नई दिल्ली: दिल्ली में कोरोना संक्रमण का आंकड़ा एक लाख 10 हजार को पार कर चुका है. अब तक कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जहां पूरे परिवार को ही संक्रमण का शिकार होना पड़ा है. लेकिन कई परिवारों ने इलाज व हिम्मत के दम पर कोरोना को मात दिया. कुछ ऐसी ही कहानी पुरानी दिल्ली के नवाबगंज में रहने वाले मुख्तार अहमद के परिवार की है.
परिवार में यूं फैला कोरोना
मई महीने की बात है जब मुख्तार और उनके परिवार के एक और सदस्य की तबीयत खराब हुई, जांच में पता चला कि उन्हें कोरोना है. फिर उन दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया गया. उनके अस्पताल जाने के बाद अन्य परिजनों का टेस्ट हुआ और वे भी संक्रमित पाए गए. इसी बीच इनसे अलग रहने वाले तीन बेटे अस्पताल में अपने पिता से मिलने पहुंचे और वे भी संक्रमित हो गए.
106 साल में कोरोना को मात
कुल मिलाकर परिवार के 11 लोगों में कोरोना का संक्रमण हो गया. लेकिन अब सभी इस खतरनाक बीमारी को मात दे चुके हैं. गौर करने वाली बात यह है कि जिस मुख्तार अहमद को सबसे पहले वायरस ने अपना शिकार बनाया और जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, उन्होंने 106 साल की उम्र में भी कोरोना को मात दिया है. वहीं अभी परिजनों के साथ सुकून से रह रहे हैं.
'परिवार ने की सेवा'
ईटीवी भारत से बातचीत में मुख्तार अहमद ने बताया कि परिवार ने उनकी बहुत सेवा की और बहुत खयाल रखा. हालांकि कोरोना के कई मामलों में यह देखा गया है कि इलाज बाद रिपोर्ट नेगेटिव आने के बावजूद घर पहुंचने पर घर वाले आशंकित रहते हैं. इस परिवार ने भी ईटीवी भारत से बातचीत में कुछ इसी तरफ इशारा किया.
अस्पताल से लौटने पर एहतियात
परिवार की महिला सदस्य मजिदन ने बताया कि जब अस्पताल में इलाजरत उनके दोनों परिजन घर आए, तो उन्होंने उनके कपड़े अलग किए. अलग बर्तन में खाने को दिया और भी एहतियात रखा. खुद मजिदन और उनकी बेटी तैयबा भी कोरोना संक्रमित हुए थे. वहीं उस दौरान उनके घर आया उनकी दूसरी बेटी का बेटा मोहम्मद कैफ भी संक्रमण का शिकार हो गया था.
गैर होकर भी अपने से ज्यादा माना
तैयबा और कैफ ने भी ईटीवी भारत से बातचीत में अपने अनुभव साझा किए. इस बातचीत के दौरान सबसे चौंकाने वाली बात यह निकल कर सामने आई कि 106 साल के जिस बुजुर्ग की इस परिवार ने इतनी सेवा की और कोरोना जैसी खतरनाक बीमारी से उबारने में मदद की. वे इनके अपने परिजन नहीं हैं, कुछ साल पहले वे लावारिस अवस्था में इन्हें रोड के किनारे पड़े मिले थे. जहां से ये लोग उन्हें लेकर आए और तब से वे इनके साथ रह रहे हैं.