1984 सिख दंगा के आरोपी सज्जन कुमार के मामले में धारा 302 हटाने का फैसला दुर्भाग्यपूर्णः परमजीत सिंह सरना - Shiromani Akali Dal
शिरोमणि अकाली दल दिल्ली इकाई के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने 1984 नरसंहार के मुख्य आरोपियों में से एक सज्जन कुमार के मामले में धारा 302 हटाने के फैसले का विरोध जताया है. उन्होंने कहा कि सरकार सिख के मामलों को हल्के में ले रही है और हल नहीं कर रही.
Published : Aug 24, 2023, 8:23 PM IST
नई दिल्ली: शिरोमणि अकाली दल दिल्ली प्रमुख परमजीत सिंह सरना ने 1984 दंगे के आरोपी सज्जन कुमार के मामले में आए फैसले पर अफसोस जताया है. सरना ने कहा कि इस निर्णय से सिख कौम को गहरी चोट पहुंची है.
अदालत के फैसले पर अफसोस: शिरोमणि अकाली दल दिल्ली इकाई के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने प्रेस को जारी एक बयान में कहा कि 1984 नरसंहार के मुख्य आरोपियों में से एक सज्जन कुमार के मामले में धारा 302 हटाने का फैसला बेहद दुर्भाग्यूपर्ण है. सरदार सरना ने कहा कि इसके लिए सपष्ट तौर पर जिम्मेवारी दिल्ली कमेटी पर काबिज मनजिंदर सिंह सिरसा व हरमीत सिंह कालका की बनती है. जब से ये लोग दिल्ली कमेटी में शामिल हुए हैं, सब कुछ तहस-नहस कर दिया है. दिल्ली कमेटी ने जो वकील 1984 के केसों की पैरवी के लिए खड़े किए हैं, वह अदालत जाकर कुछ बोले ही नहीं और न ही कोई दलीलें पेश कर सके.
इस वजह से टाइटलर को वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से पहले पेश होने का मौका मिल गया और अब सज्जन कुमार के मामले में धारा 302 हटाने का निर्णय आ गया. इतना ही नहीं इनकी जुंडली का सदस्य आत्मा सिंह लुबाणा गवाहों को गवाही देने से मना करने के लिए काम करता रहा है. सरना ने कहा कि इन सबके अलावा गुरु हरिकृष्ण पब्लिक स्कूलों का जो हाल इन्होंने किया है वह सबके सामने है.
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सिखों के मामले नहीं हो रहे हल: सरदार सरना ने आगे कहा कि मनजिंदर सिंह सिरसा जो कि स्वयं को सरकार के निकट समझते हैं, आज तक एक भी मामला सिखों का हल नहीं करवा सके हैं. उन्होंने दिल्ली की संगत को अपील करते हुए कहा कि कालका व सिरसा की जुंडली एक के बाद एक कौम के लिए घातक साबित हो रहे हैं. ऐसे लोगों से सचेत रहने की जरूरत है जो कि 84 केसों को कमजोर करने के लिए स्पष्ट रूप से जिम्मेवार हैं.
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