नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव नरेश कुमार पर कथित भ्रष्टाचार के मामले में दिल्ली की विजिलेंस मंत्री आतिशी ने जांच शुरू कर दी है. मुख्यमंत्री केजरीवाल ने इस संबंध में आतिशी से रिपोर्ट मांगी थी. शनिवार को मंत्री आतिशी ने विजिलेंस विभाग के निदेशक और डिविजनल कमिश्नर को पत्र लिखकर उनसे इस संबंध में सभी फाइलें मांगी हैं. मुख्य सचिव नरेश कुमार के बेटे से जुड़ी एक कंपनी को 315 करोड़ रुपए का फायदा पहुंचाने का आरोप है.
मुख्य सचिव पर बेटे की कंपनी को करोड़ों फायदा पहुंचाने का आरोप: मुख्य सचिव नरेश कुमार पर आरोप है कि द्वारका एक्सप्रेसवे के लिए भूमि अधिग्रहण में हेरफेर कर उन्होंने अपने बेटे की कंपनी को 315 करोड़ रुपये का फायदा पहुंचाया. शुक्रवार को इसकी शिकायत मिलते ही मुख्यमंत्री केजरीवाल ने विजिलेंस मंत्री आतिशी को जांच के आदेश दे दिए. हालांकि इस पर मुख्य सचिव अपनी प्रतिक्रिया देते हुए सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया है.
जमीन का मुआवजा बढ़ाया गया: मुख्य सचिव नरेश कुमार के बेटे पर आरोप है कि जमीन का मुआवजा बढ़ाने के लिए उन्होंने डीएम को कहा था. पिछले तीन जिला अधिकारियों ने जमीन का मुआवजा बढ़ाने से इनकार कर दिया था. नरेश कुमार के मुख्य सचिव बनने के 40 दिन बाद हेमंत कुमार साउथ वेस्ट जिले के डीएम बने और उन्होंने जमीन की मुआवजा राशि 41.50 करोड़ से बढ़ाकर 353 करोड़ रुपये करने के आदेश दिए.
इस तरह हुआ मामले का खुलासा: द्वारका एक्सप्रेसवे के लिए जमीन अधिग्रहण पर एक रिपोर्ट आई है. द्वारका एक्सप्रेसवे सड़क परियोजना के लिए दिल्ली के साउथ वेस्ट डिस्ट्रिक्ट के बामनोली गांव में 19 एकड़ जमीन के लिए दो लोगों को 18.54 करोड़ रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजे के रूप में 353 करोड़ रुपये दिए गए. जमीन की कीमत 2018 में 41 करोड़ के करीब थी. लेकिन इसी साल दिल्ली के डीएम हेमंत कुमार ने इस जमीन के लिए मुआवजा राशि 353 करोड़ कर दिया. जिस कंपनी को मुआवजे का लाभ मिला था उसमें दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार के बेटे का कनेक्शन सामने आया है.