नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस वी. गोपाला गौड़ा ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के उस बयान को गलत बताया है जिसमें मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि हाईकोर्ट समानांतर सरकारें चला रही है. वकीलों के अखिल भारतीय संगठन ऑल इंडिया लायर्स यूनियन की दिल्ली ईकाई की ओर से आयोजित एक वेबिनार में जस्टिस गौड़ा ने कहा कि हाईकोर्ट किसी की अधीनस्थ नहीं हैं और वे खुद फैसला ले सकती है.
'श्रम कानूनों को निलंबित करना गलत'
जस्टिस गौड़ा ने कहा कि कुछ राज्य सरकारों की ओर से श्रम कानूनों को निलंबित करने का जो संशोधन लाया गया है वो गलत है. राज्य सरकारें ऐसा नहीं कर सकती हैं. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों के मामले पर सुप्रीम कोर्ट को जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करनी चाहिए. मजदूरों को शेल्टर, भोजन और पानी का कानूनी हक है.
किसानों के सवाल पर दाखिल हो जनहित याचिका
‘पब्लिक इंटरेस्ट-न्यू डाईमेंशन एंड एमर्जिंग ट्रेंड्स’ विषय पर आयोजित वेबिनार में बोलते हुए जस्टिस गौड़ा ने कहा संविधान में लोगों के कल्याण की जिम्मेदारी सरकार की है. उन्होंने कहा कि हमें संविधान की प्रस्तावना का हमेशा ख्याल रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि देश के किसानों को सालाना 4 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होता है. स्वामीनाथन कमेटी की अनुशंसाओं के मुताबिक किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य में सालाना चार लाख करोड़ रुपये का नुकसान होता है.
ये एक महत्वपूर्ण जनहित याचिका का मामला हो सकता है. किसानों को उनका उचित हक मिलना चाहिए. किसानों के हितों की सुरक्षा होनी चाहिए तभी हमारा देश सुरक्षित रह पाएगा. उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम के मूल्य पर भी जनहित याचिका दाखिल की जानी चाहिए. अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल का दाम घटने के बावजूद हमारे देश में रेट बढ़ रहे हैं.