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आक्रामक होता सोशल मीडिया का स्वरूप, जानें क्या है समाधान?

जिस प्रकार से सोशल मीडिया के मिस यूज (Misuse of social media platforms) हो रहे हैं सारकार और समाज दोनों के लिए चिंता का सबब है. ऐसे में क्यों लोग सोशल मीडिया पर आक्रामक वीडियो डालने के इच्छुक हैं. कैसे इस तरह के वीडियो से किसी की जिंदगी बर्बाद हो सकती है. साथ ही इस सब को कैसे रोका जा सकता है, यह जानने के लिए ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट देखिए...

Misuse of social media platforms
सोशल मीडिया मिस यूज
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Published : Jun 20, 2021, 2:14 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबादः जब सोशल मीडिया (Social Media) का दायरा बढ़ा तो लोगों ने सोचा कि इससे जानकारी का दायरा भी बढ़ेगा, ऐसा हुआ भी. गूगल, फेसबुक, यूट्यूब, ट्विटर जैसे सोशल प्लेटफॉर्म पर लोगों ने हर तरह की जानकारी साझा की, जिससे आज हर कोई जागरूक है. मगर सोशल मीडिया के भयानक परिणाम भी लगातार सामने आ रहे हैं.

इस सब की वजह क्या है और क्यों लोग सोशल मीडिया पर आक्रामक वीडियो डालने के इच्छुक हैं. कैसे इस तरह के वीडियो से किसी की जिंदगी बर्बाद हो सकती है. साथ ही इस सब को कैसे रोका जा सकता है, यह जानने के लिए हमारी स्पेशल रिपोर्ट देखिए.

आक्रामक होता सोशल मीडिया का स्वरूप

बुजुर्ग की पिटाई के वीडियो पर बवाल

सोशल मीडिया के एक घातक परिणाम का जीता जागता उदाहरण गाजियाबाद से सामने आया वो वीडियो है, जिसमें बुजुर्ग के साथ अभद्रता की गई. वीडियो सोशल मीडिया पर आया, तो उसमें आपत्तिजनक बातें लिखी गई. जिसके चलते हालात तनावपूर्ण हो गए.

नतीजा यह हुआ कि ट्विटर और सात अन्य लोगों पर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश संबंधी मुकदमा दर्ज हुआ है. लेकिन ये पहला वीडियो नहीं है, जब इस तरह के मुश्किल हालात पैदा हुए हैं. इससे पहले भी कई ऐसे वीडियो हालातों को नाजुक मोड़ पर लाते रहे हैं.

इस बाबत मनोचिकित्सक से की गई बात

आम तौर पर देखा जा रहा है कि लोग नफरत और बदला लेने की भावना से वीडियो बनाते हैं और फिर उसे सोशल प्लेटफॉर्म पर अपलोड कर देते हैं. जिसका नतीजा ये होता है कि कई पीड़ितों की मानसिक स्थिति पर बुरा प्रभाव पड़ता है. ऐसा क्यों होता है, ये जानने के लिए हमने गाजियाबाद के मनोचिकित्सक सुनील पवार से बात की.

ये भी पढ़ेंः-यूपी पुलिस ने Twitter इंडिया के MD को भेजा नोटिस, एक हफ्ते में मांगा जवाब

वर्चस्व दिखाने के लिए कुछ लोग डालते हैं वीडियो

मनोचिकित्सक का कहना है कि खुद का वर्चस्व दिखाने के लिए आमतौर पर लोग ऐसा करते हैं. किसी की पिटाई कर देना या फिर उसे थप्पड़ मार कर या गाली देकर वीडियो अपलोड किया जाता है. ऐसे मामलों के आरोपी दरअसल ये दर्शना चाहते हैं कि उनसे बड़ा कोई नहीं है. अगर उनके साथ गलत किया तो अंजाम इस तरह की बेज्जती होगा. ऐसा बढ़ते हुए गुस्से और खोते हुए धैर्य के कारण होता है.

होती है कठोर कार्रवाईः डीआईजी

इस तरह के मामलों में कठोर कार्रवाई करने से ही मामलों को कम किया जा सकता है. इसी वजह से गाजियाबाद में बड़ी कार्रवाई हुई है और ट्विटर पर मुकदमा दर्ज हुआ है. इस मामले में गाजियाबाद के डीआईजी अमित पाठक बताते हैं कि आईटी एक्ट और संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाता है और आरोपियों पर कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान है.

साइबर एक्सपर्ट की राय जानिए...

इस मामले में हमने साइबर एक्सपर्ट से भी बात की. साइबर एक्सपर्ट मोनिक मेहरा का कहना है कि सरकार ने इस मामले पर ठोस कदम उठाए हैं. सबसे जरूरी बात ये है कि वीडियो सबसे पहले कहां से अपलोड किया गया, इसकी जानकारी सोशल प्लेटफॉर्म के माध्यम से जांच एजेंसी को मिल जाए, ताकि कार्रवाई तेजी से हो सके.

हाल ही में सरकार ने इस और बड़े कदम उठाए हैं, लेकिन और सख्ती की जरूरत है.

पीड़ित खो सकता है मानसिक संतुलन

आए दिन सोशल मीडिया पर इस तरह के वीडियो अपलोड होते रहते हैं, जिससे किसी ना किसी को ट्रोल किया जाता रहता है. आमतौर पर लोग वीडियो की सच्चाई जाने बगैर ही किसी को भी कटघरे में खड़ा कर देते हैं, जो बेहद खतरनाक और चिंताजनक है. जानकार ये भी बताते हैं कि इस तरह के मामले बढ़ने से पीड़ितों में मेंटल इंबैलेंस की स्थिति भी पैदा हो सकती है.

सरकार ने उठाए ठोस कदम

इसी सब पर काबू करने के लिए सरकार ने सोशल प्लेटफॉर्म के लिए अलग से गाइडलाइन तैयार की थी. मगर कुछ सोशल प्लेटफॉर्म के नकारात्मक रवैये की वजह से ये गाइडलाइन पूरी तरह से लागू नहीं हो पाई हैं. शायद तभी सरकार को ट्विटर पर सख्त होना पड़ा है.

नई दिल्ली/गाजियाबादः जब सोशल मीडिया (Social Media) का दायरा बढ़ा तो लोगों ने सोचा कि इससे जानकारी का दायरा भी बढ़ेगा, ऐसा हुआ भी. गूगल, फेसबुक, यूट्यूब, ट्विटर जैसे सोशल प्लेटफॉर्म पर लोगों ने हर तरह की जानकारी साझा की, जिससे आज हर कोई जागरूक है. मगर सोशल मीडिया के भयानक परिणाम भी लगातार सामने आ रहे हैं.

इस सब की वजह क्या है और क्यों लोग सोशल मीडिया पर आक्रामक वीडियो डालने के इच्छुक हैं. कैसे इस तरह के वीडियो से किसी की जिंदगी बर्बाद हो सकती है. साथ ही इस सब को कैसे रोका जा सकता है, यह जानने के लिए हमारी स्पेशल रिपोर्ट देखिए.

आक्रामक होता सोशल मीडिया का स्वरूप

बुजुर्ग की पिटाई के वीडियो पर बवाल

सोशल मीडिया के एक घातक परिणाम का जीता जागता उदाहरण गाजियाबाद से सामने आया वो वीडियो है, जिसमें बुजुर्ग के साथ अभद्रता की गई. वीडियो सोशल मीडिया पर आया, तो उसमें आपत्तिजनक बातें लिखी गई. जिसके चलते हालात तनावपूर्ण हो गए.

नतीजा यह हुआ कि ट्विटर और सात अन्य लोगों पर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश संबंधी मुकदमा दर्ज हुआ है. लेकिन ये पहला वीडियो नहीं है, जब इस तरह के मुश्किल हालात पैदा हुए हैं. इससे पहले भी कई ऐसे वीडियो हालातों को नाजुक मोड़ पर लाते रहे हैं.

इस बाबत मनोचिकित्सक से की गई बात

आम तौर पर देखा जा रहा है कि लोग नफरत और बदला लेने की भावना से वीडियो बनाते हैं और फिर उसे सोशल प्लेटफॉर्म पर अपलोड कर देते हैं. जिसका नतीजा ये होता है कि कई पीड़ितों की मानसिक स्थिति पर बुरा प्रभाव पड़ता है. ऐसा क्यों होता है, ये जानने के लिए हमने गाजियाबाद के मनोचिकित्सक सुनील पवार से बात की.

ये भी पढ़ेंः-यूपी पुलिस ने Twitter इंडिया के MD को भेजा नोटिस, एक हफ्ते में मांगा जवाब

वर्चस्व दिखाने के लिए कुछ लोग डालते हैं वीडियो

मनोचिकित्सक का कहना है कि खुद का वर्चस्व दिखाने के लिए आमतौर पर लोग ऐसा करते हैं. किसी की पिटाई कर देना या फिर उसे थप्पड़ मार कर या गाली देकर वीडियो अपलोड किया जाता है. ऐसे मामलों के आरोपी दरअसल ये दर्शना चाहते हैं कि उनसे बड़ा कोई नहीं है. अगर उनके साथ गलत किया तो अंजाम इस तरह की बेज्जती होगा. ऐसा बढ़ते हुए गुस्से और खोते हुए धैर्य के कारण होता है.

होती है कठोर कार्रवाईः डीआईजी

इस तरह के मामलों में कठोर कार्रवाई करने से ही मामलों को कम किया जा सकता है. इसी वजह से गाजियाबाद में बड़ी कार्रवाई हुई है और ट्विटर पर मुकदमा दर्ज हुआ है. इस मामले में गाजियाबाद के डीआईजी अमित पाठक बताते हैं कि आईटी एक्ट और संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाता है और आरोपियों पर कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान है.

साइबर एक्सपर्ट की राय जानिए...

इस मामले में हमने साइबर एक्सपर्ट से भी बात की. साइबर एक्सपर्ट मोनिक मेहरा का कहना है कि सरकार ने इस मामले पर ठोस कदम उठाए हैं. सबसे जरूरी बात ये है कि वीडियो सबसे पहले कहां से अपलोड किया गया, इसकी जानकारी सोशल प्लेटफॉर्म के माध्यम से जांच एजेंसी को मिल जाए, ताकि कार्रवाई तेजी से हो सके.

हाल ही में सरकार ने इस और बड़े कदम उठाए हैं, लेकिन और सख्ती की जरूरत है.

पीड़ित खो सकता है मानसिक संतुलन

आए दिन सोशल मीडिया पर इस तरह के वीडियो अपलोड होते रहते हैं, जिससे किसी ना किसी को ट्रोल किया जाता रहता है. आमतौर पर लोग वीडियो की सच्चाई जाने बगैर ही किसी को भी कटघरे में खड़ा कर देते हैं, जो बेहद खतरनाक और चिंताजनक है. जानकार ये भी बताते हैं कि इस तरह के मामले बढ़ने से पीड़ितों में मेंटल इंबैलेंस की स्थिति भी पैदा हो सकती है.

सरकार ने उठाए ठोस कदम

इसी सब पर काबू करने के लिए सरकार ने सोशल प्लेटफॉर्म के लिए अलग से गाइडलाइन तैयार की थी. मगर कुछ सोशल प्लेटफॉर्म के नकारात्मक रवैये की वजह से ये गाइडलाइन पूरी तरह से लागू नहीं हो पाई हैं. शायद तभी सरकार को ट्विटर पर सख्त होना पड़ा है.

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