नई दिल्ली: सोमवार को #Stopkillingus अभियान का 475वां दिन है. जिन महिलाओं ने सीवर और सेष्टिक टैंकों में अपने परिजनों को खोया वो उनकी मौत से जुड़े साक्ष्य और तस्वीरें लेकर जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने पहुंची. उनका कहना है कि 2023 में 59 लोगों की मौत सीवर सेप्टिक टैंकों में हुई है, लेकिन सरकार ने संसद के भीतर इस साल केवल 9 लोगों की मौत की बात कही. इस मामले को लेकर सफाई कर्मचारियों में आक्रोश है. उनका कहना है कि वो सरकारी आंकड़ों के झूठ का पर्दाफाश करते रहेंगे.
मैनुअल स्कैवेंजिंग पर प्रतिबंधित कब?: दरअसल, सीवर-सेप्टिक टैंक में मैनुअल सफाई के दौरान हो रही मौतों के खिलाफ सफाई कर्मचारी आंदोलन यानी SKA ने बीते लंबे वक्त से StopKillingUs नाम से एक अभियान चल रखा है. इस राष्ट्रव्यापी अभियान की शुरुआत 11 मई 2022 से हुई थी. इसके बाद से SKA लगातार सीवर-सेप्टिक टैंक में सफाई के दौरान हो रही मौत के मुद्दे को मुखरता से उठा रहा है.
उनका कहना है कि सरकार के झूठे आंकड़े और उदासीनता ने उनकी पीड़ा को कई गुना बढ़ा दिया है. इस देश में 18 से 25 साल की उम्र के कई युवाओं को सीवर की मैनुअल सफई कर जान गवांने के लिए मजबूर किया जाता है. मरने वालों के परिजनों को कोई मुआवजा तक नहीं दिया जाता.
कब तक मरते रहेंगे मजदूर: देश में वैसे तो सरकारे एक से एक हाई तकनीकों की बात करती है. बड़े-बड़े प्रोजेक्टों को भारी-भरकम मशीनों से पूरा किया जा रहा है और आगे सभी सरकार बड़े-बड़े प्रोजेक्टस को मशीनों से पूरा करवाने की बात कहती है, लेकिन कुछ काम ऐसे भी जो मशीनें होने के बावजूद मजदूरों से करवाया जाता है और जिसकी कीमत उन्हें जान देकर चुकानी पड़ती है.