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एलजी ही सब कुछ करेंगे तो चुनी हुई सरकार क्या करेगी : अरविंद केजरीवाल

विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया विधानसभा से निकलकर विधायकों संग सड़क पर उतर आए और उपराज्यपाल कार्यालय की ओर पैदल मार्च करने लगे. डेढ़ किलोमीटर तक पैदल मार्च करते हुए जब वह राजनिवास मार्ग पर पहुंचे ही थे कि पुलिस ने सभी को रोक दिया. उपराज्यपाल कार्यालय की तरफ जाने वाले रास्ते पर बैरिकेडिंग कर दी गई. यहां काफी देर तक मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री व तमाम विधायक रुके रहे. मीडिया से बातचीत में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उपराज्यपाल के फैसलों और उनके निर्णय पर सवाल उठाया और कहा क्या चुनी हुई सरकार को काम करने का कोई अधिकार नहीं है?

आप विधायकों का एलजी कार्यालय की ओर मार्च
आप विधायकों का एलजी कार्यालय की ओर मार्च
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Published : Jan 16, 2023, 3:45 PM IST

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा के विशेष सत्र में उपराज्यपाल के खिलाफ आम आदमी पार्टी का तेवर उग्र दिखाई दिया. सुबह विधानसभा सत्र की शुरुआत हुई तो आप विधायक सौरभ भारद्वाज ने उपराज्यपाल द्वारा सरकार की फाइलों पर अलग-अलग टिप्पणी कर लौटाने व दिल्ली सरकार द्वारा शिक्षकों को विदेश में ट्रेनिंग के लिए भेजने को मंजूरी नहीं देने के मुद्दे को विधानसभा में उठाया. जिस पर काफी हंगामा हुआ, नतीजा रहा कि आधे घंटे में विधानसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी गई.

विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया विधानसभा से निकलकर विधायकों संग सड़क पर उतर आए और उपराज्यपाल कार्यालय की ओर पैदल मार्च करने लगे. डेढ़ किलोमीटर तक पैदल मार्च करते हुए जब वह राजनिवास मार्ग पर पहुंचे ही थे कि पुलिस ने सभी को रोक दिया. उपराज्यपाल कार्यालय की तरफ जाने वाले रास्ते पर बैरिकेडिंग कर दी गई. यहां काफी देर तक मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री व तमाम विधायक रुके रहे. मीडिया से बातचीत में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उपराज्यपाल के फैसलों और उनके निर्णय पर सवाल उठाया और कहा क्या चुनी हुई सरकार को काम करने का कोई अधिकार नहीं है?

ये भी पढ़ें : ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर दिल्ली विधानसभा पहुंचे बीजेपी विधायक, जानिए वजह

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि एलजी, दिल्ली की चुनी हुई सरकार के काम में लगातार दखल दे रहे हैं. एलजी का कहना है दिल्ली के मामले में मैं प्रशासक हूं. वहीं, संविधान पीठ का स्पष्ट आदेश है कि एलजी कोई भी निर्णय स्वतंत्र रूप से नहीं ले सकते. इसका मतलब है कि जैस्मीन शाह का दफ्तर सील करना, 10 एल्डरमैन का मनोनयन, पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति, 164 करोड़ रुपए की रिकवरी नोटिस, टीचर्स को फिनलैंड जाने से रोकना, योगा क्लास बंद करना अवैध है. उन्होंने कहा कि संविधान के अनुसार दिल्ली में पुलिस, लैंड और पब्लिक ऑर्डर पर सारे निर्णय लेने का अधिकार एलजी के पास है. इसके अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी व सड़क समेत सारे ट्रांसफर सब्जेक्ट दिल्ली की चुनी हुई सरकार के दायरे में आते हैं.

एलजी साहब से निवेदन है कि आप सुप्रीम कोर्ट के आदेशों, संविधान और जनतंत्र का सम्मान करें. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार के मामलों में एलजी साहब का हस्तक्षेप दिन पर दिन बहुत ज्यादा बढ़ता जा रहा है. ऐसा प्रतीत होता है कि इस हस्ताक्षेप से दिल्ली की चुनी हुई सरकार के काम में बाधा पहुंचाई जा रही है, जिसकी वजह से दिल्ली के लोगों की जरूरतें उनके सपने पूरे नहीं हो पा रहे हैं. उनके काम रुकते जा रहे हैं. इन्हीं मुद्दों पर चर्चा करने के लिए आज मैं एलजी साहब से मिलने जा रहे हूं. इस मुलाकात में मेरी मंशा यही है कि अगर हमारे कानून और संविधान को समझने में कुछ गलतफहमियां हैं या आपसी मतभेद हैं, तो उसका समाधान किया जाए.

मैं एलजी से चर्चा करने के लिए कई सारी किताबें, देश का संविधान साथ ले जा रहा हूँ. केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में तीन विषय हैं, जिसमें जमीन, पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था (पब्लिक ऑर्डर) शामिल है. संविधान में लिखा है कि इन तीनों विषयों पर सारे निर्णय लेने का अधिकार एलजी के पास है. इन तीनों विषयों को हम रिजर्व सब्जेक्ट कहते हैं. इसके अलावा, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी और सड़क समेत बाकी सारे विषय दिल्ली की चुनी हुई सरकार के दायरे में आते हैं. इन्हें ट्रांसफर सब्जेक्ट्स कहा जाता है, जो चुनी हुई सरकार को ट्रांस्फर किए गए हैं. यानी एलजी के पास रिजर्व सब्जेक्ट्स हैं और चुनी हुई सरकार के पास ट्रांसफर सबजेक्ट्स.

उन्होंने कहा कि 4 जुलाई 2018 को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने दिल्ली की चुनी हुई सरकार को लेकर एक आदेश पारित किया था. इस फैसले में दो जगह साफ शब्दों में एलजी के लिए आदेश लिखा गया है. एक स्थान पर लिखा है कि “लेफ्टिनेंट गवर्नर को स्वतंत्र रूप से कोई भी निर्णय लेने का अधिकार नहीं है. यह बात संविधान पीठ के निर्णय में लिखा हुआ है. दूसरी अहम बात यह लिखी हुई है कि लेफ्टिनेंट गवर्नर के पास निर्णय लेने के लिए कोई स्वतंत्र प्राधिकरण नहीं है. केवल उन मामलों को छोड़कर जहां वह किसी भी कानून के तहत न्यायिक या अर्ध-न्यायिक प्राधिकरण के रूप में अपने विवेक का प्रयोग करते हैं या राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 239 के तहत उन मामलों पर निर्णय लेने का अधिकार सौंपा गया है, जो जीएनसीटीडी की सरकार की क्षमता के बाहर है. ऐसे कुछ मुद्दे जहां पर एलजी साहब एक न्यायाधीश की तरह काम करते हैं, उसको छोड़कर किसी भी मुद्दे पर उनके पास स्वतंत्र निर्णय लेने की शक्ति नहीं है.

सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मैंने एलजी साबह से शिक्षकों के फिनलैंड भेजने के आदेश पर रोक लगाने की वजह पूछी तो दो दिन पहले उन्होंने बताया कि एलजी के दफ्तर से दो बार फाइल रोकी गई, इसमें यह आपत्ति लगाई गई कि शिक्षा विभाग को शिक्षकों को ट्रेनिंग पर भेजने से पहले कॉस्ट बेनिफिट एनालिसिस करना चाहिए. मैंने उनसे कहा कि इस देश का सैनिक अपनी जान तक दे देता है. उसकी कॉस्ट बेनिफिट एनलिसिस क्या होगी? मगर ये शिक्षक फिनलैंड जा रहे हैं, तो उनकी कॉस्ट बेनिफिट एनालिसिस मांगी जा रही है. यह तो रोकने के लिए किया जा रहा है.

आम आदमी पार्टी की विधायक आतिशी, सोमनाथ भारती ने कहा कि पिछले तीन महीने में सभी लगभग सभी विभाग में अधिकारियों ने सभी भुगतान रोक दिए हैं. जिसका नतीजा यह निकला है कि जल बोर्ड के कई एसटीपी (सीवर ट्रीटमेंट प्लांट) और वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट का काम रुक गया है. हालात ये हैं कि मोहल्ला क्लीनिक्स में दवाईयां बंद कर दी गई हैं, टेस्ट बंद हो गए हैं, डॉक्टर्स को वेतन नहीं मिल रहे हैं. रेंट बंद हो गया है, बिजली की सब्सिडी बंद कर दी गई है. डीटीसी की बसों में जो बस मार्शल चलते हैं उनका वेतन रुक गया है. अस्पताल के स्टाफ को पैसा नहीं मिल रहा. डीटीसी की सैलरी रुक गई, पेंशन रुक गई. वृद्धा पेंशन रोक दी गई है. एमसीडी चुनाव के तीन महीने पहले सबकुछ रोक दिया गया, ताकि आम आदमी पार्टी को नुकसान हो. एलजी साहब से निवेदन है कि राजनीति अपनी जगह चलती रहती है. लेकिन इस तरह की राजनीति अच्छी नहीं है, जो देश और लोगों के विकास में घातक हो. अगर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उनको स्वतंत्र निर्णय लेने की शक्ति नहीं है, तो नहीं है. मेरी अपील है कि एलजी साहब सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान करें, संविधान का सम्मान करें और जनतंत्र का सम्मान करें.

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा के विशेष सत्र में उपराज्यपाल के खिलाफ आम आदमी पार्टी का तेवर उग्र दिखाई दिया. सुबह विधानसभा सत्र की शुरुआत हुई तो आप विधायक सौरभ भारद्वाज ने उपराज्यपाल द्वारा सरकार की फाइलों पर अलग-अलग टिप्पणी कर लौटाने व दिल्ली सरकार द्वारा शिक्षकों को विदेश में ट्रेनिंग के लिए भेजने को मंजूरी नहीं देने के मुद्दे को विधानसभा में उठाया. जिस पर काफी हंगामा हुआ, नतीजा रहा कि आधे घंटे में विधानसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी गई.

विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया विधानसभा से निकलकर विधायकों संग सड़क पर उतर आए और उपराज्यपाल कार्यालय की ओर पैदल मार्च करने लगे. डेढ़ किलोमीटर तक पैदल मार्च करते हुए जब वह राजनिवास मार्ग पर पहुंचे ही थे कि पुलिस ने सभी को रोक दिया. उपराज्यपाल कार्यालय की तरफ जाने वाले रास्ते पर बैरिकेडिंग कर दी गई. यहां काफी देर तक मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री व तमाम विधायक रुके रहे. मीडिया से बातचीत में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उपराज्यपाल के फैसलों और उनके निर्णय पर सवाल उठाया और कहा क्या चुनी हुई सरकार को काम करने का कोई अधिकार नहीं है?

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अरविंद केजरीवाल ने कहा कि एलजी, दिल्ली की चुनी हुई सरकार के काम में लगातार दखल दे रहे हैं. एलजी का कहना है दिल्ली के मामले में मैं प्रशासक हूं. वहीं, संविधान पीठ का स्पष्ट आदेश है कि एलजी कोई भी निर्णय स्वतंत्र रूप से नहीं ले सकते. इसका मतलब है कि जैस्मीन शाह का दफ्तर सील करना, 10 एल्डरमैन का मनोनयन, पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति, 164 करोड़ रुपए की रिकवरी नोटिस, टीचर्स को फिनलैंड जाने से रोकना, योगा क्लास बंद करना अवैध है. उन्होंने कहा कि संविधान के अनुसार दिल्ली में पुलिस, लैंड और पब्लिक ऑर्डर पर सारे निर्णय लेने का अधिकार एलजी के पास है. इसके अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी व सड़क समेत सारे ट्रांसफर सब्जेक्ट दिल्ली की चुनी हुई सरकार के दायरे में आते हैं.

एलजी साहब से निवेदन है कि आप सुप्रीम कोर्ट के आदेशों, संविधान और जनतंत्र का सम्मान करें. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार के मामलों में एलजी साहब का हस्तक्षेप दिन पर दिन बहुत ज्यादा बढ़ता जा रहा है. ऐसा प्रतीत होता है कि इस हस्ताक्षेप से दिल्ली की चुनी हुई सरकार के काम में बाधा पहुंचाई जा रही है, जिसकी वजह से दिल्ली के लोगों की जरूरतें उनके सपने पूरे नहीं हो पा रहे हैं. उनके काम रुकते जा रहे हैं. इन्हीं मुद्दों पर चर्चा करने के लिए आज मैं एलजी साहब से मिलने जा रहे हूं. इस मुलाकात में मेरी मंशा यही है कि अगर हमारे कानून और संविधान को समझने में कुछ गलतफहमियां हैं या आपसी मतभेद हैं, तो उसका समाधान किया जाए.

मैं एलजी से चर्चा करने के लिए कई सारी किताबें, देश का संविधान साथ ले जा रहा हूँ. केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में तीन विषय हैं, जिसमें जमीन, पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था (पब्लिक ऑर्डर) शामिल है. संविधान में लिखा है कि इन तीनों विषयों पर सारे निर्णय लेने का अधिकार एलजी के पास है. इन तीनों विषयों को हम रिजर्व सब्जेक्ट कहते हैं. इसके अलावा, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी और सड़क समेत बाकी सारे विषय दिल्ली की चुनी हुई सरकार के दायरे में आते हैं. इन्हें ट्रांसफर सब्जेक्ट्स कहा जाता है, जो चुनी हुई सरकार को ट्रांस्फर किए गए हैं. यानी एलजी के पास रिजर्व सब्जेक्ट्स हैं और चुनी हुई सरकार के पास ट्रांसफर सबजेक्ट्स.

उन्होंने कहा कि 4 जुलाई 2018 को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने दिल्ली की चुनी हुई सरकार को लेकर एक आदेश पारित किया था. इस फैसले में दो जगह साफ शब्दों में एलजी के लिए आदेश लिखा गया है. एक स्थान पर लिखा है कि “लेफ्टिनेंट गवर्नर को स्वतंत्र रूप से कोई भी निर्णय लेने का अधिकार नहीं है. यह बात संविधान पीठ के निर्णय में लिखा हुआ है. दूसरी अहम बात यह लिखी हुई है कि लेफ्टिनेंट गवर्नर के पास निर्णय लेने के लिए कोई स्वतंत्र प्राधिकरण नहीं है. केवल उन मामलों को छोड़कर जहां वह किसी भी कानून के तहत न्यायिक या अर्ध-न्यायिक प्राधिकरण के रूप में अपने विवेक का प्रयोग करते हैं या राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 239 के तहत उन मामलों पर निर्णय लेने का अधिकार सौंपा गया है, जो जीएनसीटीडी की सरकार की क्षमता के बाहर है. ऐसे कुछ मुद्दे जहां पर एलजी साहब एक न्यायाधीश की तरह काम करते हैं, उसको छोड़कर किसी भी मुद्दे पर उनके पास स्वतंत्र निर्णय लेने की शक्ति नहीं है.

सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मैंने एलजी साबह से शिक्षकों के फिनलैंड भेजने के आदेश पर रोक लगाने की वजह पूछी तो दो दिन पहले उन्होंने बताया कि एलजी के दफ्तर से दो बार फाइल रोकी गई, इसमें यह आपत्ति लगाई गई कि शिक्षा विभाग को शिक्षकों को ट्रेनिंग पर भेजने से पहले कॉस्ट बेनिफिट एनालिसिस करना चाहिए. मैंने उनसे कहा कि इस देश का सैनिक अपनी जान तक दे देता है. उसकी कॉस्ट बेनिफिट एनलिसिस क्या होगी? मगर ये शिक्षक फिनलैंड जा रहे हैं, तो उनकी कॉस्ट बेनिफिट एनालिसिस मांगी जा रही है. यह तो रोकने के लिए किया जा रहा है.

आम आदमी पार्टी की विधायक आतिशी, सोमनाथ भारती ने कहा कि पिछले तीन महीने में सभी लगभग सभी विभाग में अधिकारियों ने सभी भुगतान रोक दिए हैं. जिसका नतीजा यह निकला है कि जल बोर्ड के कई एसटीपी (सीवर ट्रीटमेंट प्लांट) और वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट का काम रुक गया है. हालात ये हैं कि मोहल्ला क्लीनिक्स में दवाईयां बंद कर दी गई हैं, टेस्ट बंद हो गए हैं, डॉक्टर्स को वेतन नहीं मिल रहे हैं. रेंट बंद हो गया है, बिजली की सब्सिडी बंद कर दी गई है. डीटीसी की बसों में जो बस मार्शल चलते हैं उनका वेतन रुक गया है. अस्पताल के स्टाफ को पैसा नहीं मिल रहा. डीटीसी की सैलरी रुक गई, पेंशन रुक गई. वृद्धा पेंशन रोक दी गई है. एमसीडी चुनाव के तीन महीने पहले सबकुछ रोक दिया गया, ताकि आम आदमी पार्टी को नुकसान हो. एलजी साहब से निवेदन है कि राजनीति अपनी जगह चलती रहती है. लेकिन इस तरह की राजनीति अच्छी नहीं है, जो देश और लोगों के विकास में घातक हो. अगर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उनको स्वतंत्र निर्णय लेने की शक्ति नहीं है, तो नहीं है. मेरी अपील है कि एलजी साहब सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान करें, संविधान का सम्मान करें और जनतंत्र का सम्मान करें.

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