नई दिल्ली: कोरोना वायरस के वैक्सीन की खोज में हो रही देरी को देखते हुए अब वैज्ञानिक इसे एक अज्ञात विश्वासघाती शत्रु मानते हुए बड़ी तबाही का अनुमान लगा रहे हैं. उनका कहना है कि ये तबाही इतनी बड़ी हो सकती है. जिसे हमारा देश बर्दाश्त नहीं कर पाएगा. ऐसे में जब तक कोई ठोस समाधान नहीं मिलता है. तब तक सावधान रहना ही एकमात्र उपाय है.
एनआईवी में पहले दिन से ही महामारी पर जांच, कंटेनमेंट योजना, दवा और वैक्सीन ट्रायल जैसी चीजों पर अध्ययन चल रहे हैं. दोनों ने सलाह दी है कि ये वायरस कब और किस तरह अपना स्ट्राइक बदल सकता है. इसके बारे में कुछ भी कहा नहीं जा सकता.
'नहीं फैलती महामारी'
इनका कहना है कि लॉकडाउन के दौरान नौकरी गंवाने और खाने की कमी के चलते प्रवासी मजदूरों का बड़ी तादाद में मध्य और पूर्वी इलाकों में पलायन देखने को मिला. इसका अनुमान पहले नहीं था. जल्द ही ये पता चला कि अप्रभावी प्रयासों की वजह से इन्हें रोकने में नाकामयाबी मिली. जिसके चलते वायरस को साथ लेकर ये अपने अपने गृहक्षेत्र पहुंचे और महामारी का विस्तार देखने को मिला. इसलिए अब इससे निपटने के लिए राज्यों के पास कंटेनमेंट योजना और सर्विलांस ही विकल्प हैं.
इनका ये भी कहना है कि कोरोना वायरस सहित लाखों तरह के संक्रामक रोग जंगली जानवरों के जरिए प्रसारित हो रहे हैं. इनमें अधिकांश जानवरों के जरिए इंसानों तक पहुंच रहे हैं. ऐसे में एक संयुक्त निगरानी की आवश्यकता है. जिसके जरिए इंसान और जानवर दोनों पर नजर रखी जा सके. ताकि जूनोटिक संक्रमण का पता पहले से चल सके.