नई दिल्ली :दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को पीएम केयर्स फंड (PM Cares Fund) पर विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है. कोर्ट सम्यक गंगवाल की ओर से दाखिल एक याचिका की सुनवाई कर रहा था, जिसमें पीएम केयर्स फंड को सरकारी फंड घोषित करने की मांग की गई है. मुख्य न्यायाधीश सतीश शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने इस मामले में केंद्र सरकार को 4 सप्ताह (4 weeks to Central Government) में विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है. मामले को अगली सुनवाई के लिए 31 जनवरी को होगी.
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एक पेज के हलफनामे पर कोर्ट ने जताई थी नाराजगी: पीएम केयर्स फंड पर सुनवाई करते हुए पीठ ने जुलाई में प्रधानमंत्री कार्यालय को इस मामले में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था. इसके बाद पीएम कार्यालय के सचिव की ओर से एक पृष्ठ का हलफनामा दाखिल किया गया, जिस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई थी. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील श्याम दीवान ने यह सवाल उठाया था कि प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और अन्य व्यक्ति संवैधानिक पदों में बैठे हैं. ऐसे में वे इस फंड को निजी रूप से संचालित नहीं कर सकते हैं.
याचिका में सवाल उठाया गया था कि क्या संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति संविधान से इतर किसी संस्था का गठन कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि पीएम केयर्स फंड ट्रस्ट में रक्षा मंत्री, गृह मंत्री व वित्त मंत्री पदेन सदस्य हैं. यानी जो भी व्यक्ति इन पदों पर बैठेगा वह बोर्ड का सदस्य होगा.
निजी कंपनी की तरह काम नहीं कर सकते : दीवान ने अपनी दलील में कोर्ट को बताया था कि एक सरकार के तौर पर निजी कंपनी की तरह काम नहीं कर सकते हैं. प्रधानमंत्री कार्यालय ने 2021 में कोर्ट को बताया था कि पीएम केयर्स फंड एक ट्रस्ट है. इस पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है.
ऐसे में सूचना के अधिकार के तहत किसी तीसरे पक्ष के पूछने पर बात का खुलासा करने के लिए बाध्य नहीं है. याचिकाकर्ता ने आवेदन में कहा वह पीएम केयर्स फंड में किसी भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा रहा है, लेकिन भविष्य में भ्रष्टाचार न हो इसके लिए पारदर्शिता आवश्यक है.
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