नई दिल्ली: दिल्ली के एक और बड़े अस्पताल राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) में हार्ट अटैक और स्ट्रोक के मरीजों के लिए इमरजेंसी सुविधा शुरू होगी. इसके लिए 500 बेड का एक सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक बनकर तैयार हो रहा है. ब्लॉक बनकर तैयार होने के बाद अगले साल अप्रैल से यह इमरजेंसी सुविधा शुरू होने की संभावना है. अभी अस्पताल में हार्ट अटैक और स्ट्रोक के मरीजों के लिए इमरजेंसी सुविधा नहीं है. इस वजह से इन मरीजों को त्वरित इलाज नहीं मिल पाता है.
अस्पताल में कॉर्डियोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर आरके नाथ ने बताया कि अभी जब भी अस्पताल की जनरल इमरजेंसी में हार्ट अटैक या स्ट्रोक के मरीज आते हैं तो उन्हें पहले मेडिसिन के डॉक्टर देखते हैं. चेक करने के बाद जब उनको लगता है कि हार्ट अटैक का मामला है तो फिर उन्हें हार्ट के डॉक्टर द्वारा देखा जाता है. इस प्रक्रिया में थोड़ा समय बर्बाद हो जाता है, जबकि हार्ट अटैक के मरीज के लिए पहला घंटा बहुत कीमती होता है. इसलिए इन मरीजों का समय खराब ना हो और उन्हें तुरंत इलाज मिल जाए इसके लिए इमरजेंसी की सुविधा शुरू की जा रही है.
सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक में होंगे 500 बेड
हार्ट अटैक और स्ट्रोक के मरीजों के लिए इमरजेंसी सुविधा शुरू करने के लिए बनाए जा रहे 11 मंजिला सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक में 500 बेड की सुविधा होगी, जिससे 24 घंटे इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को त्वरित और व्यवस्थित इलाज मिल सकेगा. अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. अजय शुक्ला ने बताया कि इस ब्लॉक का निर्माण कार्य जनवरी 2022 में शुरू हुआ था. इसे 18 महीने में बनकर तैयार होना था. लेकिन किसी वजह से निर्माण कार्य में देरी हुई है. इसे मार्च तक पूरा कर लिया जाएगा.
निर्माणाधीन 11 मंजिला सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक में 9 मंजिल तक का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है. 10वीं और 11वीं मंजिल की छत डालने का काम रह गया है. इसके अलावा छठी मंजिल तक ब्लॉक की फिनिशिंग का काम भी पूरा हो गया है.
बता दें कि अभी सिर्फ सफदरजंग और जीबी पंत अस्पताल में ही हार्ट अटैक के मरीजों के लिए इमरजेंसी की सुविधा है. इन अस्पतालों में दिल्ली ही नहीं उत्तर प्रदेश और हरियाणा के आसपास के जिलों से भी मरीज इमरजेंसी में पहुंचते हैं. जिससे ज्यादा लोड रहता है और सभी मरीजों को इमरजेंसी में इलाज नहीं मिल पाता है.
अस्पताल के डॉक्टरों ने पिछले एक साल में की 900 मरीजों की प्राइमरी एंजियोप्लास्टी
हार्ट अटैक और स्ट्रोक की इमरजेंसी न होने के बावजूद आरएमएल के डॉक्टरों ने पिछले एक साल में यहां की जनरल इमरजेंसी में पहुंचने वाले हार्ट अटैक के 900 मरीजों को प्राइमरी एंजियोप्लास्टी करके उनकी जांच जान बचाई है. डॉक्टर आरके नाथ ने बताया कि हार्ट अटैक आने के एक घंटे के अंदर अगर मरीज की एंजियोप्लास्टी हो जाए तो उसकी मांसपेशियों पर असर नहीं पड़ता है.
लेकिन अगर इसमें देर हो जाए तो फिर मांसपेशियों पर असर पड़ना शुरू हो जाता है, जिससे खतरनाक स्थिति पैदा हो जाती है. अब अप्रैल से हार्ट अटैक और स्ट्रोक के मरीजों के लिए इमरजेंसी सुविधा शुरू होने के बाद इमरजेंसी में 24 घंटे कार्डियोलॉजी के डॉक्टर मौजूद रहेंगे और आपात स्थिति में भी मरीज की एंजियोप्लास्टी करके उनको बचाया जा सकेगा.
राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में भी शुरू होंगे विशेष हार्ट क्लिनिक
विश्व हृदय दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में पूर्वी दिल्ली के ताहिरपुर राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में कॉर्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉक्टर गौरव सिंघल ने बताया कि हम अस्पताल में हैं हार्ट के मरीजों के लिए विशेष हार्ट फेल्योर क्लिनिक और पेसमेकर क्लिनिक खोलने की योजना बना रहे हैं. इसके अलावा अलग से विशेष तौर पर पेन चेस्ट क्लिनिक की शुरुआत करने की भी तैयारी चल रही है, जिससे हम दिल्ली और आसपास के प्रदेशों के हार्ट के मरीजों को त्वरित इलाज उपलब्ध करा सकें.
महिला और पुरुषों में बढ़ रही हार्ट और हार्ट अटैक की बीमारी
फोर्टिस एस्कॉर्ट हार्ट इंस्टीट्यूट के चेयरमैन एवं पद्मभूषण और पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट प्रोफेसर डा. अशोक सेठ कहते हैं कि इस विश्व हृदय दिवस पर, मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि भारत में हृदय रोग और दिल के दौरे (हार्ट अटैक) बढ़ रहे हैं. यह पुरुषों और महिलाओं दोनों में जीवन के लिए जोखिम का सबसे बड़ा कारण है. यह हममें से किसी को भी प्रभावित कर सकता है.
इसलिए हृदय रोग को रोकना हम सभी के लिए एक महत्वपूर्ण व्यक्तिगत एजेंडा और जिम्मेदारी होनी चाहिए. हमें अपने जोखिम कारकों की पहचान करने और उन पर नियंत्रण रखने की आवश्यकता है. धूम्रपान करने वालों को ना कहें. 30 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों और हृदय रोग के पारिवारिक इतिहास वाले 20 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को बीपी जांच, कोलेस्ट्रॉल जांच, शुगर जांच जरूर करानी चाहिए, क्योंकि इन जोखिम कारकों पर किसी का ध्यान नहीं जाता है.
सप्ताह में पांच बार तेज चलने जैसे नियमित व्यायाम से अधिकांश जोखिम कारक नियंत्रण में आ जाते हैं और हृदय रोग का खतरा कम हो जाता है. योग व ध्यान और अध्यात्म के माध्यम से तनाव का प्रबंधन करना बहुत फायदेमंद है. 40 वर्ष की आयु के बाद वार्षिक हृदय जांच की सिफारिश की जाती है. अंत में, यदि कोई हृदय रोग पकड़ा जाता है और आपके डॉक्टर द्वारा उपचार की सलाह दी जाती है तो इसे अनदेखा न करें.
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