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लोकायुक्त को कमजोर कर रही है केजरीवाल सरकार : रामवीर सिंह बिधूड़ी

रामवीर सिंह बिधूड़ी (Ramveer Singh Bidhuri ) ने कहा है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के उनके साथी लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर आन्दोलन करके सत्ता में आए, लेकिन इस सरकार ने 2017-18 और 2018-19 की लोकायुक्त की वार्षिक रिपोर्ट को विधानसभा में पेश करने के लिए उपराज्यपाल के पास मंजूरी के लिए नहीं भेजा.

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Published : Oct 22, 2022, 7:38 AM IST

नई दिल्ली : दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी(Ramveer Singh Bidhuri ) ने केजरीवाल सरकार पर तमाम नियमों, मर्यादाओं और परंपराओं को ताक पर रखने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि लोकायुक्त के नाम पर सत्ता में आए लोग ही लोकायुक्त को कमजोर करने पर तुले हुए हैं. केजरीवाल सरकार लोकायुक्त की दो साल(2017-18 और 2018-19) की वार्षिक रिपोर्ट को तीन साल तक दबाकर बैठी रही, इन रिपोर्टों को विधानसभा में पेश ही नहीं किया गया.

ये भी पढ़ें : वेस्ट टू एनर्जी प्लांट के उद्घाटन को आप ने बताया फर्जी, कहा- कूड़े का पहाड़ देख जाइए...


बिधूड़ी ने कहा है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के उनके साथी लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर आन्दोलन करके सत्ता में आए, लेकिन इस सरकार ने 2017-18 और 2018-19 की लोकायुक्त की वार्षिक रिपोर्ट को विधानसभा में पेश करने के लिए उपराज्यपाल के पास मंजूरी के लिए नहीं भेजा. तीन साल के अंतराल के बाद अब 19 सितंबर को मंजूरी की फाइल उपराज्यपाल के पास भेजी गई जिसे 27 सितंबर को मंजूरी दे दी गई. इन रिपोर्टों में लोकायुक्त ने अपने अधिकारों को बढ़ाने और कार्रवाई करने के लिए अधिक मशीनरी की मांग की थी. अगर इन रिपोर्टों को विधानसभा में पेश किया जाता तो लोकायुक्त को मजबूत करने के लिए कदम उठाए जा सकते थे, लेकिन केजरीवाल सरकार ऐसा नहीं होने देना चाहती. इसीलिए उसने ये रिपोर्ट्स ही दबा दी. बिधूड़ी ने कहा कि केजरीवाल सरकार लोकायुक्त को मजबूत नहीं करना चाहती क्योंकि वह सारे नियमों को ताक पर रखकर भ्रष्टाचार में लिप्त है. अगर लोकायुक्त को अधिक अधिकार मिल जाते तो केजरीवाल सरकार पर अंकुश लगाया जा सकता था लेकिन उसने ऐसा नहीं होने दिया.

नेता प्रतिपक्ष न कहा कि केजरीवाल और उनके मंत्री तानाशाही और मनमाने तरीके से सरकार चला रहे हैं. विधानसभा के भीतर तो हमेशा ही नियमों का उल्लंघन होता ही है, अब विधानसभा की शक्तियों को भी निरर्थक किया जा रहा है. अगर विधानसभा में इस तरह जनहित के मामले भी पेश नहीं किए जाएंगे तो फिर विधानसभा का अर्थ ही क्या रह जाता है. केजरीवाल सरकार इससे पहले भी नियमों की इसी तरह धज्जियां उड़ाती रही है. स्वयं मुख्यमंत्री बिना हस्ताक्षर के ही फाइलें उपराज्यपाल के पास भेजते रहे हैं. दिल्ली के पूरे प्रशासन को आप सरकार ने मजाक बना दिया है. उन्होंने कहा है कि इस मामले में मुख्यमंत्री केजरीवाल को स्पष्ट रूप से बताना होगा कि आखिर उनकी सरकार ने लोकायुक्त की वार्षिक रिपोर्टों को क्यों दबाया. लोकायुक्त को लगातार कमजोर करने के लिए उन्हें जनता से माफी मांगनी होगी.

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नई दिल्ली : दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी(Ramveer Singh Bidhuri ) ने केजरीवाल सरकार पर तमाम नियमों, मर्यादाओं और परंपराओं को ताक पर रखने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि लोकायुक्त के नाम पर सत्ता में आए लोग ही लोकायुक्त को कमजोर करने पर तुले हुए हैं. केजरीवाल सरकार लोकायुक्त की दो साल(2017-18 और 2018-19) की वार्षिक रिपोर्ट को तीन साल तक दबाकर बैठी रही, इन रिपोर्टों को विधानसभा में पेश ही नहीं किया गया.

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बिधूड़ी ने कहा है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के उनके साथी लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर आन्दोलन करके सत्ता में आए, लेकिन इस सरकार ने 2017-18 और 2018-19 की लोकायुक्त की वार्षिक रिपोर्ट को विधानसभा में पेश करने के लिए उपराज्यपाल के पास मंजूरी के लिए नहीं भेजा. तीन साल के अंतराल के बाद अब 19 सितंबर को मंजूरी की फाइल उपराज्यपाल के पास भेजी गई जिसे 27 सितंबर को मंजूरी दे दी गई. इन रिपोर्टों में लोकायुक्त ने अपने अधिकारों को बढ़ाने और कार्रवाई करने के लिए अधिक मशीनरी की मांग की थी. अगर इन रिपोर्टों को विधानसभा में पेश किया जाता तो लोकायुक्त को मजबूत करने के लिए कदम उठाए जा सकते थे, लेकिन केजरीवाल सरकार ऐसा नहीं होने देना चाहती. इसीलिए उसने ये रिपोर्ट्स ही दबा दी. बिधूड़ी ने कहा कि केजरीवाल सरकार लोकायुक्त को मजबूत नहीं करना चाहती क्योंकि वह सारे नियमों को ताक पर रखकर भ्रष्टाचार में लिप्त है. अगर लोकायुक्त को अधिक अधिकार मिल जाते तो केजरीवाल सरकार पर अंकुश लगाया जा सकता था लेकिन उसने ऐसा नहीं होने दिया.

नेता प्रतिपक्ष न कहा कि केजरीवाल और उनके मंत्री तानाशाही और मनमाने तरीके से सरकार चला रहे हैं. विधानसभा के भीतर तो हमेशा ही नियमों का उल्लंघन होता ही है, अब विधानसभा की शक्तियों को भी निरर्थक किया जा रहा है. अगर विधानसभा में इस तरह जनहित के मामले भी पेश नहीं किए जाएंगे तो फिर विधानसभा का अर्थ ही क्या रह जाता है. केजरीवाल सरकार इससे पहले भी नियमों की इसी तरह धज्जियां उड़ाती रही है. स्वयं मुख्यमंत्री बिना हस्ताक्षर के ही फाइलें उपराज्यपाल के पास भेजते रहे हैं. दिल्ली के पूरे प्रशासन को आप सरकार ने मजाक बना दिया है. उन्होंने कहा है कि इस मामले में मुख्यमंत्री केजरीवाल को स्पष्ट रूप से बताना होगा कि आखिर उनकी सरकार ने लोकायुक्त की वार्षिक रिपोर्टों को क्यों दबाया. लोकायुक्त को लगातार कमजोर करने के लिए उन्हें जनता से माफी मांगनी होगी.

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