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जेएनयू में अब आयुर्वेद और एलोपैथी की होगी पढ़ाई, छात्र बदल सकेंगे अपना लाइफस्टाइल

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में लैंग्वेज के साथ आयुर्वेद और एलोपैथी की भी पढ़ाई होगी. इस दौरान छात्रों को लाइफस्टाइल सुधारने की सीख भी दी जाएगी. सत्र 2023 से स्कूल ऑफ संस्कृत एंड इंडिक स्ट्डीज और स्कूल ऑफ साइंसेज पांच वर्षीय बीएससी-एमएससी आयुर्वेद बॉयोलॉजी के इंटीग्रेटिड कोर्स और हेल्थ अवेयरनेस एंड वेलनेस में एक साल के सर्टिफिकेट कोर्स शुरू कर रहा है.

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जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय
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Published : Nov 30, 2022, 2:27 PM IST

नई दिल्ली: जवाहर लाल नेहरू विश्व विद्यालय (JNU) दिल्ली के सबसे चर्चित कॉलेज में से एक है. खास बात यह है कि जेएनयू में जब से कुलपति का पद प्रोफेसर शांतिश्री डी पंडित ने संभाला है, तब से वह यह प्रयास कर रही रहीं हैं कि जो पहचान जेएनयू की उनके टाइम में हुआ करती थी. उसी पहचान को जेएनयू के संबंध में दुनिया जाने. इसके लिए वह निरंतर प्रयास कर रही हैं. वह जेएनयू में नए-नए कोर्स की भी शुरुवात करवा रही हैं. इससे छात्र जब अपना कोर्स पूरा करे तो उन्हें नौकरी के लिए भटकना न पड़े. इसका असर अब जमीन पर भी देखने को मिल रहा है.

दरअसल, जेएनयू में अगले सत्र यानि कि 2023 से छात्रों के लिए एक साल का सर्टिफिकेट कोर्स की शुरुवात की जाएगी. इस एक साल के कोर्स में छात्र अपनी लाइफस्टाइल को सुधारने के संबंध में जानकारी लेंगे. क्योंकि मौजूदा समय में देखा जा रहा है कि लोगों में खानपान ठीक नहीं है, जिसके चलते कई तरह की बीमारियां होने की संभावना रहती है. इस कोर्स में आयुर्वेद और एलोपैथी की भी पढ़ाई होगी. यहां बताते चले कि छात्रों को बीएससी आयुर्वेद बॉयोलॉजी और एमएससी आयुर्वेद बॉयोलॉजी के साथ-साथ हेल्थ अवेयरनेस एंड वेलनेस में सर्टिफिकेट कोर्स करने का मौका मिलेगा.

जेएनयू से मिली जानकारी के अनुसार, सत्र 2023 से स्कूल ऑफ संस्कृत एंड इंडिक स्ट्डीज और स्कूल ऑफ साइंसेज पांच वर्षीय बीएससी-एमएससी आयुर्वेद बॉयोलॉजी के इंटीग्रेटिड कोर्स और हेल्थ अवेयरनेस एंड वेलनेस में एक साल के सर्टिफिकेट कोर्स शुरू कर रहा है. इस डिग्री और सर्टिफिकेट कोर्स में योग, ध्यान, पंचकर्म, नेचरोपैथी के बारे में पढ़ाया जाएगा.

ये भी पढ़ें : Nursery Admission 2023: एक दिसंबर से नर्सरी की 75 फीसदी सीटों पर शुरू होंगे दाखिले

जेएनयू में शुरू हो रहे कोर्स के पीछे जेएनयू का तर्क यह है कि छात्रों को पढ़ाई के साथ उद्यमी बनने का मौका मिले. इसलिए अगले सत्र से एक साल का कोर्स शुरू किया जा रहा है. जेएनयू की ओर से कहा गया है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की सिफारिशों के तहत उच्च शिक्षा में बदलाव किया जा रहा है.

ये भी पढ़ें : दिल्ली एम्स का सर्वर हुआ बहाल, अभी भी मैनुअल मोड पर चलेंगी सेवाएं

नई दिल्ली: जवाहर लाल नेहरू विश्व विद्यालय (JNU) दिल्ली के सबसे चर्चित कॉलेज में से एक है. खास बात यह है कि जेएनयू में जब से कुलपति का पद प्रोफेसर शांतिश्री डी पंडित ने संभाला है, तब से वह यह प्रयास कर रही रहीं हैं कि जो पहचान जेएनयू की उनके टाइम में हुआ करती थी. उसी पहचान को जेएनयू के संबंध में दुनिया जाने. इसके लिए वह निरंतर प्रयास कर रही हैं. वह जेएनयू में नए-नए कोर्स की भी शुरुवात करवा रही हैं. इससे छात्र जब अपना कोर्स पूरा करे तो उन्हें नौकरी के लिए भटकना न पड़े. इसका असर अब जमीन पर भी देखने को मिल रहा है.

दरअसल, जेएनयू में अगले सत्र यानि कि 2023 से छात्रों के लिए एक साल का सर्टिफिकेट कोर्स की शुरुवात की जाएगी. इस एक साल के कोर्स में छात्र अपनी लाइफस्टाइल को सुधारने के संबंध में जानकारी लेंगे. क्योंकि मौजूदा समय में देखा जा रहा है कि लोगों में खानपान ठीक नहीं है, जिसके चलते कई तरह की बीमारियां होने की संभावना रहती है. इस कोर्स में आयुर्वेद और एलोपैथी की भी पढ़ाई होगी. यहां बताते चले कि छात्रों को बीएससी आयुर्वेद बॉयोलॉजी और एमएससी आयुर्वेद बॉयोलॉजी के साथ-साथ हेल्थ अवेयरनेस एंड वेलनेस में सर्टिफिकेट कोर्स करने का मौका मिलेगा.

जेएनयू से मिली जानकारी के अनुसार, सत्र 2023 से स्कूल ऑफ संस्कृत एंड इंडिक स्ट्डीज और स्कूल ऑफ साइंसेज पांच वर्षीय बीएससी-एमएससी आयुर्वेद बॉयोलॉजी के इंटीग्रेटिड कोर्स और हेल्थ अवेयरनेस एंड वेलनेस में एक साल के सर्टिफिकेट कोर्स शुरू कर रहा है. इस डिग्री और सर्टिफिकेट कोर्स में योग, ध्यान, पंचकर्म, नेचरोपैथी के बारे में पढ़ाया जाएगा.

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जेएनयू में शुरू हो रहे कोर्स के पीछे जेएनयू का तर्क यह है कि छात्रों को पढ़ाई के साथ उद्यमी बनने का मौका मिले. इसलिए अगले सत्र से एक साल का कोर्स शुरू किया जा रहा है. जेएनयू की ओर से कहा गया है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की सिफारिशों के तहत उच्च शिक्षा में बदलाव किया जा रहा है.

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