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जानिए क्या है दिल्ली की पूर्व CM शीला दीक्षित का गोल मार्केट कनेक्शन

राजधानी दिल्ली अपने सीने में कई कहानियां समाए हुए हैं. यहां की गलियों, कुंचो, सड़कों और बाजारों में काफी रोमांचक कहानियां और इतिहास छुपा हुआ है. आज हम आपको दिल्ली की बेहद खास जगह के बारे में बताने जा रहे हैं.

know about the political history of Gol market delhi
शीला का गोल मार्केट कनैक्शन
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Published : Dec 18, 2019, 9:21 AM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली का गोल मार्केट यूं तो कई विशेषताओ के लिए मशहूर है लेकिन यहां की राजनीति से जुड़ा इतिहास सबसे पहले ज़हन में आता है. ब्रिटिश हुकूमत में बने इस मार्केट के इतिहास के पन्ने जब भी पलटे जाते हैं तो दिल्ली की तीन बार मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित का नाम जरूर आता है.

शीला का गोल मार्केट कनेक्शन

कांग्रेस की दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित इसी गोल मार्केट से 1998 में जीतकर दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुई थीं.

2008 में घोषित हुई नई दिल्ली सीट
शीला दीक्षित 1998 में पहली बार गोल मार्केट विधानसभा से जीतकर ही दिल्ली की मुख्यमंत्री बनी थीं. 1998 से 2003 तक गोल मार्केट विधानसभा के नाम से जानी जाती थी लेकिन 2008 में यह सीट नई दिल्ली हो गई.

शीला दीक्षित ने तीन बार जीत हासिल की
शीला दीक्षित ने 1998 में बीजेपी के कीर्ति आजाद को इस सीट से मात दी थी, और फिर उनकी पत्नी पूनम आजाद को 2003 में मात देकर फिर से वह इस सीट से चुनाव जीती थी. इसके बाद 2008 में नई दिल्ली सीट से विजय जोली को शिकस्त देकर उन्होंने तीसरी बार इस सीट से अपना परचम लहराया था.

2013 में अरविंद केजरीवाल ने लड़ा चुनाव
लेकिन साल 2013 में आम आदमी पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल ने नई दिल्ली सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया. उनके सामने कांग्रेस के दिग्गज और तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित एक बड़ी चुनौती थीं, क्योंकि वह तीन बार इस सीट से जीत चुकी थीं.

गोल मार्केट में बसता है पूरा हिंदुस्तान
इस सीट की बात करें तो यह दिल्ली की ऐसी सीट है जहां पूरा हिंदुस्तान बसता है. राष्ट्रपति भवन परिसर, प्रधानमंत्री आवास से लेकर, लुटियंस जोन, केंद्रीय कर्मचारियों के आवास, एनडीएमसी, एम्स और सफदरजंग जैसे अस्पतालों के स्टाफ क्वार्टर, कनॉट प्लेस, खान मार्केट और गोल मार्केट जैसी बड़ी-बड़ी मार्केट इससे सटी हुई है.

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली का गोल मार्केट यूं तो कई विशेषताओ के लिए मशहूर है लेकिन यहां की राजनीति से जुड़ा इतिहास सबसे पहले ज़हन में आता है. ब्रिटिश हुकूमत में बने इस मार्केट के इतिहास के पन्ने जब भी पलटे जाते हैं तो दिल्ली की तीन बार मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित का नाम जरूर आता है.

शीला का गोल मार्केट कनेक्शन

कांग्रेस की दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित इसी गोल मार्केट से 1998 में जीतकर दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुई थीं.

2008 में घोषित हुई नई दिल्ली सीट
शीला दीक्षित 1998 में पहली बार गोल मार्केट विधानसभा से जीतकर ही दिल्ली की मुख्यमंत्री बनी थीं. 1998 से 2003 तक गोल मार्केट विधानसभा के नाम से जानी जाती थी लेकिन 2008 में यह सीट नई दिल्ली हो गई.

शीला दीक्षित ने तीन बार जीत हासिल की
शीला दीक्षित ने 1998 में बीजेपी के कीर्ति आजाद को इस सीट से मात दी थी, और फिर उनकी पत्नी पूनम आजाद को 2003 में मात देकर फिर से वह इस सीट से चुनाव जीती थी. इसके बाद 2008 में नई दिल्ली सीट से विजय जोली को शिकस्त देकर उन्होंने तीसरी बार इस सीट से अपना परचम लहराया था.

2013 में अरविंद केजरीवाल ने लड़ा चुनाव
लेकिन साल 2013 में आम आदमी पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल ने नई दिल्ली सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया. उनके सामने कांग्रेस के दिग्गज और तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित एक बड़ी चुनौती थीं, क्योंकि वह तीन बार इस सीट से जीत चुकी थीं.

गोल मार्केट में बसता है पूरा हिंदुस्तान
इस सीट की बात करें तो यह दिल्ली की ऐसी सीट है जहां पूरा हिंदुस्तान बसता है. राष्ट्रपति भवन परिसर, प्रधानमंत्री आवास से लेकर, लुटियंस जोन, केंद्रीय कर्मचारियों के आवास, एनडीएमसी, एम्स और सफदरजंग जैसे अस्पतालों के स्टाफ क्वार्टर, कनॉट प्लेस, खान मार्केट और गोल मार्केट जैसी बड़ी-बड़ी मार्केट इससे सटी हुई है.

Intro:देश की राजधानी दिल्ली अपने सीने में कई कहानियां समाए हुए हैं यहां के हर एक कुंचो, गलियों, सड़कों और बाजारों में काफी रोमांचक कहानियां और इतिहास छुपा हुआ है. लेकिन आज हम आपको दिल्ली की बेहद खास जगह के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं दिल्ली की बेहद पुरानी गोल मार्केट. यू तो गोल मार्केट कई विशेषताओ के लिए मशहूर है लेकिन यहां की राजनीति से जुड़ा इतिहास सबसे पहले जेहन में आता है.





Body:शीला दीक्षित से जुड़ा है गोल मार्केट का राजनीतिक इतिहास
ब्रिटिश हुकूमत में बनी इस मार्केट के इतिहास के पन्ने जब भी पलटे जाते हैं, तो दिल्ली की तीन बार मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित का जरूर आता है. क्योंकि कांग्रेस की दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित इसी गोल मार्केट से 1998 में जीतकर दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुई थी.

2008 में घोषित हुई नई दिल्ली सीट
शीला दीक्षित 1998 में पहली बार गोल मार्केट विधानसभा से जीतकर ही दिल्ली की मुख्यमंत्री बनी थी. 1998 से 2003 तक गोल मार्केट विधानसभा के नाम से जानी जाती थी लेकिन 2008 में यह सीट नई दिल्ली हो गई.

शीला दीक्षित ने तीन बार की जीत हासिल
शीला दीक्षित ने 1998 में बीजेपी के कीर्ति आजाद को इस सीट से मात दी थी, और फिर उनकी पत्नी पूनम आजाद को 2003 में मात देकर फिर से वह इस सीट से चुनाव जीती थी, इसके बाद 2008 में नई दिल्ली सीट से विजय जोली को शिकस्त देकर उन्होंने तीसरी बार इस सीट से अपना परचम लहराया था.

2013 में अरविंद केजरीवाल ने लड़ा चुनाव
लेकिन साल 2013 में आम आदमी पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल ने नई दिल्ली सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया. उनके सामने कांग्रेस के दिग्गज और तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित एक बड़ी चुनौती थी, क्योंकि वह तीन बार इस सीट से जीत चुकी थी.


Conclusion:गोल मार्केट में बसता है पूरा हिंदुस्तान
वही इस सीट की बात करें तो यह दिल्ली की ऐसी सीट है जहां पर पूरा हिंदुस्तान बसता है. राष्ट्रपति भवन परिसर, प्रधानमंत्री आवास से लेकर, लुटियंस जोन, केंद्रीय कर्मचारियों के आवास, एनडीएमसी, एम्स और सफदरजंग जैसे अस्पतालों के स्टाफ क्वार्टर, कनॉट प्लेस, खान मार्केट और गोल मार्केट जैसी बड़ी-बड़ी मार्केट इससे सटी हुई है.
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