नई दिल्लीः पटियाला हाउस कोर्ट ने चीन से जासूसी करने के आरोप में जेल में बंद स्वतंत्र पत्रकार राजीव शर्मा की जमानत याचिका खारिज कर दिया है. मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट वसुंधरा छौनकर ने कहा कि आरोपी को वैधानिक जमानत नहीं दी जा सकती है, क्योंकि ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट के तहत हिरासत की अधिकतम अवधि 90 दिन है न कि 60 दिन.
'आरोपी पर दुश्मन देश को मदद करने का आरोप'
कोर्ट ने कहा कि ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट को राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ देखा जाना चाहिए, जहां आरोपी पर दुश्मन देश को मदद करने का आरोप है. सुनवाई के दौरान राजीव शर्मा की ओर से वरिष्ठ वकील आदीश सी अग्रवाला, आदित्य सिंह और अक्षत गोयल ने कहा था कि पुलिस ने तय समय सीमा के अंदर चार्जशीट दाखिल नहीं किया है. एफआईआर में अपराध का खुलासा नहीं किया गया है.
उन्होंने कहा था कि राजीव शर्मा के पास से जो भी दस्तावेज बरामद किए गए हैं वे सामान्य दस्तावेज हैं और उनका ऑफिशियल सिक्रेट्स एक्ट से कोई लेना-देना नहीं है. जिन 79 दस्तावेजों को गुप्ता रक्षा दस्तावेज कहा गया है उन्हें रक्षा मंत्रालय की पुष्टि के बिना ही गोपनीय दस्तावेज कह दिया गया. उन्होंने कहा था कि एफआईआर में किसी भी मंत्रालय का नाम नहीं है.
14 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था
इसके पहले 21 अक्टूबर को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट के सेशंस जज ने राजीव शर्मा की जमानत याचिका खारिज कर चुका है. राजीव शर्मा ने दिल्ली हाईकोर्ट में भी जमानत याचिका दायर कर रखा है जो लंबित है. राजीव शर्मा को 14 सितंबर को दिल्ली के जनकपुरी से गिरफ्तार किया गया था. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के मुताबिक राजीव शर्मा को ऑफिशियल सिक्रेट्स एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया था. उनके पास से रक्षा संबंधी गोपनीय दस्तावेज बरामद किया गया था.
याचिका में कहा गया था कि राजीव शर्मा का समाज से गहरा नाता है. राजीव शर्मा की पत्नी वेंकटेश्वर कॉलेज में प्रोफेसर हैं. ऐसे में आरोपी के भागने की कोई संभावना नहीं है. राजीव शर्मा की निशानदेही पर एक चीनी महिला और एक नेपाली मूल के व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया था. इन दोनों पर आरोप है कि वे राजीव शर्मा को फर्जी कंपनियों के जरिए पैसा मुहैया कराते थे.