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भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने में महिलाएं कर सकती हैं मदद: डॉ. एन कलैसेल्वी

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में शुक्रवार को तीन दिवसीय स्त्री 2020 (STREE 2020) कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया. इस कार्यक्रम में महिला सशक्तिकरण के बारे में चर्चा की गई.

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Published : Nov 25, 2022, 7:52 PM IST

नई दिल्ली: जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में तीन दिवसीय स्त्री 2020 कार्यक्रम का सीएसआइआर के महानिदेशक डॉ. एन कलैसेल्वी ने शुक्रवार को उद्घाटन किया. उन्होंने कहा कि भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने में महिलाएं मदद कर सकती हैं. 21वीं सदी में भारत को एक विकसित देश बनाने में महिलाओं की भूमिका अहम है.

विज्ञान के क्षेत्र में कार्यरत महिलाएं देश को बेहतर ढंग से विकसित करने में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है. इसलिए भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने में महिलाएं मदद कर सकती हैं. डॉ. एन कलैसेल्वी ने जवाहर लाल नेहरु (जेएनयू) में आयोजित तीन दिवसीय स्त्री सम्मेलन 2020 के दौरान बतौर मुख्य अतिथि के तौर पर यह बातें कही. उन्होंने कहा कि 20वीं सदी संयुक्त राज्य अमेरिका की सदी थी, यह सदी भारत की सदी होने जा रही है.


जेएनयू की कुलपति प्रो. शांतिश्री डी. पंडित ने इस सम्मेलन के आयोजन के पीछे जेएनयू के दृष्टिकोण को रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा मंच है, जहां मानव जाति के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने समर्थित समाधानों का पता लगाने के लिए वैज्ञानिक, उद्यमी और अन्वेषक एक साथ आए हैं.

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत जेएनयू नई चीजें कर रहा है. जेएनयू ने इसके तहत कौशल प्रमाण पत्र डिग्री प्रोग्राम भी शुरू किया है. उन्होंने कहा कि जेएनयू में हिंदू अध्ययन में स्नातकोत्तर कार्यक्रम भी शुरू किया गया है.

ये भी पढ़ें: मेडिकल सेक्टर में अब तक की बड़ी हैकिंग, AIIMS में 4 करोड़ मरीजों का डाटा हैक

आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम से महिलाओं के लिए बहुमूल्य योगदान देने की संभावनाओं को बढ़ाती है. उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि एनईपी 2020 में नई नीति प्रक्रियाओं के साथ ऐसे प्लेटफॉर्म महिलाओं को शिक्षा या करियर गैप के बाद भी शिक्षा लेने में मदद करते हैं.

उन्होंने कहा कि जेएनयू वीसी प्रोफेसर पंडित और डीजी सीएसआईआर जैसे उपलब्धि हासिल करने वाली महिला की मंच पर उपस्थिति स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि भविष्य में महिलाएं आने वाले वर्ष में आगे बढ़कर नेतृत्व करेंगी. उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत की एक लंबी भारतीय परंपरा है. विज्ञान और वैज्ञानिक दृष्टिकोण का जहां विज्ञान और समाज में महिलाओं के योगदान से यहां एक सांस्कृतिक और मानवतावादी दृष्टिकोण जोड़ा जा रहा है.

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नई दिल्ली: जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में तीन दिवसीय स्त्री 2020 कार्यक्रम का सीएसआइआर के महानिदेशक डॉ. एन कलैसेल्वी ने शुक्रवार को उद्घाटन किया. उन्होंने कहा कि भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने में महिलाएं मदद कर सकती हैं. 21वीं सदी में भारत को एक विकसित देश बनाने में महिलाओं की भूमिका अहम है.

विज्ञान के क्षेत्र में कार्यरत महिलाएं देश को बेहतर ढंग से विकसित करने में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है. इसलिए भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने में महिलाएं मदद कर सकती हैं. डॉ. एन कलैसेल्वी ने जवाहर लाल नेहरु (जेएनयू) में आयोजित तीन दिवसीय स्त्री सम्मेलन 2020 के दौरान बतौर मुख्य अतिथि के तौर पर यह बातें कही. उन्होंने कहा कि 20वीं सदी संयुक्त राज्य अमेरिका की सदी थी, यह सदी भारत की सदी होने जा रही है.


जेएनयू की कुलपति प्रो. शांतिश्री डी. पंडित ने इस सम्मेलन के आयोजन के पीछे जेएनयू के दृष्टिकोण को रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा मंच है, जहां मानव जाति के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने समर्थित समाधानों का पता लगाने के लिए वैज्ञानिक, उद्यमी और अन्वेषक एक साथ आए हैं.

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत जेएनयू नई चीजें कर रहा है. जेएनयू ने इसके तहत कौशल प्रमाण पत्र डिग्री प्रोग्राम भी शुरू किया है. उन्होंने कहा कि जेएनयू में हिंदू अध्ययन में स्नातकोत्तर कार्यक्रम भी शुरू किया गया है.

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आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम से महिलाओं के लिए बहुमूल्य योगदान देने की संभावनाओं को बढ़ाती है. उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि एनईपी 2020 में नई नीति प्रक्रियाओं के साथ ऐसे प्लेटफॉर्म महिलाओं को शिक्षा या करियर गैप के बाद भी शिक्षा लेने में मदद करते हैं.

उन्होंने कहा कि जेएनयू वीसी प्रोफेसर पंडित और डीजी सीएसआईआर जैसे उपलब्धि हासिल करने वाली महिला की मंच पर उपस्थिति स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि भविष्य में महिलाएं आने वाले वर्ष में आगे बढ़कर नेतृत्व करेंगी. उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत की एक लंबी भारतीय परंपरा है. विज्ञान और वैज्ञानिक दृष्टिकोण का जहां विज्ञान और समाज में महिलाओं के योगदान से यहां एक सांस्कृतिक और मानवतावादी दृष्टिकोण जोड़ा जा रहा है.

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