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यूएफ़टीटीएसए प्रेसिडेंट ने कहा- दिल्ली में व्यावसायिक वाहनों में जीपीएस लगाने के नाम पर भारी घोटाला

यूएफटीटीएसए के प्रेसिडेंट राजकुमार यादव ने दिल्ली में जीपीएस लगाने के नाम पर अरबों का घोटाला होने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि व्यावसायिक वाहनों में जीपीएस लगाने के नाम पर पर भारी लूटमची है.

व्यावसायिक वाहनों में जीपीएस लगाने के नाम पर लूट
व्यावसायिक वाहनों में जीपीएस लगाने के नाम पर लूट
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 21, 2023, 9:26 PM IST

व्यावसायिक वाहनों में जीपीएस लगाने के नाम पर लूट

नई दिल्ली: यूनाइटेड फ्रंट फॉर ट्रक ट्रांसपोर्ट एंड सारथी एसोसिएशन (यूएफटीटीएसए) के प्रेसिडेंट राजकुमार यादव ने दिल्ली में वहनों में जीपीएस लगाने के नाम पर अरबों का घोटाला होने का आरोप लगाया है. उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, एलजी, सीएम और ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर को पत्र लिख कर इस घोटाले की ओर ध्यान आकर्षित किया है.

राजकुमार ने कहा कि दिल्ली में व्यावसायिक वाहनों में जीपीएस लगाने के नाम पर पर भारी लूट मची है. नियमावली के नाम पर जो नियम बनी ही नहीं, उनसे कई गुना ज्यादा दाम वसूले जा रहे हैं. चिंता का विषय यह है कि यह सब दिल्ली सरकार की देखरेख में हो रहा है. जीपीएस कंपनियां लगातार मनमाने दाम पर इसे बेधड़क बेच रही है.

यूएफ़टीटीएसए प्रेसिडेंट ने कहा- दिल्ली में व्यावसायिक वाहनों में जीपीएस लगाने के नाम पर भारी घोटाला
यूएफ़टीटीएसए प्रेसिडेंट ने कहा- दिल्ली में व्यावसायिक वाहनों में जीपीएस लगाने के नाम पर भारी घोटाला
यूएफ़टीटीएसए प्रेसिडेंट ने कहा- दिल्ली में व्यावसायिक वाहनों में जीपीएस लगाने के नाम पर भारी घोटाला
यूएफ़टीटीएसए प्रेसिडेंट ने कहा- दिल्ली में व्यावसायिक वाहनों में जीपीएस लगाने के नाम पर भारी घोटाला

यूएफटीटीएसए प्रेसिडेंट ने कहा कि ताज्जुब तो तब होता है जब इसे फिटनेस के समय 9000 से 9500 लेकर सिर्फ फिटनेस वाली गाड़ी में इंस्टॉल कर के तथाकथित रूप से पास कराया जाता है. जीपीएस लगाने की नीति दिल्ली सरकार की ऐसी है जैसे वह जनता की रक्षा नहीं, बल्कि खुले आम लूट करने का ज़रिया है. यह नियम गाड़ी मालिकों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. यह नियम वाहन मालिकों को खून के आंसू बहाने को बेबस कर रहा है.

जिस जीपीएस की मांग परिवहन विभाग की नियमावली करती है वह पैनिक बटन वाला जीपीएस है. पैनिक बटन वाला जीपीएस यात्री वाहन (बस /टैक्सी) के लिए लगाया जाना सुनिश्चित किया गया था सरकार के द्वारा इसे सार्वजनिक यात्री वाहनों में महिलाओं व बच्चों को सुरक्षा प्रदान करने की दृष्टि से लगाया था. किन्तु आज तक सार्वजनिक यात्री वाहनों मे पैनिक बटन का इस्तेमाल करने के बाद भी कोई मदद अपेक्षा अनुसार नहीं मिली. यह बस राज्य सरकार के परिवहन विभाग द्वारा वसुली का जरिया ही प्रतीत होता है.

यूएफ़टीटीएसए प्रेसिडेंट ने कहा कि उन्होंने निजी तौर पर सार्वजनिक टैक्सी मे पैनिक बटन दबाकर देखा, नतीजा शून्य निकला. इस जीपीएस के माध्यम से राज्य सरकार व उसके अधीन परिवहन विभाग दोनों की मिली भगत से एक बहुत बड़े घोटाले को अंजाम दिया जा रहा है.

व्यावसायिक वाहनों में जीपीएस लगाने के नाम पर लूट

नई दिल्ली: यूनाइटेड फ्रंट फॉर ट्रक ट्रांसपोर्ट एंड सारथी एसोसिएशन (यूएफटीटीएसए) के प्रेसिडेंट राजकुमार यादव ने दिल्ली में वहनों में जीपीएस लगाने के नाम पर अरबों का घोटाला होने का आरोप लगाया है. उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, एलजी, सीएम और ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर को पत्र लिख कर इस घोटाले की ओर ध्यान आकर्षित किया है.

राजकुमार ने कहा कि दिल्ली में व्यावसायिक वाहनों में जीपीएस लगाने के नाम पर पर भारी लूट मची है. नियमावली के नाम पर जो नियम बनी ही नहीं, उनसे कई गुना ज्यादा दाम वसूले जा रहे हैं. चिंता का विषय यह है कि यह सब दिल्ली सरकार की देखरेख में हो रहा है. जीपीएस कंपनियां लगातार मनमाने दाम पर इसे बेधड़क बेच रही है.

यूएफ़टीटीएसए प्रेसिडेंट ने कहा- दिल्ली में व्यावसायिक वाहनों में जीपीएस लगाने के नाम पर भारी घोटाला
यूएफ़टीटीएसए प्रेसिडेंट ने कहा- दिल्ली में व्यावसायिक वाहनों में जीपीएस लगाने के नाम पर भारी घोटाला
यूएफ़टीटीएसए प्रेसिडेंट ने कहा- दिल्ली में व्यावसायिक वाहनों में जीपीएस लगाने के नाम पर भारी घोटाला
यूएफ़टीटीएसए प्रेसिडेंट ने कहा- दिल्ली में व्यावसायिक वाहनों में जीपीएस लगाने के नाम पर भारी घोटाला

यूएफटीटीएसए प्रेसिडेंट ने कहा कि ताज्जुब तो तब होता है जब इसे फिटनेस के समय 9000 से 9500 लेकर सिर्फ फिटनेस वाली गाड़ी में इंस्टॉल कर के तथाकथित रूप से पास कराया जाता है. जीपीएस लगाने की नीति दिल्ली सरकार की ऐसी है जैसे वह जनता की रक्षा नहीं, बल्कि खुले आम लूट करने का ज़रिया है. यह नियम गाड़ी मालिकों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. यह नियम वाहन मालिकों को खून के आंसू बहाने को बेबस कर रहा है.

जिस जीपीएस की मांग परिवहन विभाग की नियमावली करती है वह पैनिक बटन वाला जीपीएस है. पैनिक बटन वाला जीपीएस यात्री वाहन (बस /टैक्सी) के लिए लगाया जाना सुनिश्चित किया गया था सरकार के द्वारा इसे सार्वजनिक यात्री वाहनों में महिलाओं व बच्चों को सुरक्षा प्रदान करने की दृष्टि से लगाया था. किन्तु आज तक सार्वजनिक यात्री वाहनों मे पैनिक बटन का इस्तेमाल करने के बाद भी कोई मदद अपेक्षा अनुसार नहीं मिली. यह बस राज्य सरकार के परिवहन विभाग द्वारा वसुली का जरिया ही प्रतीत होता है.

यूएफ़टीटीएसए प्रेसिडेंट ने कहा कि उन्होंने निजी तौर पर सार्वजनिक टैक्सी मे पैनिक बटन दबाकर देखा, नतीजा शून्य निकला. इस जीपीएस के माध्यम से राज्य सरकार व उसके अधीन परिवहन विभाग दोनों की मिली भगत से एक बहुत बड़े घोटाले को अंजाम दिया जा रहा है.

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