षा को लेकर डर है तो वहीं दूसरी तरफ वे इसी असुरक्षित माहौल में काम करने को मजबूर भी हैं, क्योंकि उनके उपर उनके पूरे परिवार की जिम्मेदारी है.

आपको बता दें कि मुंडका इंडस्ट्रियल एरिया में एक हजार से ज्यादा ऐसी फैक्ट्री हैं जिसमें सीधे तौर पर नियमों का बड़े स्तर पर उल्लंघन हो रहा है, लेकिन किसी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है. इन फैक्ट्रियों में हर रोज लोग अपनी जान हथेली पर रखकर काम करते हैं. अगर इन सभी फैक्ट्रियों को बंद करवाया गया तो हजारों की संख्या में लोग बेरोजगार हो जाएंगे. ऐसे में जरूरत है कि सरकार द्वारा इन सभी फैक्ट्रियों में सुरक्षा के नियमों का पालन करवाए जाने की.

मुंडका अग्निकांड पर भाजपा और आप के बीच आरोप प्रत्यारोप

वहीं मुंडका अग्निकांड के बाद ईटीवी भारत के संवाददाता ने जब वहां काम करने वाले लोगों से बातचीत की तो लोगों ने स्पष्ट तौर पर कहा कि बीते दिनों जो अग्निकांड हुआ था वह निश्चित तौर पर नहीं होना चाहिए था. यह बहुत गलत हुआ है. पूरा हादसा प्रशासन और बिल्डिंग और फैक्ट्री के मालिक की लापरवाही के चलते हुआ है. हादसे के बाद लोगों के मन में जहां अपनी सुरक्षा को लेकर डर है वहीं लोग इसी असुरक्षित माहौल में काम करने को भी मजबूर हैं. उनका कहना है कि फैक्टी के अंदर सुरक्षा को लेकर कोई भी इंतजाम नहीं हैं. यहां तक कि कुछ फैक्ट्रियों में तो खिड़कियां तक नहीं हैं. वहीं कुछ फैक्ट्रियों में अगर खिड़कियां हैं तो फायर एक्सटिंग्विशर और फायर फाइटिंग का कोई भी सिस्टम पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है. किसी की फैक्ट्री में तो बस एक सिलेंडर फायर एक्सटिंग्विशर लगाकर खानापूर्ति की गई है. क्या एक फायर एक्सटिंग्विशर कल सिलेंडर लगा देने से आग पर काबू पाया जा सकता है. यह सोचने वाली बात है. लेबर की सुरक्षा और मेडिकल को ध्यान में रखते हुए पूरे मुंडका इंडस्ट्रियल एरिया में किसी प्रकार का कोई इंतजाम कहीं पर भी नहीं किया गया है और सभी फैक्ट्रियों के हालात एक जैसे ही हैं.

लोगों ने बातचीत के दौरान यह भी कहा कि प्रशासन अब नींद से जाग रहा और उसने 48 घंटे में सर्वे करने की बात की है. जिसके बाद एक्शन लिया जाएगा. अच्छी बात है सर्वे हो लेकिन ग्राउंड लेवल पर आज तक नगर निगम को सर्वे करते हुए नहीं देखा गया है. अगर सर्वे के बाद नियमों के उल्लंघन को लेकर फैक्ट्रियां बंद की गई, तो वह भी ठीक नहीं होगा. पहले से ही कोरोना की वजह से लेबर क्लास के हम जैसे लोग आर्थिक मंदी से जूझ रहे हैं. अगर फैक्ट्रियां बंद हो गई तो हमारी रोजमर्रा की कमाई बंद हो जाएगी और हमें धक्के खाना पड़ेगा. ऐसे में बेहतर ही होगा कि सरकार लोगों और लेबर की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सभी फैक्ट्रियों में नियमों का पालन करवाए, लेकिन किसी भी फैक्ट्री को बंद न किया जाए. अगर किसी भी फैक्ट्री को बंद किया जाता तो उसकी लेबर सड़क पर आ जाएगी ओर बेरोजगारी बेतहाशा बढ़ेगी. उनका कहना है कि यहां काम करने वाले एक हेल्पर की महीने का वेतन 8 हजार है जबकि कारीगर का वेतन 15 हजार है जो कि दिल्ली सरकार द्वारा तय किए गए मानकों से काफी कम है, जो सीधे तौर पर एक बड़ा उल्लंघन है.

वहीं इस भीषण अग्निकांड को लेकर दिल्ली के पूर्व मेयर और बीजेपी नेता मास्टर आजाद सिंह ने बातचीत के दौरान साफ तौर पर कहा कि इस पूरे हादसे की जिम्मेदारी दिल्ली सरकार की है. जिसके किसी भी विभाग ने अपनी जिम्मेदारी भली-भांति तरीके से नहीं निभाया. मुंडका गांव के लोगों ने हादसे के वक्त फुर्ती दिखाते हुए बड़ी संख्या में लोगों की जान बचाई है. दिल्ली सरकार के दमकल विभाग की सहायता हादसे के डेढ़ घंटे बाद होती है. फैक्ट्री और गोदाम को एनओसी दमकल विभाग के द्वारा मिलती है जो दिल्ली सरकार के अंतर्गत है. बिजली विभाग द्वारा एनओसी जो मिलती है वह भी दिल्ली सरकार के अंतर्गत है. ऐसे में दिल्ली सरकार के विभागों को बड़ी जिम्मेदारी निभाते हुए इस तरह के फैक्ट्रियों और गोदामों की जांच समय से करके एक्शन लेना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया. मुआवजे को लेकर दिल्ली सरकार के द्वारा राजनीति की जा रही है. मरने वाले सभी लोगों के परिवार वाले गरीब तबके से आते हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मृतकों के परिजनों को एक करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दे.

आप नेता और मुंडका से स्थानीय पार्षद अनिल लाकड़ा ने भी पूरे मामले पर ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा मजिस्ट्रियल जांच बिठा दी गई है. जिसके बाद यह पता लग जाएगा कि गलती किसकी है और दोषी को बख्शा नहीं जाएगा. निगम के द्वारा भी जांच कमेटी बैठाई गई जो 48 घंटे में सर्वे की रिपोर्ट देगी. यह महज एक दिखावा है जब मजिस्ट्रियल जांच बिठा दी गई है तो निगम अपनी जांच से क्या साबित करना चाहती है. प्रथम दृष्टिकोण से पूरे मामले की जिम्मेदारी नगर निगम की बनती है. जिसने अपनी जिम्मेदारी के प्रति पूरी तरीके से लापरवाही बरती है.

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नई दिल्ली : मुंडका में हुए भीषण अग्निकांड के अंदर 32 लोगों की दुखद मृत्यु ने दिल्ली के गरमाए सियासी माहौल की तपिश और ज्यादा बढ़ा दी है. इस अग्निकांड के बाद मुंडका के अंदर हालात पूरी तरीके से बदल चुके हैं. एक तरफ मुंडका इंडस्ट्रियल एरिया में काम करने वाले लोगों के मन में अपनी सुरक्षा को लेकर डर बैठ गया है तो वहीं दूसरी तरफ भाजपा और आप जैसे राजनीतिक दल इस हादसे का ठीकरा एक-दूसरे पर फोड़ने पर लगे हुए हैं.

मुंडका अग्निकांड को लेकर देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, गृह मंत्री और दिल्ली के मुख्यमंत्री तक मृतक और घायल परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की है. साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मृतकों के परिजनों को 2 लाख और घायलों को 50 हजार के मुआवजे की घोषणा की गई है. इसी तरह दिल्ली सरकार के द्वारा भी मृतकों के परिवार वालों को 10 लाख की आर्थिक सहायता और घायलों को 50 हज़ार का मुआवजा देने की बात कही गई है.

मुंडका अग्निकांड के बाद लोगों के मन में डर

इस सबके बीच मुंडका में बीते दिनों हुए अग्निकांड के बाद पूरे क्षेत्र में हालात बदले हुए नजर आ रहे हैं. मुंडका इंडस्ट्रियल एरिया में काम करने वाले लोगों के मन में अपनी सुरक्षा को लेकर डर है तो वहीं दूसरी तरफ वे इसी असुरक्षित माहौल में काम करने को मजबूर भी हैं, क्योंकि उनके उपर उनके पूरे परिवार की जिम्मेदारी है.

आपको बता दें कि मुंडका इंडस्ट्रियल एरिया में एक हजार से ज्यादा ऐसी फैक्ट्री हैं जिसमें सीधे तौर पर नियमों का बड़े स्तर पर उल्लंघन हो रहा है, लेकिन किसी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है. इन फैक्ट्रियों में हर रोज लोग अपनी जान हथेली पर रखकर काम करते हैं. अगर इन सभी फैक्ट्रियों को बंद करवाया गया तो हजारों की संख्या में लोग बेरोजगार हो जाएंगे. ऐसे में जरूरत है कि सरकार द्वारा इन सभी फैक्ट्रियों में सुरक्षा के नियमों का पालन करवाए जाने की.

मुंडका अग्निकांड पर भाजपा और आप के बीच आरोप प्रत्यारोप

वहीं मुंडका अग्निकांड के बाद ईटीवी भारत के संवाददाता ने जब वहां काम करने वाले लोगों से बातचीत की तो लोगों ने स्पष्ट तौर पर कहा कि बीते दिनों जो अग्निकांड हुआ था वह निश्चित तौर पर नहीं होना चाहिए था. यह बहुत गलत हुआ है. पूरा हादसा प्रशासन और बिल्डिंग और फैक्ट्री के मालिक की लापरवाही के चलते हुआ है. हादसे के बाद लोगों के मन में जहां अपनी सुरक्षा को लेकर डर है वहीं लोग इसी असुरक्षित माहौल में काम करने को भी मजबूर हैं. उनका कहना है कि फैक्टी के अंदर सुरक्षा को लेकर कोई भी इंतजाम नहीं हैं. यहां तक कि कुछ फैक्ट्रियों में तो खिड़कियां तक नहीं हैं. वहीं कुछ फैक्ट्रियों में अगर खिड़कियां हैं तो फायर एक्सटिंग्विशर और फायर फाइटिंग का कोई भी सिस्टम पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है. किसी की फैक्ट्री में तो बस एक सिलेंडर फायर एक्सटिंग्विशर लगाकर खानापूर्ति की गई है. क्या एक फायर एक्सटिंग्विशर कल सिलेंडर लगा देने से आग पर काबू पाया जा सकता है. यह सोचने वाली बात है. लेबर की सुरक्षा और मेडिकल को ध्यान में रखते हुए पूरे मुंडका इंडस्ट्रियल एरिया में किसी प्रकार का कोई इंतजाम कहीं पर भी नहीं किया गया है और सभी फैक्ट्रियों के हालात एक जैसे ही हैं.

लोगों ने बातचीत के दौरान यह भी कहा कि प्रशासन अब नींद से जाग रहा और उसने 48 घंटे में सर्वे करने की बात की है. जिसके बाद एक्शन लिया जाएगा. अच्छी बात है सर्वे हो लेकिन ग्राउंड लेवल पर आज तक नगर निगम को सर्वे करते हुए नहीं देखा गया है. अगर सर्वे के बाद नियमों के उल्लंघन को लेकर फैक्ट्रियां बंद की गई, तो वह भी ठीक नहीं होगा. पहले से ही कोरोना की वजह से लेबर क्लास के हम जैसे लोग आर्थिक मंदी से जूझ रहे हैं. अगर फैक्ट्रियां बंद हो गई तो हमारी रोजमर्रा की कमाई बंद हो जाएगी और हमें धक्के खाना पड़ेगा. ऐसे में बेहतर ही होगा कि सरकार लोगों और लेबर की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सभी फैक्ट्रियों में नियमों का पालन करवाए, लेकिन किसी भी फैक्ट्री को बंद न किया जाए. अगर किसी भी फैक्ट्री को बंद किया जाता तो उसकी लेबर सड़क पर आ जाएगी ओर बेरोजगारी बेतहाशा बढ़ेगी. उनका कहना है कि यहां काम करने वाले एक हेल्पर की महीने का वेतन 8 हजार है जबकि कारीगर का वेतन 15 हजार है जो कि दिल्ली सरकार द्वारा तय किए गए मानकों से काफी कम है, जो सीधे तौर पर एक बड़ा उल्लंघन है.

वहीं इस भीषण अग्निकांड को लेकर दिल्ली के पूर्व मेयर और बीजेपी नेता मास्टर आजाद सिंह ने बातचीत के दौरान साफ तौर पर कहा कि इस पूरे हादसे की जिम्मेदारी दिल्ली सरकार की है. जिसके किसी भी विभाग ने अपनी जिम्मेदारी भली-भांति तरीके से नहीं निभाया. मुंडका गांव के लोगों ने हादसे के वक्त फुर्ती दिखाते हुए बड़ी संख्या में लोगों की जान बचाई है. दिल्ली सरकार के दमकल विभाग की सहायता हादसे के डेढ़ घंटे बाद होती है. फैक्ट्री और गोदाम को एनओसी दमकल विभाग के द्वारा मिलती है जो दिल्ली सरकार के अंतर्गत है. बिजली विभाग द्वारा एनओसी जो मिलती है वह भी दिल्ली सरकार के अंतर्गत है. ऐसे में दिल्ली सरकार के विभागों को बड़ी जिम्मेदारी निभाते हुए इस तरह के फैक्ट्रियों और गोदामों की जांच समय से करके एक्शन लेना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया. मुआवजे को लेकर दिल्ली सरकार के द्वारा राजनीति की जा रही है. मरने वाले सभी लोगों के परिवार वाले गरीब तबके से आते हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मृतकों के परिजनों को एक करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दे.

आप नेता और मुंडका से स्थानीय पार्षद अनिल लाकड़ा ने भी पूरे मामले पर ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा मजिस्ट्रियल जांच बिठा दी गई है. जिसके बाद यह पता लग जाएगा कि गलती किसकी है और दोषी को बख्शा नहीं जाएगा. निगम के द्वारा भी जांच कमेटी बैठाई गई जो 48 घंटे में सर्वे की रिपोर्ट देगी. यह महज एक दिखावा है जब मजिस्ट्रियल जांच बिठा दी गई है तो निगम अपनी जांच से क्या साबित करना चाहती है. प्रथम दृष्टिकोण से पूरे मामले की जिम्मेदारी नगर निगम की बनती है. जिसने अपनी जिम्मेदारी के प्रति पूरी तरीके से लापरवाही बरती है.

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