नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में पिछले दो महीने से डेंगू के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. इससे बड़ी संख्या में लोग अस्पतालों में इलाज के लिए जा रहे हैं, जिससे अस्पतालों की ओपीडी में भी भीड़ बढ़ रही है. साथ ही गंभीर संक्रमण होने पर लोगों को अस्पताल में भर्ती भी होना पड़ रहा है. डेंगू के जिन मरीजों को गंभीर संक्रमण हो रहा है उनके प्लेटलेट्स भी तेजी से गिर रहे हैं.
बीते चार सप्ताह से दिल्ली नगर निगम द्वारा डेंगू के नए मामलों की रिपोर्ट जारी नहीं की जा रही है. इसलिए आधिकारिक तौर पर डेंगू के बढ़ते हुए मामलों का कोई आंकड़ा सामने नहीं आ रहा है. लेकिन, चार सप्ताह पहले नगर निगम द्वारा जारी गई रिपोर्ट की बात करें तो अगस्त के पहले सप्ताह में डेंगू के 105 नए मामले सामने आए थे. उसके बाद इस साल डेंगू के कुल मरीजों का आंकड़ा 348 पहुंच गया था. राहत की बात यह है कि दिल्ली में अभी तक डेंगू से किसी मरीज की मौत नहीं हुई है.
सवाल: दिल्ली में इस साल पिछले कई सालों का रिकॉर्ड तोड़ते हुए डेंगू के सर्वाधिक मरीज मिले हैं और यह संख्या लगातार बढ़ रही है. क्या कारण है?
जवाब: दिल्ली में इस साल रिकॉर्डतोड़ डेंगू के मामले बढ़ने का प्रमुख कारण पिछले एक से डेढ़ महीने के अंदर दिल्ली में हुई भारी बारिश और उसके कारण हुआ जलजमाव है. जल जमा होने से उनमें मच्छर पनप रहे हैं, जिसकी वजह से डेंगू के मामले बढ़ रहे हैं.
सवाल: इस डेंगू के साथ ही फ्लू के भी मामले सामने आ रहे हैं. यह किस तरह से लोगों के लिए घातक हो सकते हैं?
जवाब: डेंगू होने पर मरीज के जोड़ों में ज्यादा दर्द नहीं होता है. साथ ही डेंगू का मरीज दूसरे व्यक्ति को संक्रमित नहीं कर सकता है. लेकिन फ्लू एक वायरस संक्रमण वाली बीमारी है. इसमें अगर परिवार के एक सदस्य को फ्लू हो जाए तो वह दूसरे सदस्यों को भी संक्रमित कर देता है. फ्लू इन्फ्लूएंजा वायरस के संक्रमण से होता है, जो बहुत ज्यादा संक्रामक होता है. हालांकि यह भी ज्यादा घातक नहीं है. लेकिन दूसरे लोगों को संक्रमित कर देता है इसलिए फ्लू से भी बचाव जरूरी है.
सवाल: डेंगू होने पर प्लेटलेट्स की संख्या कितने दिन बुखार आने पर गिरने लगती है और यह कब तक गिरती है?
जवाब: डेंगू में बुखार आने के तीन दिन बाद चौथे दिन से प्लेटलेट्स गिरनी शुरू होती है और यह नवें दिन तक गिरती है. इसके बाद बढ़नी शुरू हो जाती हैं इसलिए दो दिन बुखार आने पर ही डेंगू का टेस्ट करा लेना चाहिए. इसमें बिल्कुल भी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए.
सवाल: डेंगू के सीजन में बुखार आने पर किस तरह की दवाइयां नहीं लेनी चाहिए?
जवाब: डेंगू के सीजन में बुखार आने पर कभी भी डिस्प्रिन और एस्प्रिन जैसी टैबलेट नहीं लेनी चाहिए. इनके खाने से भी प्लेटलेट्स तेजी से गिरती हैं, जिससे स्थिति गंभीर हो सकती है. इसलिए इस बात का ध्यान जरूर रखें कि डॉक्टर से बिना पूछे दवाई ना लें.
सवाल: डेंगू की पुष्टि होने पर और प्लेटलेट्स काउंट कम होने पर प्लेटलेट्स को बढ़ाने के लिए क्या करना चाहिए?
जवाब: डेंगू की पुष्टि होने और प्लेटलेट्स काउंट कम होने पर प्लेटलेट्स को बढ़ाने के लिए सबसे अच्छा फल है पपीता. जिसे नियमित रूप से खाना चाहिए. इसके अलावा कीवी फल भी बहुत तेजी से प्लेटलेट्स बढ़ता है. लेकिन, डेंगू के सीजन में कीवी बहुत ज्यादा महंगा होने की वजह से हर किसी की क्षमता खरीदने की नहीं होती तो पपीता खाकर भी प्लेटलेट्स बढ़ाई जा सकती है. इसके अलावा पानी खूब पीना चाहिए. डेंगू होने पर शरीर में पानी की कमी हो जाती है.
सवाल: अभी अस्पतालों में वायरल फीवर के भी काफी मरीज आ रहे हैं. क्या वायरल फीवर में भी अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ सकती है?
जवाब: अभी अस्पतालों में जो मरीज आ रहे हैं, उनमें आधे मरीज डेंगू के और आधे मरीज फ्लू और वायरल फीवर के पाए जा रहे हैं. अभी डेंगू के मरीजों में बहुत ज्यादा घातक संक्रमण देखने को नहीं मिल रहा है. इसलिए डेंगू के मरीजों को सप्ताह भर में अस्पताल से भी छुट्टी मिल रही है. इसी तरह वायरल फीवर भी तीन दिनों बाद उतर जाता है. डेंगू, फ्लू और वायरल फीवर में उन्हीं मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ती है, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है. इनमें मुख्य रूप से बुजुर्ग और बीमारियों से पीड़ित मरीज शामिल होते हैं.
सवाल: अगर किसी को एक बार डेंगू हो गया. उसके बाद उसी व्यक्ति को दोबारा डेंगू होता है तो वह कितना घातक होगा?
जवाब: एक व्यक्ति को पहली बार जब डेंगू होता है, तो वह ज्यादा घातक नहीं होता. लेकिन, अगर एक बार डेंगू होने के बाद जब उसी व्यक्ति को दोबारा डेंगू होता है तो डेंगू का रूप बहुत ही उग्र होता है और वह मरीज को गंभीर स्थिति में पहुंचा देता है. क्योंकि पहली बार मरीज डेंगू के किसी एक स्ट्रेन से संक्रमित होता है. लेकिन दूसरी बार में जब वह दूसरे स्ट्रेन से संक्रमित होता है तो गंभीर स्थिति में जाने की वजह से मरीज को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ती है और उसे ठीक होने में 15 से 20 दिन लगते हैं.
सवाल: डेंगू का सबसे घातक लक्षण क्या है? और कब मरीज की स्थिति को गंभीर मानना चाहिए?
जवाब: डेंगू का सबसे खतरनाक लक्षण होता है शरीर के किसी भी हिस्से से रक्तस्राव (ब्लीडिंग) होना. यह स्थिति डेंगू के मरीजों में हेमरेजिक फीवर के कारण होती है. ऐसे में मरीज की प्लेटलेट्स बहुत कम हो जाती हैं और उसकी जान को भी खतरा हो जाता है. प्लेटलेट्स को चढ़ाकर ही मरीज की स्थिति में सुधार लाया जा सकता है.
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