नई दिल्ली: दिल्ली की स्वास्थ्य व्यवस्था को विश्वस्तरीय बनाने का दावा करने वाले केजरीवाल सरकार चुनावी वर्ष में स्वास्थ्य सेवा बेहतर होने का प्रचार प्रसार कर रहे हैं.
दिल्ली के लोगों को सरकारी अस्पतालों में सभी चिकित्सीय सुविधाएं मुफ्त बता कर सरकार वहां इलाज कराने की सलाह देती है. लेकिन मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के सदस्य और उनके परिजनों को जब भी मेडिकल सुविधा की जरूरत होती है तो वह निजी अस्पतालों की ओर रुख करते हैं. नतीजा यह है कि वर्ष 2015 से अभी तक में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्रियों के इलाज के मद में तकरीबन 35 लाख से अधिक खर्च हो चुके हैं.
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25 लाख रुपये हुए खर्च
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के इलाज में ही वर्ष 2015 से सितंबर 2019 तक 25 लाख रुपये से अधिक खर्च हो चुके हैं. जिसका भुगतान दिल्ली सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने किया है.
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आरटीआई से हुआ खुलासा
यह जानकारी नजफगढ़ में रहने वाले अमित कुमार नाम के शख्स द्वारा लगाई गई आरटीआई से आई है. ईटीवी भारत ने अमित से आरटीआई के मद्देनजर विस्तार से बात की तो उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बार-बार दिल्ली की शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर होने का दावा करते हैं.
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मोहल्ला क्लीनिक और सरकारी अस्पतालों का इस तरह प्रचार करते हैं कि मानों पहले वहां कोई चिकित्सीय सुविधाएं मिलती ही नहीं थी. जब अपने इलाज कराने की नौबत आती है तो मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के सदस्य निजी अस्पतालों की ओर रुख करते हैं. अगर वह सरकारी अस्पतालों में इलाज कराते तो दिल्ली की जनता का पैसा उनके इलाज खर्चे के रूप में दिल्ली सरकार को वहन नहीं करना पड़ता.
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इन मंत्रियों पर आया इतना खर्च
अमित ने 16 अक्टूबर 2019 को आरटीआई के तहत मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों के इलाज पर हुए खर्च का ब्यौरा मांगा था. सामान्य प्रशासन विभाग से जो जवाब मिला है उसके मुताबिक मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके परिवार के सदस्यों पर अलग-अलग तारीखों पर इलाज कराने में अभी तक कुल 1218027 रुपये खर्च हुए हैं.
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उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और उनके परिवार के सदस्यों को इलाज कराने के मद में अभी तक 1325329 रुपये, मंत्री गोपाल राय के इलाज में 2015 से अभी तक 722558 रुपये, सत्येंद्र जैन जोकि स्वास्थ्य मंत्री हैं, इनके और इनके परिवार के सदस्यों के इलाज कराने में अभी तक 246748 रुपये खर्च हो चुके हैं. वहीं इमरान हुसैन जो दिल्ली सरकार के मंत्री हैं इनके और उनके परिवार के सदस्यों के इलाज कराने के मद में अभी तक 240748 रुपये दिल्ली सरकार की तरफ से खर्च किया जा चुका है.
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आरटीआई लगाने वाले ने किया ये दावा
बड़ा सवाल यह है कि केजरीवाल सरकार और उनके मंत्री व विधायक दिल्ली वालों को मोहल्ला क्लीनिक दिल्ली सरकार की डिस्पेंसरी और अस्पतालों में इलाज कराने की सलाह देते हैं. वहां पर न डॉक्टर की फीस, न ही जांच का कोई खर्चा और न ही दवाइयों पर कोई पैसा खर्च होता है. इसकी भी दलील देते हैं.
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आरटीआई लगाने वाले अमित का कहना है कि यही चीज अगर मुख्यमंत्री और उनके मंत्री भी करते तो शायद इलाज के मद में जो लाखों के बिल का भुगतान दिल्ली की जनता के पैसे से किया है वह बच जाता.
मनोज तिवारी ने ली चुटकी
आरटीआई से प्राप्त इस सूचना पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने भी चुटकी ली. उन्होंने कहा कि अगर मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों को कोई गंभीर बीमारी होती और वह बाहर इलाज कराते तब उस मद में यह भारी भरकम बिल आता तो उन्हें दुख नहीं होता. लेकिन ऐसा नहीं हुआ है. अगर मुख्यमंत्री या मंत्री को ऐसी कोई गंभीर बीमारी होती है और इसकी सूचना उन्हें मिलती तो वह स्वयं सहानुभूति प्रगट करने जाते. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. जिस तरह आरटीआई से जानकारी सामने आई है उससे स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री और उनके परिवार के सदस्यों को सरकारी अस्पतालों की इलाज व सुविधाओं पर भरोसा नहीं है. तभी वे निजी अस्पतालों की ओर रुख किया और वहां इलाज कराने में लाखों का बिल आया. सरकार को अब दिल्ली की जनता को गुमराह करने बंद कर देना चाहिए.