नई दिल्लीः दिल्ली की एकीकृत एमसीडी का पहला वित्तीय बजट (First Financial Budget of Integrated MCD) आगामी वर्ष 2023-24 के मद्देनजर सामने आ गया है. हालांकि बजट को पहले ही प्रस्तुत कर दिया गया था, लेकिन आचार संहिता होने के चलते सार्वजनिक नहीं किया गया था. यूनिफाइड एमसीडी के कमिश्नर द्वारा 16,023 करोड़ से ज्यादा का बजट प्रस्तावित किया गया है, जिसमें इस बार सबसे ज्यादा खर्च सफाई व्यवस्था, सामान्य प्रशासन और शिक्षा व्यवस्था पर प्रस्तावित किया गया है.
परिसीमन के बाद बनी दिल्ली की यूनिफाइड एमसीडी के कमिश्नर ज्ञानेश भारती द्वारा आगामी वित्तीय वर्ष 2023-2024 को ध्यान में रखते हुए पहला बजट प्रस्तुत किया गया है. इसमें अनुमानित तौर पर 16,023.55 करोड रुपए के बजट को प्रस्तावित किया गया है. बजट की शुरुआत ओपनिंग बैलेंस के तौर पर 508.23 करोड़ रुपए से होगी. आगामी वित्तीय वर्ष में एमसीडी की अनुमानित आय लगभग 15523.95 करोड रुपए आंकी गई है.
आगामी वित्तीय वर्ष 2023-24 में दिल्ली की एकीकृत एमसीडी के द्वारा किस क्षेत्र में कितनी राशि खर्च की जानी है, उसका विवरण निम्न है:
- सफाई व्यवस्थाः 4465.85 करोड रुपए
- सामान्य प्रशासनः 3335.84 करोड रुपए
- शिक्षा व्यवस्थाः 2847.82 करोड रुपए
- लोक निर्माण कार्य और पथ प्रकाशः 1820.28 करोड रुपए
- जन स्वास्थ्य और चिकित्साः 1719.49 करोड रुपए
- लाइसेंस विभागः 11.31करोड़ रुपये
- सामुदायिक सेवाएंः 738.40करोड रुपये
- पशु चिकित्सा सेवाएंः 86.18करोड रुपए
- हॉर्टिकल्चर विभागः 545.80करोड रुपए
- भूमि एवं लाभकारी परियोजनाः 121.73 करोड रुपए
- अन्य विकास के खर्चेः 327.63 करोड रुपए
- कर्ज भुगतानः 667.73 करोड रुपए
हालांकि, यह आगामी वित्तीय वर्ष के मद्देनजर अनुमानित बजट है, जिसे निगम कमिश्नर ज्ञानेश भारती द्वारा विशेष अधिकारी के सामने प्रस्तुत किया गया है. इस बजट में अभी बदलाव संशोधन के माध्यम से एमसीडी में सदन के गठन, मेयर चुनाव और स्टैंडिंग कमेटी के गठित हो जाने के बाद पूर्ण रूप से संभावित है.
एकीकृत एमसीडी के पहले बजट पर बीजेपी के वरिष्ठ प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने बताया कि जो बजट सामने आया है, इसमें एमसीडी द्वारा आर्थिक विकास पर बल दिया गया है. जो बीते 5 साल में बीजेपी के निरंतर द्वारा किए गए प्रयासों का परिणाम है. एकीकृत एमसीडी का बजट स्पष्ट तौर पर दिखाता है कि वर्तमान समय में किस तरह से आर्थिक बदहाली एक बड़ी समस्या है. इसकी वजह से एमसीडी कर्मचारियों को वेतन और पेंशन समय पर नहीं मिल पा रही हैं. फंड की कमी के चलते एमसीडी विकास कार्य भी नहीं कर पा रही है.
ये भी पढ़ेंः AIIMS दिल्ली के सर्वर पर चीनी हैकरों ने किया था हमला, पांच सर्वरों के डाटा रिकवर
उन्होंने कहा कि इसकी एक बड़ी वजह मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा चौथे और पांचवें वित्त आयोग की सिफारिशों को लागू ना करना और निगम का फंड जारी न करना भी है. अब जब एमसीडी में आप की सरकार है तो ऐसे में उम्मीद करता हूं कि अरविंद केजरीवाल एमसीडी को उसके हक का फंड जारी कर देंगे जो पिछले काफी लंबे समय से लंबित है. साथ ही सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार निगम कर्मचारियों की वेतन और पेंशन देने का भी निर्णय लिया जाएगा.