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Ayushman Bharat Scheme: मासूम के दिल में छेद, पिता इलाज का खर्च नहीं उठा पाए, AIIMS में हुआ फ्री ऑपरेशन - निशुल्क ऑपरेशन

दिल्ली के AIIMS में बिहार की गुड़िया को नया जीवन मिला है. गुड़िया के हृदय में जन्मजात छेद था, लेकिन उसके गरीब पिता के पास ऑपरेशन के पैसे नहीं थे. बड़ी उम्मीदों के साथ वो गुड़िया को लेकर दिल्ली पहुंचे. जहां AIIMS में आयुष्मान भारत योजना के तहत बच्ची का निशुल्क ऑपरेशन हो गया. उसे नया जीवन मिला है. Ayushman Bharat Scheme, AIIMS

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Nov 7, 2023, 8:49 AM IST

Updated : Nov 7, 2023, 3:29 PM IST

नई दिल्ली: बिहार के किशनगंज की 12 साल की गुड़िया के दिल में छेद था. वहां के डॉक्टर ने जांच-पड़ताल के बाद तुरंत ऑपरेशन की सलाह दी. ऑपरेशन का खर्च बताया 4 लाख रुपये. गरीब पिता के पास उतने पैसे नहीं थे. वह एक मजदूर है, बमुश्किल 8-10 हजार रुपए महीने कमाता हैं. लेकिन अब... इस परिवार और मासूम गुड़िया के चेहरे पर मुस्कान है, क्योंकि सरकार के आयुष्मान भारत योजना के तहत गुड़िया का दिल्ली के AIIMS अस्पताल में फ्री ऑपरेशन हो चुका है.

ऐसे संभव हुआ गुड़िया का इलाज: दिल्ली एम्स के पीडियाट्रिक्स कार्डियोलॉजी विभाग में सभी जरूरी जांच हुई और डॉक्टरों ने ऑपरेशन की सलाह दी. साथ ही 64 हजार रुपये जमा करने को कहा. पैसे को लेकर जब उन्होंने असमर्थता जाहिर की तो उन्हें विभाग के मेडिकल समाज कल्याण अधिकारी से मिलने को कहा. अधिकारी ने गुड़िया के पिता को एम्स में स्थित सुविधा केंद्र से आयुष्मान कार्ड बनवाने में मदद की. कार्ड बनने के बाद प्राथमिकता के आधार पर गुड़िया को ऑपरेशन की तारीख भी जल्दी मिल गई. गुड़िया का निशुल्क सफल ऑपरेशन हो गया. उसे नया जीवन मिल गया. गुड़िया को स्वस्थ देखकर पिता फुले नहीं समा रहे. वहीं, गुड़िया ने डॉक्टरों और पीएम मोदी का आभार जताया है.

70-80 फीसदी जेनेटिक होते हैं ऐसे मामले: दिल्ली एम्स के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. मिलिंद होटे बताते हैं कि दिल में छेद के साथ बच्चे के पैदा होने की स्थिति को कंजेनिटल हार्ट डिजीज कहते हैं. आम तौर पर यह जेनेटिक होता है. हर एक हजार जन्म लेने वाले बच्चों में 6-8 बच्चों में इस प्रकार की हार्ट डिजीज होने की आशंका होती है. इनमें से 70-80 प्रतिशत मामले में इसका कारण जेनेटिक होता है और लगभग 20 प्रतिशत मामले में क्रोमोजोनल डैमेज, प्रेगनेंसी के दौरान हाई ग्रेड फीवर, इस दौरान गलत दवाई लेने और उसके साइड इफ़ेक्ट कारण होते हैं. कुछ मामलों में अधिक उम्र में माता-पिता बनने वाले लोगों के बच्चों में यह समस्या देखी जाती है.

डॉ मिलिंद ने बताया कि कंजिनेटल हार्ट डीजीज के इलाज के लिए देशभर में ज्यादा सेंटर नहीं हैं. एम्स में यह सुविधा है. जबसे आयुष्यमान भारत की योजना आई है तबसे वह यहां 30-40 प्रतिशत मरीजों का आयुष्मान भारत कार्ड योजना के तहत इलाज कर रहे हैं. आमतौर पर एम्स में इसके इलाज का खर्च 60 हजार से लेकर 2 लाख रुपये तक है, लेकिन आयुष्यमान भारत से मरीजों का मुफ्त में इलाज हो जाता है. इस प्रकार के दिल संबंधी समस्याओं के इलाज के कई तरीके अपनाए जाते हैं. कुछ मामलों में दवाई से ही ठीक हो जाते हैं. वहीं कुछ मामले में दिल के छेद मेडिकेशन के साथ समय के साथ-साथ अपने आप बंद हो जाते हैं. छोटे हार्ट डिफेक्ट में छोटा ऑपरेशन और बड़े डिफेक्ट में बड़ी सर्जरी की भी आवश्यकता पड़ती है.

नई दिल्ली: बिहार के किशनगंज की 12 साल की गुड़िया के दिल में छेद था. वहां के डॉक्टर ने जांच-पड़ताल के बाद तुरंत ऑपरेशन की सलाह दी. ऑपरेशन का खर्च बताया 4 लाख रुपये. गरीब पिता के पास उतने पैसे नहीं थे. वह एक मजदूर है, बमुश्किल 8-10 हजार रुपए महीने कमाता हैं. लेकिन अब... इस परिवार और मासूम गुड़िया के चेहरे पर मुस्कान है, क्योंकि सरकार के आयुष्मान भारत योजना के तहत गुड़िया का दिल्ली के AIIMS अस्पताल में फ्री ऑपरेशन हो चुका है.

ऐसे संभव हुआ गुड़िया का इलाज: दिल्ली एम्स के पीडियाट्रिक्स कार्डियोलॉजी विभाग में सभी जरूरी जांच हुई और डॉक्टरों ने ऑपरेशन की सलाह दी. साथ ही 64 हजार रुपये जमा करने को कहा. पैसे को लेकर जब उन्होंने असमर्थता जाहिर की तो उन्हें विभाग के मेडिकल समाज कल्याण अधिकारी से मिलने को कहा. अधिकारी ने गुड़िया के पिता को एम्स में स्थित सुविधा केंद्र से आयुष्मान कार्ड बनवाने में मदद की. कार्ड बनने के बाद प्राथमिकता के आधार पर गुड़िया को ऑपरेशन की तारीख भी जल्दी मिल गई. गुड़िया का निशुल्क सफल ऑपरेशन हो गया. उसे नया जीवन मिल गया. गुड़िया को स्वस्थ देखकर पिता फुले नहीं समा रहे. वहीं, गुड़िया ने डॉक्टरों और पीएम मोदी का आभार जताया है.

70-80 फीसदी जेनेटिक होते हैं ऐसे मामले: दिल्ली एम्स के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. मिलिंद होटे बताते हैं कि दिल में छेद के साथ बच्चे के पैदा होने की स्थिति को कंजेनिटल हार्ट डिजीज कहते हैं. आम तौर पर यह जेनेटिक होता है. हर एक हजार जन्म लेने वाले बच्चों में 6-8 बच्चों में इस प्रकार की हार्ट डिजीज होने की आशंका होती है. इनमें से 70-80 प्रतिशत मामले में इसका कारण जेनेटिक होता है और लगभग 20 प्रतिशत मामले में क्रोमोजोनल डैमेज, प्रेगनेंसी के दौरान हाई ग्रेड फीवर, इस दौरान गलत दवाई लेने और उसके साइड इफ़ेक्ट कारण होते हैं. कुछ मामलों में अधिक उम्र में माता-पिता बनने वाले लोगों के बच्चों में यह समस्या देखी जाती है.

डॉ मिलिंद ने बताया कि कंजिनेटल हार्ट डीजीज के इलाज के लिए देशभर में ज्यादा सेंटर नहीं हैं. एम्स में यह सुविधा है. जबसे आयुष्यमान भारत की योजना आई है तबसे वह यहां 30-40 प्रतिशत मरीजों का आयुष्मान भारत कार्ड योजना के तहत इलाज कर रहे हैं. आमतौर पर एम्स में इसके इलाज का खर्च 60 हजार से लेकर 2 लाख रुपये तक है, लेकिन आयुष्यमान भारत से मरीजों का मुफ्त में इलाज हो जाता है. इस प्रकार के दिल संबंधी समस्याओं के इलाज के कई तरीके अपनाए जाते हैं. कुछ मामलों में दवाई से ही ठीक हो जाते हैं. वहीं कुछ मामले में दिल के छेद मेडिकेशन के साथ समय के साथ-साथ अपने आप बंद हो जाते हैं. छोटे हार्ट डिफेक्ट में छोटा ऑपरेशन और बड़े डिफेक्ट में बड़ी सर्जरी की भी आवश्यकता पड़ती है.

Last Updated : Nov 7, 2023, 3:29 PM IST
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