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छात्र हित को ध्यान में रख कर ही आगे बढ़ना जरूरी: पद्मश्री चमू कृष्ण शास्त्री

पद्मश्री चमू कृष्ण शास्त्री ने कहा कि आज के समय, परिस्थिति तथा लक्ष्य के मुताबिक छात्र हित को ध्यान में रख कर ही आगे बढ़ना जरूरी है. Central Sanskrit University

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Nov 14, 2023, 11:03 PM IST

नई दिल्ली: राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन संस्थान (एनआईईपीए) दिल्ली तथा केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय (सीएसयू) दिल्ली के सहयोग से 14 - 18 नवंबर तक सीएसयू के शैक्षणिक अधिकारियों, संकाय सदस्यों तथा अधिकारियों के लिए के लिए अकादमिक -प्राशासनिक क्षमता विकास कार्यक्रम का मंगलवार को एनआईईपीए में उद्घाटन किया गया. इसमें केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली के लगभग सभी परिसरों के निदेशकों के अलावा इसमें लगभग 35 वरिष्ठ शैक्षणिक प्रशासक (निदेशक, डीन, एचओडी और परीक्षा नियंत्रक आदि) के अतिरिक्त संकाय सदस्यों के के रुप में लगभग 35 विद्वानों ने भाग लिया.

मंगलवार को आयोजित उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि के रुप में पद्मश्री चमू कृष्ण शास्त्री ने विद्वानों को संबोधित करते कहा कि आज समय, परिस्थिति तथा लक्ष्य बदल गया है. अतः यह जरूरी है कि शास्त्र शिक्षण की रक्षा करते प्राविधिकी तथा छात्र हित को सर्वथा ध्यान में रख कर ही हमें आगे बढ़ें. साथ ही उन्होंने आगे यह भी कहा कि इस बात का भी मूल्यांकन होना चाहिए कि यह शास्त्र एक भारत तथा श्रेष्ठ भारत के ध्येय को कैसे परिपूरित कर सकता है?

ये भी पढ़ें: केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में बीएससी इन यौगिक साइंस कोर्स में नामांकन प्रक्रिया शुरू

कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेड़ी ने कहा कि केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली नैक द्वारा A++ पा कर देश के सभी संस्कृत विश्वविद्यालय में सर्वोत्तम स्थान पर है. लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि प्रगति के साथ साथ अनेक चुनौतियों तथा उत्तरदायित्वों का भी निर्वाह करना पड़ता है. उन्होंने आगे कहा कि हमें आशा है अपने केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के अधिकारी तथा संकाय सदस्य एनआईईपीए जैसे देश के लब्धप्रतिष्ठ संस्था से बहुत कुछ सीख कर केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के उत्कर्ष में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान देंगे.

नीता प्रसाद, संयुक्त सचिव, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों के आयोजनों से एन.ई.पी.-2020 को सम्यक् रुप से लागू करने में बहुत ही सहायता मिलेगी. कुलपति शशिकला जी. वंजारी ने कहा कि संस्कृत बहुत ही प्रभावी भाषा है. उन्होंने संस्कृत में निहित शोध के उन्नतशील तथा मौलिक चिंतन पर भी प्रकाश डालते हुए आगे कहा कि यह बहुत ही महत्त्वपूर्ण बात है कि हमारी संस्था को केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय से शैक्षणिक नवाचार करने का अवसर मिला है.

इसके उद्घाटन सत्र में भारतीय भाषा समिति, भारत सरकार के अध्यक्ष पद्मश्री चामू कृष्ण शास्त्री मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर श्रीनिवास वरखेड़ी, कुलपति, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली और नीता प्रसाद, संयुक्त सचिव, शिक्षा मंत्रालय उपस्थित रहे. साथ ही साथ इस सत्र की अध्यक्षता एनआईईपीए की कुलपति प्रो. शशिकला वंजारी ने की. इस पांच दिवसीय शैक्षणिक सत्रों के कार्यक्रमों के कार्यक्रम निदेशक प्रो. कुमार सुरेश और प्रो. नीरू स्नेही कार्यक्रम समन्वयक हैं. प्रो. कुमार सुरेश और प्रो. नीरू स्नेही ने क्रमशः एनआईईपीए के लक्ष्यों के परिचय तथा मंच का संचालन किया.

प्रो कुमार सुरेश, प्रो सुधांशु भूषण तथा सुबोध केसरवानी ने क्रमशः एनईपी-2020 की सांस्थानिक तैयारी, उच्च शिक्षा में ज्ञान परम्परा तथा शैक्षणिक नेतृत्व विषयों पर अपने विचार रखे.

नई दिल्ली: राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन संस्थान (एनआईईपीए) दिल्ली तथा केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय (सीएसयू) दिल्ली के सहयोग से 14 - 18 नवंबर तक सीएसयू के शैक्षणिक अधिकारियों, संकाय सदस्यों तथा अधिकारियों के लिए के लिए अकादमिक -प्राशासनिक क्षमता विकास कार्यक्रम का मंगलवार को एनआईईपीए में उद्घाटन किया गया. इसमें केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली के लगभग सभी परिसरों के निदेशकों के अलावा इसमें लगभग 35 वरिष्ठ शैक्षणिक प्रशासक (निदेशक, डीन, एचओडी और परीक्षा नियंत्रक आदि) के अतिरिक्त संकाय सदस्यों के के रुप में लगभग 35 विद्वानों ने भाग लिया.

मंगलवार को आयोजित उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि के रुप में पद्मश्री चमू कृष्ण शास्त्री ने विद्वानों को संबोधित करते कहा कि आज समय, परिस्थिति तथा लक्ष्य बदल गया है. अतः यह जरूरी है कि शास्त्र शिक्षण की रक्षा करते प्राविधिकी तथा छात्र हित को सर्वथा ध्यान में रख कर ही हमें आगे बढ़ें. साथ ही उन्होंने आगे यह भी कहा कि इस बात का भी मूल्यांकन होना चाहिए कि यह शास्त्र एक भारत तथा श्रेष्ठ भारत के ध्येय को कैसे परिपूरित कर सकता है?

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कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेड़ी ने कहा कि केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली नैक द्वारा A++ पा कर देश के सभी संस्कृत विश्वविद्यालय में सर्वोत्तम स्थान पर है. लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि प्रगति के साथ साथ अनेक चुनौतियों तथा उत्तरदायित्वों का भी निर्वाह करना पड़ता है. उन्होंने आगे कहा कि हमें आशा है अपने केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के अधिकारी तथा संकाय सदस्य एनआईईपीए जैसे देश के लब्धप्रतिष्ठ संस्था से बहुत कुछ सीख कर केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के उत्कर्ष में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान देंगे.

नीता प्रसाद, संयुक्त सचिव, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों के आयोजनों से एन.ई.पी.-2020 को सम्यक् रुप से लागू करने में बहुत ही सहायता मिलेगी. कुलपति शशिकला जी. वंजारी ने कहा कि संस्कृत बहुत ही प्रभावी भाषा है. उन्होंने संस्कृत में निहित शोध के उन्नतशील तथा मौलिक चिंतन पर भी प्रकाश डालते हुए आगे कहा कि यह बहुत ही महत्त्वपूर्ण बात है कि हमारी संस्था को केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय से शैक्षणिक नवाचार करने का अवसर मिला है.

इसके उद्घाटन सत्र में भारतीय भाषा समिति, भारत सरकार के अध्यक्ष पद्मश्री चामू कृष्ण शास्त्री मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर श्रीनिवास वरखेड़ी, कुलपति, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली और नीता प्रसाद, संयुक्त सचिव, शिक्षा मंत्रालय उपस्थित रहे. साथ ही साथ इस सत्र की अध्यक्षता एनआईईपीए की कुलपति प्रो. शशिकला वंजारी ने की. इस पांच दिवसीय शैक्षणिक सत्रों के कार्यक्रमों के कार्यक्रम निदेशक प्रो. कुमार सुरेश और प्रो. नीरू स्नेही कार्यक्रम समन्वयक हैं. प्रो. कुमार सुरेश और प्रो. नीरू स्नेही ने क्रमशः एनआईईपीए के लक्ष्यों के परिचय तथा मंच का संचालन किया.

प्रो कुमार सुरेश, प्रो सुधांशु भूषण तथा सुबोध केसरवानी ने क्रमशः एनईपी-2020 की सांस्थानिक तैयारी, उच्च शिक्षा में ज्ञान परम्परा तथा शैक्षणिक नेतृत्व विषयों पर अपने विचार रखे.

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