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इलाज के लिए आधार कार्ड जरूरी नहीं, ड्राइविंग लाइसेंस दिखाने पर मिले इलाजः हाईकोर्ट - इलाज के लिए जरूरी कागजात दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि अगर किसी मरीज की आरटी-पीसीआर रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं है और उसमें लक्षण देखे जाते हैं तो उन लोगों को भी प्राथमिकता से इलाज देना जरूरी है. जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि आधार कार्ड जरूरी नहीं है, ड्राइविंग लाइसेंस से लेकर भी दवा दी जा सकती है.

high court allow driving license as a document for treatment in delhi
हाईकोर्ट
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Published : May 6, 2021, 10:02 PM IST

Updated : May 6, 2021, 10:37 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर किसी मरीज की आरटीपीसीआर रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं है और उसमें लक्षण देखे जाते हैं तो उन लोगों को भी प्राथमिकता से इलाज देना जरूरी है. जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि आधार कार्ड जरूरी नहीं है, ड्राइविंग लाइसेंस से लेकर भी दवा दी जा सकती है.

रेमेडेसीवर की ऑनलाइन प्रक्रिया काफी धीमी

सुनवाई के दौरान वकील मालविका त्रिवेदी ने कहा कि वो रेमेडेसीवर के स्टॉक की जानकारी जानना चाहती हैं. तब कोर्ट ने कहा कि हम स्टॉक की पूरी जानकारी सार्वजनिक करना चाहते हैं. कितने रेमेडेसीवर का इस्तेमाल हुआ और कहां इस्तेमाल हुआ. हम ये जानना चाहते हैं कि रिटेलर कौन है. कोर्ट ने कहा कि आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर संजय धीर ने हमें बताया है कि पूरी ऑनलाइन प्रक्रिया काफी धीमी है. कोर्ट ने कहा कि रेमेडेसीवर का स्टॉक डॉक्टर के पास इलाज के समय उपलब्ध होना चाहिए.

आधार कार्ड नहीं हो तो ड्राईविंग लाईसेंस से हो इलाज

सुनवाई के दौरान संजय धीर ने कहा कि इंजेक्शन का डाटा ऑटोमेटिक तौर पर रखा जा सकता है, इसे मैन्युअली करने की जरूरत नहीं है. तब एमिकस क्यूरी राजशेखर राव ने कहा कि अगर कोई आधार कार्ड नहीं दिखाता है तो हम ड्राइविंग लाइसेंस भी मांग सकते हैं. आधार कार्ड दिखाने से तकनीकी गतिरोध सामने आती है. उन्होंने कहा कि लोगों ने रेमेडेसीवर का विकल्प तलाशना शुरू कर दिया है.

रेमेडेसीवर की कमी के लिए अस्पताल ज्यादा जिम्मेदार

वकील आदित्य एन प्रसाद ने कहा कि आज भी एक खबर आई है कि डॉक्टरों को रेमेडेसीवर की मांग के लिए फॉर्म भरने में ही बीस मिनट लग जाते हैं. तब प्रोफेसर संजय धीर ने कहा कि मुझे नहीं पता कि इतना समय वे क्यों ले रहे हैं. फॉर्म में केवल चार-पांच फील्ड ही भरने हैं. तब प्रसाद ने कहा कि यह अस्पताल के वातावरण की वजह से होता है. एक डॉक्टर से सभी कागजी काम पूरे करने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए.

इस पर याचिकाकर्ता और वकील राकेश मल्होत्रा ने कहा कि रेमेडेसीवर के लिए आठ कॉलम हैं, तब कोर्ट ने कहा कि राजशेखर राव ने हमें रेमेडेसीवर का रिजर्व का अकाउंट बनाने को कहा है. ये रिजर्व हर अस्पताल में उपलब्ध होगा. हर अस्पताल को 48 घंटे में अपडेट करना होगा. इस पर वकील अनुज अग्रवाल ने कहा कि इस मामले में मैन्युफैक्चरर या स्टॉकिस्ट से ज्यादा अस्पताल जिम्मेदार हैं.

अस्पतालों के फार्मेसी को रोजाना ओपनिंग स्टॉक दिखाना जरूरी

अग्रवाल ने कहा कि पोर्टल इस तरह से डिजाइन किया गया है कि अगर रेमेडेसीवर की मांग करता है तो उसे कुछ घंटों में मिल जाएगा. तब मालविका त्रिवेदी ने कहा कि अस्पतालों के फार्मेसी में बड़ी गड़बड़ी हो रही है, जिसकी वजह से दवाइयों की कमी होती है. इस पर बत्रा अस्पताल ने कहा कि हर बड़े अस्पताल में इसका अच्छा सिस्टम है. इसके लिए ट्रेनिंग भी दी जा रही है. तब राजशेखर राव ने कहा कि अस्पतालों के फार्मेसी को रोजाना ओपनिंग स्टॉक दिखाना चाहिए. अगर उसमें कमी होगी तो आप उसकी मांग कर सकते हैं और कमी की भरपाई हो सकती है.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर किसी मरीज की आरटीपीसीआर रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं है और उसमें लक्षण देखे जाते हैं तो उन लोगों को भी प्राथमिकता से इलाज देना जरूरी है. जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि आधार कार्ड जरूरी नहीं है, ड्राइविंग लाइसेंस से लेकर भी दवा दी जा सकती है.

रेमेडेसीवर की ऑनलाइन प्रक्रिया काफी धीमी

सुनवाई के दौरान वकील मालविका त्रिवेदी ने कहा कि वो रेमेडेसीवर के स्टॉक की जानकारी जानना चाहती हैं. तब कोर्ट ने कहा कि हम स्टॉक की पूरी जानकारी सार्वजनिक करना चाहते हैं. कितने रेमेडेसीवर का इस्तेमाल हुआ और कहां इस्तेमाल हुआ. हम ये जानना चाहते हैं कि रिटेलर कौन है. कोर्ट ने कहा कि आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर संजय धीर ने हमें बताया है कि पूरी ऑनलाइन प्रक्रिया काफी धीमी है. कोर्ट ने कहा कि रेमेडेसीवर का स्टॉक डॉक्टर के पास इलाज के समय उपलब्ध होना चाहिए.

आधार कार्ड नहीं हो तो ड्राईविंग लाईसेंस से हो इलाज

सुनवाई के दौरान संजय धीर ने कहा कि इंजेक्शन का डाटा ऑटोमेटिक तौर पर रखा जा सकता है, इसे मैन्युअली करने की जरूरत नहीं है. तब एमिकस क्यूरी राजशेखर राव ने कहा कि अगर कोई आधार कार्ड नहीं दिखाता है तो हम ड्राइविंग लाइसेंस भी मांग सकते हैं. आधार कार्ड दिखाने से तकनीकी गतिरोध सामने आती है. उन्होंने कहा कि लोगों ने रेमेडेसीवर का विकल्प तलाशना शुरू कर दिया है.

रेमेडेसीवर की कमी के लिए अस्पताल ज्यादा जिम्मेदार

वकील आदित्य एन प्रसाद ने कहा कि आज भी एक खबर आई है कि डॉक्टरों को रेमेडेसीवर की मांग के लिए फॉर्म भरने में ही बीस मिनट लग जाते हैं. तब प्रोफेसर संजय धीर ने कहा कि मुझे नहीं पता कि इतना समय वे क्यों ले रहे हैं. फॉर्म में केवल चार-पांच फील्ड ही भरने हैं. तब प्रसाद ने कहा कि यह अस्पताल के वातावरण की वजह से होता है. एक डॉक्टर से सभी कागजी काम पूरे करने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए.

इस पर याचिकाकर्ता और वकील राकेश मल्होत्रा ने कहा कि रेमेडेसीवर के लिए आठ कॉलम हैं, तब कोर्ट ने कहा कि राजशेखर राव ने हमें रेमेडेसीवर का रिजर्व का अकाउंट बनाने को कहा है. ये रिजर्व हर अस्पताल में उपलब्ध होगा. हर अस्पताल को 48 घंटे में अपडेट करना होगा. इस पर वकील अनुज अग्रवाल ने कहा कि इस मामले में मैन्युफैक्चरर या स्टॉकिस्ट से ज्यादा अस्पताल जिम्मेदार हैं.

अस्पतालों के फार्मेसी को रोजाना ओपनिंग स्टॉक दिखाना जरूरी

अग्रवाल ने कहा कि पोर्टल इस तरह से डिजाइन किया गया है कि अगर रेमेडेसीवर की मांग करता है तो उसे कुछ घंटों में मिल जाएगा. तब मालविका त्रिवेदी ने कहा कि अस्पतालों के फार्मेसी में बड़ी गड़बड़ी हो रही है, जिसकी वजह से दवाइयों की कमी होती है. इस पर बत्रा अस्पताल ने कहा कि हर बड़े अस्पताल में इसका अच्छा सिस्टम है. इसके लिए ट्रेनिंग भी दी जा रही है. तब राजशेखर राव ने कहा कि अस्पतालों के फार्मेसी को रोजाना ओपनिंग स्टॉक दिखाना चाहिए. अगर उसमें कमी होगी तो आप उसकी मांग कर सकते हैं और कमी की भरपाई हो सकती है.

Last Updated : May 6, 2021, 10:37 PM IST
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