नई दिल्ली: दिल्ली में प्रदूषण आज चिंता का सबब बना हुआ है. इसमें एक बड़ी भागीदारी वाहनों से पैदा होने वाले प्रदूषण की है. तमाम सरकारें वाहनों में प्रयोग होने वाले ईंधन के विकल्प ढूंढ रही हैं. इसी क्रम में दिल्ली में आज से हाइड्रोजन सीएनजी से चलने वाली 50 बसें सड़कों पर उतर रही हैं.
भारत में अब तक सीएनजी को सबसे साफ ईंधन माना जाता रहा है, लेकिन अब हाइड्रोजन सीएनजी इसके विकल्प के रूप में सामने आए हैं.
हाइड्रोजन सीएनजी प्लांट
दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के संयुक्त प्रयास से छह महीने के लिए इसे एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया जा रहा है. दिल्ली के राजघाट डिपो में इसके लिए अलग से हाइड्रोजन सीएनजी का प्लांट और फ्यूल स्टेशन बनाया गया है.
यहां पैदा किए जाने वाले हाइड्रोजन-सीएनजी में 18 प्रतिशत हाइड्रोजन और 82 फीसदी सीएनजी गैस का मिश्रण होगा. इस प्लांट में सीएनजी को ही स्टीम करके 18 फीसदी हाइड्रोजन को रिफॉर्म किया जाता है. इस पूरी प्रक्रिया से ईंधन में कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा करीब 70 फीसदी तक कम हो जाती है.
दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने बताया-
इस नए ईंधन से हाइड्रोकार्बन में भी 25 फीसदी की कमी आएगी. साथ ही 3-4 फीसदी फ्यूल एफिशिएंसी भी बढ़ेगी. अभी 50 बसों के जरिए इसे 6 महीने के पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया जा रहा है.
मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा कि हर दिन इन बसों की जांच होगी कि ये ईंधन कितना प्रभावी रहा. उन्होंने बताया कि दिल्ली सरकार ने इस पायलट प्रोजेक्ट के लिए 15 करोड़ के बजट को मंजूरी दी है. इस पर पिछले डेढ़ साल से काम चल रहा है. उन्होंने बताया कि ये देश में अपनी तरह का पहला प्रयास है, जिसके जरिए हम हाइड्रोजन-सीएनजी के जरिए वाहनों को चलाकर प्रदूषण को और कम करने की तरफ कदम बढ़ा रहे हैं.
'6 महीने का पायलट प्रोजेक्ट'
कैलाश गहलोत ने कहा कि अभी हम पायलट प्रोजेक्ट के प्रभाव को देखेंगे. अगर सफलता मिली तो कोशिश रहेगी कि इसे दिल्ली के हर सीएनजी प्लांट तक पहुंचाया जाए. इंडियन ऑयल और आईजीएल मिलकर इस 6 महीने के प्रोजेक्ट को चला रहे हैं.