नई दिल्ली/गाजियाबाद: कहते हैं कि किसान की मेहनत बंजर जमीन को भी उपजाऊ बना देती है. किसान खेतों में मेहनत करता है तो देश का पेट भरता है. इसीलिए किसान को अन्नदाता भी कहा जाता है. अन्नदाता देश में कड़ी मेहनत करता है. फसल उगाता है लेकिन जब फसल खराब हो जाती है तो अन्नदाता के सामने सबसे बड़ी चुनौती होती है कि फसल उगाने में जो लागत लगी है. अब उसको कैसे वसूला जाए.
गाजियाबाद के कुशल्या गांव में रहने वाले किसान कमल कुमार, नवीन कुमार और संजू कुमार कई दशकों से खेती करते आ रहे हैं. खेती में खासा अनुभव भी है. लेकिन हाल ही में हुई मूसलाधार बारिश के चलते धान की फसल बर्बाद होने से किसान काफी मायूस है. धान की फसल तैयार हो चुकी है. लेकिन बारिश के चलते कटाई नहीं हो पा रही है. ऐसे में बारिश से खड़ी फसल बर्बाद हो रही है.
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किसान कमल कुमार बताते हैं कि एक बीघे में चार कुंतल धान निकलती है. बारिश से फसल खराब होने के बाद मुश्किल से एक बीघे में एक कुंतल ही धान निकल पाएगा. किसान संजीव कुमार ने बताया धान की फसल को तैयार करने में तकरीबन 100 दिन का समय लगता है. फसल का एक बड़ा हिस्सा खराब हो गया है. तो ऐसे में बड़ी चुनौती यह है कि जो पैसा फसल को तैयार करने में लागत के रूप में लगाया था अब उसको कैसे वसूला जाए.