नई दिल्ली: 22 जनवरी को अयोध्या में होने वाली राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर तैयारियां चल रही हैं. इस दौरान देशभर में कुछ राजनीतिक पार्टियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौरा भी जारी है. रामलला की भव्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए कई नेता न्योते का इंतजार कर रहे हैं. वहीं कुछ ऐसे हैं जो निमंत्रण लेने से इनकार भी कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को विश्व हिन्दू परिषद के वर्किंग प्रेसिडेंट आलोक कुमार ने निमंत्रण दिया था. जिसे उन्होंने यह कहते हुए ठुकरा दिया कि वह आलोक कुमार को नहीं जानते.
इस मामले को लेकर आलोक कुमार ने कहा, "निमंत्रण तो श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ स्थल की तरफ से भेजा गया है. और वह निमंत्रण उन्होंने मंदिर के लिए दिया, मंदिर का ट्रस्ट सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सरकार द्वारा बनाया गया है. उनका कोई कारण रहा होगा या उन्हें निमंत्रण अच्छा नहीं लगा, इसलिए उन्होंने मना कर दिया. राम मंदिर सभी का है. सभी राम भक्तों का है. जिसकी इच्छा है वह जाएं, जिसकी इच्छा नहीं है वह नहीं जाए.
वहीं, बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के निमंत्रण को लेकर आलोक कुमार का कहना है कि हमने पहले ही दोनों नेताओं को निमंत्रण भेजा है. दोनों नेताओं से हम खुद मिलने गए. उनका एक अलग ही स्वभाव देखने को मिला, दोनों ने इस दिन पहुंचने का हमें आश्वासन दिया है.
अरविंद केजरीवाल को निमंत्रण नहीं पहुंचने पर उन्होंने कहा है कि अरविंद केजरीवाल का लिस्ट में नाम है. उन्हें भी निमंत्रण पहुंचेगा. जल्द ही उनके पास निमंत्रण भेजा जाएगा. कांग्रेस पार्टी के निमंत्रण स्वीकार न करने पर उन्होंने कहा कि हम सभी नेताओं का स्वागत करते हैं. अगर वह नहीं जाना चाहते हैं तो उनकी मर्जी, लेकिन हम सभी लोगों को निमंत्रण भेज रहे हैं.