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जामिया हिंसा: चीफ प्रॉक्टर वसीम अहमद ने बताया अफसोस जनक हादसा

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Published : Dec 15, 2020, 4:07 PM IST

पिछले साल 15 दिसंबर को जामिया मिल्लिया इस्लामिया में हुई हिंसा को चीफ प्रॉक्टर प्रो. वसीम अहमद खान ने अफसोसनाक हादसा बताया है.

JMI
जामिया मिल्लिया इस्लामिया

नई दिल्ली: जामिया मिल्लिया इस्लामिया में हुए हिंसा को एक वर्ष पूरा हो गया है. इस मौके पर एहतियात के तौर पर जामिया में बड़ी संख्या में दिल्ली पुलिस और सीआरपीएफ के जवान तैनात किए गए हैं. वहीं 15 दिसंबर को हुई हिंसा को लेकर जामिया के चीफ प्रॉक्टर प्रोफेसर वसीम अहमद खान से जब बात की तो उन्होंने कहा कि जो भी कुछ हुआ था वह एक अफसोस जनक हादसा था.

चीफ प्रॉक्टर वसीम अहमद से खास बातचीत
15 दिसंबर की घटना को बताया अफसोस जनक का हादसा

बता दें कि गत वर्ष 15 दिसंबर को जामिया मिल्लिया इस्लामिया में हुई हिंसा को लेकर चीफ प्रॉक्टर प्रोफेसर वसीम अहमद खान ने कहा कि उस दिन जो भी कुछ हुआ था वह एक अफसोसजनक दुखद हादसा था और वह अब गुजर गया है. वहीं उन्होंने कहा कि पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई को लेकर जामिया नगर थाने में शिकायत दर्ज करा दी गई थी. इसके अलावा उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले को लेकर छात्रों की ओर से काफी दबाव था और अब यह पूरा मामला कोर्ट में चल रहा है.

ये भी पढ़ें:-जामिया दंगे को पूरे हुए एक साल, 22 आरोपी हो चुके गिरफ्तार

कैंपस के बाहर बड़ी संख्या में पुलिस मौजूद

वहीं चीफ प्रॉक्टर प्रोफेसर वसीम अहमद खान से जब कैंपस गेट पर दिल्ली पुलिस और सीआरपीएफ के जवानों की तैनाती को लेकर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि पुलिस का वह अपना खुद का बंदोबस्त है. उन्होंने कहा कि रोड पर पुलिस मौजूद है उसमें जामिया का कोई दखलंदाजी नहीं है, क्योंकि वह परिसर के बाहर है. बता दें कि जामिया स्टेडियम से लेकर कैंपस के हर गेट के आस पास बड़ी संख्या में दिल्ली पुलिस और सीआरपीएफ के जवान तैनात हैं.

पुलिस ने बिना अनुमति के ही कैंपस में प्रवेश किया था

वहीं प्रोसेसर खान से जब यह सवाल पूछा गया कि किस तरीके से जामिया के कैंपस के अंदर पुलिस ने प्रवेश किया. इस सवाल पर उन्होंने कहा कि पुलिस ने कैंपस के अंदर प्रशासन के बिना अनुमति के ही प्रवेश किया था. वहीं उन्होंने कहा कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया प्रशासन हमेशा से छात्रों के लिए खड़ा रहा है और आज भी खड़ा है.

नई दिल्ली: जामिया मिल्लिया इस्लामिया में हुए हिंसा को एक वर्ष पूरा हो गया है. इस मौके पर एहतियात के तौर पर जामिया में बड़ी संख्या में दिल्ली पुलिस और सीआरपीएफ के जवान तैनात किए गए हैं. वहीं 15 दिसंबर को हुई हिंसा को लेकर जामिया के चीफ प्रॉक्टर प्रोफेसर वसीम अहमद खान से जब बात की तो उन्होंने कहा कि जो भी कुछ हुआ था वह एक अफसोस जनक हादसा था.

चीफ प्रॉक्टर वसीम अहमद से खास बातचीत
15 दिसंबर की घटना को बताया अफसोस जनक का हादसा

बता दें कि गत वर्ष 15 दिसंबर को जामिया मिल्लिया इस्लामिया में हुई हिंसा को लेकर चीफ प्रॉक्टर प्रोफेसर वसीम अहमद खान ने कहा कि उस दिन जो भी कुछ हुआ था वह एक अफसोसजनक दुखद हादसा था और वह अब गुजर गया है. वहीं उन्होंने कहा कि पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई को लेकर जामिया नगर थाने में शिकायत दर्ज करा दी गई थी. इसके अलावा उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले को लेकर छात्रों की ओर से काफी दबाव था और अब यह पूरा मामला कोर्ट में चल रहा है.

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कैंपस के बाहर बड़ी संख्या में पुलिस मौजूद

वहीं चीफ प्रॉक्टर प्रोफेसर वसीम अहमद खान से जब कैंपस गेट पर दिल्ली पुलिस और सीआरपीएफ के जवानों की तैनाती को लेकर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि पुलिस का वह अपना खुद का बंदोबस्त है. उन्होंने कहा कि रोड पर पुलिस मौजूद है उसमें जामिया का कोई दखलंदाजी नहीं है, क्योंकि वह परिसर के बाहर है. बता दें कि जामिया स्टेडियम से लेकर कैंपस के हर गेट के आस पास बड़ी संख्या में दिल्ली पुलिस और सीआरपीएफ के जवान तैनात हैं.

पुलिस ने बिना अनुमति के ही कैंपस में प्रवेश किया था

वहीं प्रोसेसर खान से जब यह सवाल पूछा गया कि किस तरीके से जामिया के कैंपस के अंदर पुलिस ने प्रवेश किया. इस सवाल पर उन्होंने कहा कि पुलिस ने कैंपस के अंदर प्रशासन के बिना अनुमति के ही प्रवेश किया था. वहीं उन्होंने कहा कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया प्रशासन हमेशा से छात्रों के लिए खड़ा रहा है और आज भी खड़ा है.

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