नई दिल्ली: IIT दिल्ली और AIIMS दिल्ली के संयुक्त प्रयास में अल्ट्रासाउंड के क्षेत्र में अविश्वसनीय काम किया है. जिसके जरिए सैकड़ों किलोमीटर दूर भी मरीज का अल्ट्रासाउंड किया जा सकेगा. यह रोबोटिक आर्म (Robotic Arm) और तेज इंटरनेट की मदद से ऑपरेट हो सकेगा. बता दें कि दोनों संस्थानों ने मिलकर एक टेलीरोबोटिक अल्ट्रासाउंड सिस्टम (Telerobotic Ultrasound System) विकसित किया है. वहीं शोधकर्ताओं की मानें तो इसे लगाने में ज्यादा लागत भी नहीं आएगी.
IIT दिल्ली के प्रोफेसर चेतन अरोड़ा ने बताया कि कोरोना के संक्रमण को कम करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से लॉकडाउन की घोषणा की गई थी. इस दौरान मरीजों की संख्या बढ़ने लगी. लेकिन अन्य बीमारियों से जूझ रहे मरीजों की मुश्किलें भी बढ़ गईं. कई बीमारियों में अल्ट्रासाउंड जरूरी होती है. इसी को ध्यान में रखते हुए AIIMS ने जून 2020 में IIT के शोधकर्ताओं को दूर बैठकर अल्ट्रासाउंड करने की तकनीक विकसित करने की जरूरत बताई थी.
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प्रोफेसर चेतन अरोड़ा का कहना है कि AIIMS की बात को ध्यान में रखते हुए तत्काल IIT दिल्ली और AIIMS के वैज्ञानिकों की एक टीम गठित की गई. जिन्होंने टेलीरोबोटिक अल्ट्रासाउंड सिस्टम को विकसित किया. वैज्ञानिकों की मानें तो इस तकनीक की मदद से अल्ट्रासाउंड के लिए किसी भी रेडियोलॉजिस्ट को मरीज के पास रहने की जरूरत नहीं होगी. टेलीरोबोटिक अल्ट्रासाउंड सिस्टम के मदद से डॉक्टर देश के किसी भी हिस्से में बैठकर केवल एक मॉनिटर की मदद से मरीज का आसानी से अल्ट्रासाउंड कर सकेंगे. बता दें कि अभी ट्रायल में 6 फुट की दूरी से रोबोटिक आर्म के जरिए अल्ट्रासाउंड किया गया था. वहीं दूसरे चरण में इसकी दूरी बढ़ाकर ट्रायल किया जाएगा.
बता दें कि इस तकनीक को IIT दिल्ली के प्रोफेसर चेतन अरोड़ा, प्रोफेसर सुधीर कुमार शाह और AIIMS के डॉक्टर चंद्रशेखर और सुवायन नंदी ने टीम को लीड किया है. इससे टीम में दीपक रैना, डॉ. कृतिका रंगराजन, डॉ. आयुषी अग्रवाल और हरदीप सिंह शामिल रहे.