नई दिल्ली: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने जामिया मिल्लिया के स्टूडेंट्स को कारण बताओ नोटिस जारी करने का विरोध किया है. साथ ही यूनिवर्सिटी से इसे तत्काल वापस लेने की मांग की है. छात्रों ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET) को पूर्ण रूप से लागू करने को लेकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया था. इसको लेकर ही विश्वविद्यालय प्रशासन ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है.
भारत के सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिए यूजीसी ने कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET) प्रवेश परीक्षा कराने का निर्णय लिया है. परंतु जामिया प्रशासन ने केवल बीस पाठ्यक्रमों में ही सीयूईटी के माध्यम से प्रवेश देने का ऐलान किया है. इसके विरूद्ध अभाविप ने 14 मार्च को शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर सभी पाठ्यक्रमों में सीयूईटी के माध्यम से प्रवेश देने की मांग कर विश्वविद्यालय प्रशासन को ज्ञापन भी सौंपा था. प्रदर्शन के अगले दिन जामिया प्रशासन ने 3 छात्रों को कारण बताओ नोटिस जारी कर उनसे स्पष्टीकरण मांगा एवं अनुशासनात्मक कार्रवाई की धमकी दी.
अभाविप ने कहा है कि सीयूईटी के माध्यम से प्रवेश देने की मांग पर प्रदर्शन में शामिल छात्रों को विश्वविद्यालय प्रशासन 'कारण बताओ नोटिस' जारी कर डराने-धमकाने का प्रयास कर रहा है, यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण तथा निंदनीय है. सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिए CUET अनिवार्य है, तो केन्द्रीय विश्वविद्यालय होने के बावजूद जामिया विश्वविद्यालय का सभी कोर्सेज में CUET के माध्यम से प्रवेश नहीं देना गलत है तथा देश के आम छात्रों के साथ अन्याय करने वाला निर्णय है.
शिक्षा मंत्रालय से कार्यवाही की मांगः जामिया प्रशासन के तुगलकी रवैए के विरोध में अभाविप ने यूजीसी तथा शिक्षा मंत्रालय से कार्रवाई की मांग की है. साथ ही चेतवानी दी है कि यदि समाधान नहीं हुआ तो छात्रों का बड़ा प्रदर्शन जामिया के तानाशाही रवैए के विरोध में किया जाएगा.
क्या बोले एबीवीपी के प्रदेश मंत्रीः अभाविप दिल्ली के प्रदेश मंत्री हर्ष अत्री ने कहा कि शांतिपूर्ण तथा लोकतांत्रिक प्रदर्शन में शामिल छात्रों को डराने के लिए नोटिस जारी करना जामिया प्रशासन का छात्रों की आवाज को दबाने के लिए उठाया गया तानाशाहीपूर्ण कदम है. जिसका अभाविप पुरजोर तरीके से विरोध करती है और जामिया प्रशासन से इस नोटिस को तत्काल वापस लेने की मांग करती है. साथ में यह भी आह्वान करती है कि सीयूईटी से संबंधी अगर हमारी मांगों पर विचार नहीं किया गया तो हम जामिया प्रशासन के खिलाफ छात्रों के हित में सड़क पर उतरेंगे.