नई दिल्ली: राजधानी के रामलीला मैदान में 12 साल बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने महारैली की. इसके बाद आम आदमी पार्टी की नजरें उन विपक्षी दलों पर टिक गई हैं, जिनसे अभी केंद्र के ताजा अध्यादेश के खिलाफ समर्थन नहीं मिला है. वहीं, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सभी विपक्षी दल इस रैली की स्टडी कर, आगे फैसला लेंगे कि आम आदमी पार्टी को इस मुद्दे पर समर्थन देना है या नहीं.
रैली के अगले दिन, यानी सोमवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि 'अध्यादेश के खिलाफ रामलीला मैदान की रैली में बीजेपी के भी कई लोग आए थे. बीजेपी वाले भी कह रहे हैं, मोदी जी ने ये अध्यादेश लाकर सही नहीं किया.'
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दिल्ली की जनता के अधिकारों को छीनने वाले केंद्र सरकार के तानाशाही अध्यादेश के ख़िलाफ़ कल दिल्ली के लोग रामलीला मैदान में एकजुट होंगे। संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए हो रही इस महारैली में आप भी ज़रूर आएँ।
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) June 10, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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महारैली से 2024 के अभियान की शुरुआत: राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार अजय पांडेय इस महारैली को 2024 को लेकर अरविंद केजरीवाल के अभियान की शुरुआत के तौर पर देख रहे हैं. वे कहते हैं पंजाब में सरकार बनाने और गुजरात विधानसभा चुनाव में 5 सीटें हासिल कर आम आदमी पार्टी ने राष्ट्रीय पार्टी का खिताब हासिल कर लिया है. अब केजरीवाल राष्ट्रीय राजनीति में जगह बनाने की कोशिश कर रहे हैं. रामलीला मैदान में अध्यादेश के खिलाफ केजरीवाल ने गैर बीजेपी शासित राज्य सरकारों तक यह संदेश पहुंचाने का प्रयास किया कि इस तरह के अध्यादेश लाकर उनके भी अधिकार सीमित किए जा सकते हैं. उनकी पार्टी ने इस इस रैली के जरिए यह भी स्पष्ट कर दिया कि वह राष्ट्रीय राजनीति में शीर्ष नेतृत्व चाहती है.
दिल्ली बीजेपी ने AAP की महारैली को बताया फ्लॉप: 12 साल बाद रामलीला मैदान में आयोजित महारैली में अरविंद केजरीवाल और पार्टी के अन्य नेताओं ने जिस तरह अपना वक्तव्य रखा, उससे पता चला कि इसी मैदान से आंदोलन के बाद जन्मी आम आदमी पार्टी आज देश को नई राजनीति करना सिखा रही है. पहले कांग्रेस व अब बीजेपी शासित राज्य में आप सरकार की योजनाओं को लागू किया जा रहा है.
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रैली में AAP के लोग ही नहीं आए थे, आलम यह था कि कुर्सियां खाली थीं। 500 रुपए, किराए की गाड़ी, खाना देने के बावजूद तुम्हारा फर्जीवाड़ा सुनने वाला कोई नहीं था। जनता भी जानती है आप से बड़ा धूर्त, बेशर्म और पाखंडी कोई नहीं हुआ। https://t.co/fbzGcgHwFP
— BJP Delhi (@BJP4Delhi) June 12, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
">रैली में AAP के लोग ही नहीं आए थे, आलम यह था कि कुर्सियां खाली थीं। 500 रुपए, किराए की गाड़ी, खाना देने के बावजूद तुम्हारा फर्जीवाड़ा सुनने वाला कोई नहीं था। जनता भी जानती है आप से बड़ा धूर्त, बेशर्म और पाखंडी कोई नहीं हुआ। https://t.co/fbzGcgHwFP
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इस पर प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि रामलीला मैदान में एक लाख लोगों को बुलाने का दावा पूरी तरह से खोखला साबित हुआ है. इसी मैदान से जिस निचले स्तर की भाषा का प्रयोग अरविंद केजरीवाल ने किया है, उसे सुनकर हर कोई शर्मिंदा है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजनीति में जगह पाने के लिए आम आदमी पार्टी का जो सपना है, वह कभी पूरा नहीं होगा.
सबको पता है मोदी का रथ कौन रोक सकता है: सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश को आम आदमी पार्टी किसी भी सूरत में राज्यसभा से पास नहीं होने देना चाहती है. इसके लिए पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पिछले 20 दिनों से समर्थन हासिल करने के लिए अलग-अलग राज्यों के नेताओं से मिल रहे हैं.
रामलीला मैदान में हुई महारैली में आम आदमी पार्टी के नेता दिलीप पांडेय हों या मंत्री गोपाल राय, सब खुलकर यह बात कह रहे थे कि सभी को यह पता है कि अगले लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रथ कौन रोक सकता है. इसकी शुरुआत रामलीला मैदान से हो चुकी है.
कांग्रेस सहित अन्य राजनीतिक दलों की हामी का इंतजार: केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश के खिलाफ राजनीतिक दलों का समर्थन हासिल करने की केजरीवाल की कोशिश और उम्मीदें कांग्रेस पर जाकर टिक गई हैं. केजरीवाल का स्पष्ट मानना है कि वह इंतजार में हैं कि कांग्रेस के नेता अध्यादेश के खिलाफ आम आदमी पार्टी का समर्थन करेंगे. लेकिन 10 दिन से अधिक समय बीत जाने के बाद भी केजरीवाल ने कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे से मिलने के लिए जो समय मांगा था, वह मिल नहीं पाया है.
आप ने ली कांग्रेस की जगह! आशंका से कांग्रेसी सतर्क: दिल्ली के पूर्व सांसद व कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित के साथ दिल्ली सरकार में मंत्री रहे अजय माकन ने पहले ही साफ कर दिया है कि आम आदमी पार्टी को किसी भी तरह का समर्थन करना ठीक नहीं होगा. उन्होंने अपनी मंशा शीर्ष नेतृत्व को भी बता दी है. वहीं, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अनिल चौधरी का कहना है कि दिल्ली हो या पंजाब, जहां भी आम आदमी पार्टी ने सरकार बनाई उसने कांग्रेस को ही हटाकर अपनी जगह तैयार की है. गुजरात विधानसभा में पार्टी को मिले वोट भी बताते हैं कि नुकसान बीजेपी को नहीं, बल्कि कांग्रेस को ही हुआ है. यही वजह है कि प्रदेश स्तर के नेताओं ने शीर्ष नेतृत्व को बता दिया है कि आम आदमी को समर्थन देना ठीक नहीं है.
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